tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post129167484658136851..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: पॉडकास्ट कवि सम्मेलन - दिसम्बर २००८नियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-3878174059258430932008-12-31T13:43:00.000+05:302008-12-31T13:43:00.000+05:30मृदुल जी पता नही मेरी टिपण्णी वहां क्यों नही आई, ख...मृदुल जी पता नही मेरी टिपण्णी वहां क्यों नही आई, खैर मेरे हिसाब से ये एपिसोड अब तक का सबसे बढ़िया एपिसोड रहा, कविताओं में बहुत संजीदगी थी, बीच में शन्नो जी ने अच्छा भरा हास्य का रंग भी, अनुराग जी अंत में आकर बाज़ी मार गए, एक ग़मगीन से आलम से शुरू हुई दास्ताँ एक उम्मीद पर छोड़ती है, आपने एक एक सूत्र को बेहद सफाई से एक दूजे में पिरोया है....नए साल पर हम सब और बेहतर करें यहाँ कामना हैSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-33512814917261853212008-12-28T16:19:00.000+05:302008-12-28T16:19:00.000+05:30हर बार का कवि सम्मलेन बेहतर होता जा रहा है. और इस ...हर बार का कवि सम्मलेन बेहतर होता जा रहा है. और इस बार का तो पिछली बार से भी बहुत सुंदर रहा. मृदुल जी ने अपने सुंदर शब्द-चयन और अपनी कविता से अपनी मृदुल आवाज़ में तो सारे सम्मलेन की शोभा तो खूब बढाई ही हमेशा की तरह अपनी प्रस्तुति से लेकिन लावण्या जी की '' भोर भये..'' कविता पारुल की प्यारी आवाज़ में, अनुराग जी की कवितायें उनकी प्यारी आवाज़ में, शोभा जी की कविता के भाव, और फिर अन्य सभी की कवितातायें भी मन के अंतःकरण को बहुत स्पर्श कर गईं हैं. कुल मिला के यही कह सकती हूँ कि इस कवि सम्मलेन की बहार की खुशबू हमेशा महसूस करूंगी. और सभी कविजनों व सभी श्रोताओं को मेरी तरफ़ से नवबर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं !<BR/>शन्नोShanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-22491012598157213772008-12-28T11:33:00.000+05:302008-12-28T11:33:00.000+05:30आत्मीया मृदुल जीदिसम्बर माह के इस भावुक कवि सम्...आत्मीया मृदुल जी<BR/>दिसम्बर माह के इस भावुक कवि सम्मेलन के लिए आपको शुभकामनाएं। अनुराग जी की कविता "मर्म" की दो पंक्तियां - यदि सार्थक करते दिन को तो रातों को यूं रोते न, बहुत कुछ कह गयी। सत्यनारायण जी की कविता हांलाकि एक प्रसिद्ध गीत गुबार देखती रही पर आधारित था लेकिन फिर भी ऑंखों को गीली करने वाला था। कवि सम्मेलन का प्रारम्भ जहॉं आपकी आवाज और आपके चिंतन के साथ था, जिसमें तत्काल दर्शी शब्द से त्रिकाल दर्शी शब्द को कुछ कहे बिना ही परिभाषित कर दिया, तो सम्मेलन का समापन मंगल भवन अमंगल हारी से हुआ जो हमें नव वर्ष के लिए आशीर्वाद दे गया। कुल मिलाकर आज का कवि सम्मेलन हमेशा की तरह आप के नाम रहा, वहीं अनुराग जी ने अपनी चन्द पंक्तियों से मन को जीत लिया। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं। <BR/>अजित गुप्ता<BR/>उदयपुरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-67858228029200914412008-12-28T11:31:00.000+05:302008-12-28T11:31:00.000+05:30आत्मीया मृदुल जीदिसम्बर माह के इस भावुक कवि सम्...आत्मीया मृदुल जी<BR/>दिसम्बर माह के इस भावुक कवि सम्मेलन के लिए आपको शुभकामनाएं। अनुराग जी की कविता "मर्म" की दो पंक्तियां - यदि सार्थक करते दिन को तो रातों को यूं रोते न, बहुत कुछ कह गयी। सत्यनारायण जी की कविता हांलाकि एक प्रसिद्ध गीत गुबार देखती रही पर आधारित था लेकिन फिर भी ऑंखों को गीली करने वाला था। कवि सम्मेलन का प्रारम्भ जहॉं आपकी आवाज और आपके चिंतन के साथ था, जिसमें तत्काल दर्शी शब्द से त्रिकाल दर्शी शब्द को कुछ कहे बिना ही परिभाषित कर दिया, तो सम्मेलन का समापन मंगल भवन अमंगल हारी से हुआ जो हमें नव वर्ष के लिए आशीर्वाद दे गया। कुल मिलाकर आज का कवि सम्मेलन हमेशा की तरह आप के नाम रहा, वहीं अनुराग जी ने अपनी चन्द पंक्तियों से मन को जीत लिया। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं। <BR/>अजित गुप्ता<BR/>उदयपुरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-12040482963019892692008-12-28T08:56:00.000+05:302008-12-28T08:56:00.000+05:30मैंने भी कुछ देर पहले पूरा कार्यक्रम सुना, बहुत अच...मैंने भी कुछ देर पहले पूरा कार्यक्रम सुना, बहुत अच्छा लगा. लावण्या जी, "भोर भये तकते पिय का पथ..." के बारे में जानकारी देने के लिए आपका आभार. चूक के लिए क्षमाप्रार्थी हैं! मगर सच कहूं तो कविता बहुत ही अच्छी लगी. कार्यक्रम के आरम्भ में समय के बारे में मृदुल जी की भुमिका से लेकर मुकेश के स्वर में गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं तक सम्पूर्ण कार्यक्रम ने पूरी तरह बांधकर रखा. बधाई!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-44209953288596554462008-12-28T08:29:00.000+05:302008-12-28T08:29:00.000+05:30अब पूरा कवि सम्मेलन सुन लिया और स्व. मुकेश जी के स...अब पूरा कवि सम्मेलन सुन लिया और स्व. मुकेश जी के स्वर मेँ राम चरित मानस की दोहावली सुनकर अभिभूत हूँ - <BR/>मुझे याद है, <BR/>पूज्य पापाजी पँडित नरेन्द्र शर्मा जी ने मुकेश जी के साथ इसे तैयार करवाया था -<BR/> आज वे दोनोँ सशरीर हमारे साथ नहीँ रहे :-(<BR/>अन्य सभी के प्रयास बहुत ज्यादा पसँद आये - डा.मृदुलजी , हिन्दी युग्म से जुडे हरेक श्रोतागणोँ को तथा अनुराग भाई तथा पारुल को पुन: बधाई तथा २००९ के आगामी नव वर्ष की शुभकामनाएँ <BR/>स स्नेह <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-37613884394848823662008-12-28T07:35:00.000+05:302008-12-28T07:35:00.000+05:30मृदुल जी, अनुराग भाई, पारुल जी द्वारा गाया गया गीत...मृदुल जी, अनुराग भाई, पारुल जी द्वारा गाया गया गीत "भोर भये तकते पिय का पथ ,आये ये ना मेरे प्रियतम, आली " मेरी लिखी हुई कविता है - मुझे बहुत खुशी है कि जैसा आपने कहा है, पारुल सुकँठी हैँ और माँ सरस्वती का सँगीत प्रसाद उन्हेँ मिला हुआ है - भाई सत्यनारायण "कमलजी" का गीत अनुराग भाई ने बहुत भाव पूर्ण रीत से सुनाया और अनुराग भाई की स्वयम की कविता भी सुँदर लगी - और डा. मृदुल जी का सँचालन तो हमेशा की भाँति सधी हुई शैली से, विद्वत्ता पूण अभी आधा ही सुन पाई हूँ और सुँदर लगा है - फिर आकर टीप्पणी करुँगी दूसरे सभी कवि साथियोँ को सुन कर -<BR/> तब तक आप भी आनँद लीजिये और काव्य सरिता मेँ डूब कर, स्वर्गीय सुख पाइये ~<BR/>स स्नेह,<BR/> - लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com