'ओल्ड इज़ गोल्ड' में इन दिनों जारी है कहानी भरे गीतों से सजी लघु शृंखला 'एक था गुल और एक थी बुलबुल'। कल की कड़ी में आपनें सुनें सुरैया की आवाज़ में एक ऐसा गीत जिसमें माँ अपने बच्चे को सुलाने के लिये लोरी गाती है जो मूलत: अपने ही जीवन की दर्दीली दास्तान है। इस तरह के गीत इसके बाद भी कई बार फ़िल्मों में आये हैं। आज हम जिस गीत को लेकर आये हैं वह भी उसी जौनर का है, और शायद इस जौनर का सब से चर्चित गीत रहा है। १९५५ की फ़िल्म 'सीमा' का लता मंगेशकर का गाया "सुनो छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी"। हसरत जयपुरी के बोल और शंकर जयकिशन का संगीत। राग भैरवी पर आधारित इस गीत में सरोद नवाज़ उस्ताद अली अकबर ख़ान साहब के सरोद के टुकड़े गीत की ख़ास बात है। ऐसा सुना जाता है कि इस गीत को शंकर नें ख़ान साहब के सरोद को ध्यान में रख कर ही स्वरबद्ध किया था। लेकिन ख़ान साहब नें इस गीत से पहले शंकर से यह कहा था कि फ़िल्मी संगीतकार जिस तरह से सितार का प्रयोग अपने गीतों में कर सकते है, वैसा सरोद के साथ कर पाना उनके लिये बहुत मुश्किल काम हो जाता है, क्योंकि सरोद के टुकड़ों को समझनें के लिये सरोद बजाना आवश्यक होता है। शंकर नें इस चुनौती को स्वीकारा और नतीजा हम सब के सामने है। विश्वास नेरुरकर सम्पादित शंकर जयकिशन पर आलेख में बताया गया है कि अपने अभिन्न मित्र व सहयोगी प्रो. सुहासचन्द्र कुलकर्णी को शंकर नें बताया था कि शुरु में इसमें सरोद के टुकड़ों की कल्पना उनके मन में नहीं थी, पर रेकॉर्डिंग् के वक्त उन्हें यह ख़याल आया और बड़े रचनात्मक तरीके से इन टुकड़ों को गीत में ढाल दिया गया।
फ़िल्म 'सीमा' के इस अद्भुत गीत को सुनने से पहले ये रही छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी:
सुनो छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी,
जैसे तारों की बात सुने रात सुहानी।
हो जिसकी क़िस्मत में ग़म के बिछौने थे,
आँसू ही खिलौने थे,
दर्द ही सखियाँ थीं,
दुख भरी अखियाँ थीं,
घर भी न था कोई,
और दर भी न था कोई,
भरे आँचल में ग़म छुपाये,
आँखों में पानी,
सुनो छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी।
दिल में ये अरमान थे,
एक छोटा सा बंगला हो,
चांद सी धरती पर
सोने का जंगला हो,
खेल हों जीवन के यहाँ
और मेल हों जीवन के,
गया बचपन तो
आँख भर आयी जवानी,
सुनो छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी।
चांद का डोला हो,
और बिजली का बाजा हो,
डोले में रानी हो,
और घोड़े पे राजा हो,
प्यार के रास्ते हों,
और फूल बरसते हों,
बनना चाहती थी
एक दिन वो तारों की रानी,
सुनो छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी।
हो टूटे बंधन
सपनों के मोती भी,
लुट गयी ज्योति भी,
रह गये अंधेरे
उजड़े हुए सवेरे,
बात ये पूरी थी,
और फिर भी अधूरी थी
होगा अंजाम क्या,
ये ख़बर ख़ुद भी न जानी,
सुनो छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी।
क्या आप जानते हैं...
कि शंकर जयकिशन के संगीत में १९५४ की फ़िल्म 'पूजा' का संगीत तो नहीं चला, लेकिन यही वह फ़िल्म थी जिसमें एस.जे नें पहली बार रफ़ी साहब को मुख्य गायक के रूप में गवाया था।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 5/शृंखला 18
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - गायिका हैं आशा जी.
सवाल १ - किस अभिनेत्री की आवाज सुनी आपने - २ अंक
सवाल २ - गीतकार बताएं - ३ अंक
सवाल ३ - संगीतकार कौन है - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
शरद को बहुत दिनों बाद ३ अंक लेते हुए देखना बेहद अच्छा लगा, पर इस सीरिस में तो अनजाना जी काफी बड़ी बढ़त बना चुके हैं. बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी

Majrooh Sultanpuri
ReplyDeleteMajrooh Sultanpuri
ReplyDeleteMajrooh Sultanpuri
ReplyDeleteNargis...please discard my first answer
ReplyDeletesangeetkar - jaydev
ReplyDeleteMusic : SD Burman
ReplyDeleteबड़ा ही मुश्किल हो रहा है इस समय पहेली में भाग लेना. इस समय मेरी कस्टमर के साथ मीटिंग रहती है. पता नहीं कितने दिन और इस समय पर आ सकूंगा. क्या पहेली एक घंटे पहले प्रकाशित करी जा सकती है?
ReplyDelete30 min pehle kar de to acha rahega... 1 ghanta pehle kuch jada jaldi ho jaega
ReplyDeleteसब सफल उत्तर देने वालों को बधाई.
ReplyDeleteअरे! क्षिति जी कैसे चूक गयीं?
बड़ा ही मधुर गाना है - कुछ दिन पहले एक ताल में कमल कुञ्ज के अंदर, रहता था - कौन था? एक हंस का जोड़ा.
फिल्म: लाजवंती
अवध लाल
Old is gold ab tak shaam ke 6.30 sharp prasarit hota aaya hai, aaj se iska samay badal kar 6 baje se kar diya gaya hai, shortaaon kii demand par. so please join us @ 6 pm sharp, yadi kisi shrota ko is naye samay se problem ho hamen suchit karen
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