tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post1006803027235085638..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: धितंग धितंग बोले, मन तेरे लिए डोले....सलिल दा की ताल परनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-42688996088414600202011-10-19T05:40:11.660+05:302011-10-19T05:40:11.660+05:30अभिषेक जी आप गूगल क्रोम पर साईट खोल कर देखिये सफलत...अभिषेक जी आप गूगल क्रोम पर साईट खोल कर देखिये सफलता मिलेगीAmithttps://www.blogger.com/profile/14958714003791136765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-85792965550673949412011-10-18T23:39:18.805+05:302011-10-18T23:39:18.805+05:30गाना प्ले नहीं हो पता, ईरर ओपनिंग फाइल का मैसेज आ ...गाना प्ले नहीं हो पता, ईरर ओपनिंग फाइल का मैसेज आ जाता है, क्या करूँ ?अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-65720743161930517022011-10-18T23:14:31.737+05:302011-10-18T23:14:31.737+05:30अमित जी के दूसरे विकल्प वाले गीत में लोक-ताल-वाद्य...अमित जी के दूसरे विकल्प वाले गीत में लोक-ताल-वाद्य ‘खोल’ का अत्यंत आकर्षक प्रयोग है। अब तो इस वाद्य का इस्तेमाल धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। कल के अंक में इस गीत को सुनने की प्रतीक्षा है।कृष्णमोहनhttps://www.blogger.com/profile/18359511255337041801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-30624133940148744522011-10-18T21:54:56.488+05:302011-10-18T21:54:56.488+05:30धितंग धितंग बोले का बांग्ला वर्ज़न भी बहुत सुरीला ...धितंग धितंग बोले का बांग्ला वर्ज़न भी बहुत सुरीला है. इसे आप यहाँ सुन सकते हैं<br />http://www.youtube.com/watch?v=t33Eg-uAG5YAmithttps://www.blogger.com/profile/14958714003791136765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-56604786084003059122011-10-18T20:57:41.366+05:302011-10-18T20:57:41.366+05:30चंपा और पारुल की कहानी बड़ी प्यारी लगी,शायद अब मैं...चंपा और पारुल की कहानी बड़ी प्यारी लगी,शायद अब मैं इन पेड़ों को देखूं तो उन सात भाईयों और एक बहन का रूप आँखों के सामने आ जाये.मेरा क्या है कल्पनाओं के घोड़े किस दिशा में दौड जाए खुद नही जानती क्योंकि <br />ऐसीच हूँ मैं तो <br />और दिए गये हिंट पर तो वो ही एक गाना याद आ रहा है 'मधुबन खुशबु देता ......सूरज न बन पाए तो बनकर दीपक जलता चल,फूल मिले या अंगारे सच की राह पर चलता चल.<br />और.... इस राह पर चलने से बड़े जख्मी हुए हैं मेरे भी पाँव.बस एक सुकून है मन में.<br /> वो पाए जो चलकर देखे तो.........इन्दु पुरीhttps://www.blogger.com/profile/10029621653320138925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-54613659914362125292011-10-18T18:59:00.970+05:302011-10-18T18:59:00.970+05:30श्याम रंग रंगा रेश्याम रंग रंगा रेAmithttps://www.blogger.com/profile/14958714003791136765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-10888894010857614982011-10-18T18:57:49.117+05:302011-10-18T18:57:49.117+05:30मधुबन खुशबू देता हैमधुबन खुशबू देता हैAmithttps://www.blogger.com/profile/14958714003791136765noreply@blogger.com