tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post1529304545573997489..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे...कबीर से बुनकरी सिखना चाहते हैं गुलज़ार और भुपिनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-69226040179635092062011-03-30T18:07:33.373+05:302011-03-30T18:07:33.373+05:30मुझको भी तरकीब सीखा दे यार जुलाहे'....बहुत खूब...मुझको भी तरकीब सीखा दे यार जुलाहे'....बहुत खूब इसे पढ़ना,सुनना ही अच्छा नही लगता ,विश्व! तुम्हारे जुलाहे से मिलना और बहुत कुछ सीखना चाहती हूँ. वैसे इस 'भूप' ने गाने में अपना कमाल दिखाया.कहीं से ये छन्दहीन रचना गे नही फिर भी ...मन को भिगो देने वाला-सा गया है इसे.आपको थेंक्स,कहाँ ढूंढें कोई संगीत के अथाह सागर में से ये मोती ! <br />ये काम आप लोग कर रहे हैं.जियो.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-27611378623059425332009-10-11T20:13:54.522+05:302009-10-11T20:13:54.522+05:30tanha ji maine apni pasand k 3 nagme aur nazme bhe...tanha ji maine apni pasand k 3 nagme aur nazme bhej di hain. aap dekh lena aur han agar kisi nazm ko badalwana chahte hain to plz jaldi batayen taki main agli nazm khoj luShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-2555708480312729322009-10-10T13:56:31.838+05:302009-10-10T13:56:31.838+05:30शेर- दम मेरी आँखो मे अटका है देखूँ तो सही,
...शेर- दम मेरी आँखो मे अटका है देखूँ तो सही,<br /> क्या मसीहा से मेरे दर्द का दरमां होगा<br /><br />दरमां शब्द का क्या अर्थ होता हैUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-29034772654009300952009-10-10T13:53:59.432+05:302009-10-10T13:53:59.432+05:30This comment has been removed by the author.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-13953726655435081692009-10-10T11:54:58.880+05:302009-10-10T11:54:58.880+05:30sahi shabd masiha hai.....
sher abhi yaad nahi.......sahi shabd masiha hai.....<br />sher abhi yaad nahi.......jab yaad aayega tab mehfil mei fir aayenge......Unknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-34377204676080172052009-10-09T15:29:42.380+05:302009-10-09T15:29:42.380+05:30जवाब -मसीहा
जब -जब मानवता है रोती ,
तब -तब आंसु...जवाब -मसीहा <br />जब -जब मानवता है रोती ,<br />तब -तब आंसुओं को पोछने के लिए मसीहा आता है कोईManju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-65795372846386662122009-10-09T15:13:31.115+05:302009-10-09T15:13:31.115+05:30गुलज़ार साहिब की ये नज़्म बहुत अच्छी लगी आभार्गुलज़ार साहिब की ये नज़्म बहुत अच्छी लगी आभार्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-37904014571413475422009-10-09T12:10:56.365+05:302009-10-09T12:10:56.365+05:30शामिख साहब,
हाँ आप गज़लों के साथ किसी नज़्म या नगम...शामिख साहब,<br />हाँ आप गज़लों के साथ किसी नज़्म या नगमे(गैर-फिल्मी.. फिल्मी नज़्मों या नगमों के लिए ओल्ड इज गोल्ड है) की भी फ़रमाईश कर सकते हैं। <br /><br />धन्यवाद,<br />विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-84546999090099305102009-10-09T09:56:36.234+05:302009-10-09T09:56:36.234+05:30गुलज़ार साहब की जुलाहे नज़्म वाकई बहुत खुबसूरत है. म...गुलज़ार साहब की जुलाहे नज़्म वाकई बहुत खुबसूरत है. मैंने पहले भी पढ़ी है.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-48519158410947436082009-10-09T09:48:01.342+05:302009-10-09T09:48:01.342+05:30मिरे मसीहा कभी इतना करम भी कर दे
हरेक शख्स में इन्...मिरे मसीहा कभी इतना करम भी कर दे<br />हरेक शख्स में इन्सानियत का फ़न भर दे ।<br />(स्वरचित)शरद तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-17920658592598996182009-10-09T09:44:41.114+05:302009-10-09T09:44:41.114+05:30तन्हा जी क्या गज़ल की जगह कोई नगमा या नज़्म भी भेजी...तन्हा जी क्या गज़ल की जगह कोई नगमा या नज़्म भी भेजी जा सकती है फेहरिस्त मेंShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-15406044861462076012009-10-09T09:39:51.620+05:302009-10-09T09:39:51.620+05:30मसीहा हमें वो बता कर चले
नज़र में सभी की खुदा कर च...मसीहा हमें वो बता कर चले<br />नज़र में सभी की खुदा कर चले<br /><br />tilak raj kapoorShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-36895612893686911682009-10-09T09:39:13.505+05:302009-10-09T09:39:13.505+05:30करें भी क्या शिकवा-ए-ज़माना
कहें भी क्या दर्द का ...करें भी क्या शिकवा-ए-ज़माना <br />कहें भी क्या दर्द का फ़साना <br />जहाँ में हैं लाख दुश्मन-ए-जाँ <br /><br />कोई मसीहा नफ़स नहीं है<br />shakeel badauniShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-8010004589461917672009-10-09T09:36:39.994+05:302009-10-09T09:36:39.994+05:30इश्क़ का ज़हर पी लिया "फ़ाकिर"
अब मसीहा...इश्क़ का ज़हर पी लिया "फ़ाकिर" <br />अब मसीहा भी क्या दवा देगाShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-64812662272045462002009-10-09T09:32:06.187+05:302009-10-09T09:32:06.187+05:30अजनबी!
कभी ज़िन्दगी में अगर तू अकेला हो
और दर्...अजनबी! <br /><br />कभी ज़िन्दगी में अगर तू अकेला हो <br /><br />और दर्द हद से गुज़र जाए <br /><br />आंखें तेरी <br /><br />बात-बेबात रो रो पड़ें <br /><br />तब कोई अजनबी <br /><br />तेरी तन्हाई के चांद का नर्म हाला बने <br /><br />तेरी क़ामत का साया बने <br /><br />तेरे ज़्ख़्मों पे मरहम रखे <br /><br />तेरी पलकों से शबनम चुने <br /><br />तेरे दुख का मसीहा बने <br /><br />parveen shakirShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-39960173096084304532009-10-09T09:30:46.555+05:302009-10-09T09:30:46.555+05:30फिर से एक इसी ग़ज़ल का शे'र लिया है आपने. एक ब...फिर से एक इसी ग़ज़ल का शे'र लिया है आपने. एक बार पहले भी इसी ग़ज़ल के मतले को पूछा था.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-12529545374468694862009-10-09T09:28:49.833+05:302009-10-09T09:28:49.833+05:30शीशागर बैठे रहे ज़िक्र-ए-मसीहा लेकर
और हम टूट गये...शीशागर बैठे रहे ज़िक्र-ए-मसीहा लेकर <br />और हम टूट गये काँच के प्यालों की तरह <br /><br />सुदर्शन फ़ाकिरShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-64161182016863676732009-10-09T08:56:21.134+05:302009-10-09T08:56:21.134+05:30एक मुजरिम को मसीहा नहीं बता सकते।
आइने दोस्त हैं प...एक मुजरिम को मसीहा नहीं बता सकते।<br />आइने दोस्त हैं पर सच नहीं छुपा सकते।<br />(विनय कुमार )<br />मसीहा वो करम फ़रमा गया है <br />सलीबों पर हमें लटका गया है<br />(प्रफुल्ल कुमार परवेज़ )<br />सिवा है हुक़्म कि "कैफ़ी" को संगसार करो <br />मसीहा बैठे हैं छुप के कहाँ ख़ुदा जाने <br />(कैफ़ी आज़मी )<br />इक खेल है औरंग-ए-सुलेमाँ [२]मेरे नज़दीक <br />इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा[३] मेरे आगे<br />(गा़लिब )<br />मर्गे आशिक़ तो कुछ नहीं लेकिन,<br />इक मसीहा-नफ़स की बात गई । <br />(जिगर मुरादाबादी )<br />गिर जाओगे तुम अपने मसीहा की नज़र से <br />मर कर भी इलाज-ए-दिल-ए-बीमार न माँगो <br />(क़तील शिफ़ाई )<br />किस को क़ातिल मैं कहूं किस को मसीहा समझूं <br />सब यहां दोस्त ही बैठे हैं किसे क्या समझूं <br />(अहमद नदीम क़ासमी )<br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-35959627428564875262009-10-09T08:49:56.940+05:302009-10-09T08:49:56.940+05:30फ़ल्सफ़े इश्क़ में पेश आये सवालों की तरह
हम परेशाँ...फ़ल्सफ़े इश्क़ में पेश आये सवालों की तरह<br />हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह <br /><br /><br /><br />शीशागर बैठे रहे ज़िक्र-ए-मसीहा लेकर <br />और हम टूट गये काँच के प्यालों की तरह <br /><br /><br /><br />जब भी अंजाम-ए-मुहब्बत ने पुकार ख़ुद को <br />वक़्त ने पेश किया हम को मिसालों की तरह <br /><br /><br /><br />ज़िक्र जब होगा मुहब्बत में तबाही का कहीं <br />याद हम आयेंगे दुनिया को हवालों की तरह <br /><br />सुदर्शन फ़ाकिर <br /><br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com