tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post1658818174519052002..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: डॉ॰ मृदुल कीर्ति का साक्षात्कारनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-18770416627615279912020-09-08T10:27:13.806+05:302020-09-08T10:27:13.806+05:30This comment has been removed by the author.Kavita Duniahttps://www.blogger.com/profile/04339268794115791605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-9627597752101545932009-12-02T07:19:37.757+05:302009-12-02T07:19:37.757+05:30मृदुल कीर्ति जी को इस मंच पर सुनना एक अनुभूति है. ...मृदुल कीर्ति जी को इस मंच पर सुनना एक अनुभूति है. सूरज क्या कभी ऊँगली से चुप पाया है अपनी ऊर्जा से अपनी परिभाषा प्रकट करता है. मृदुल जी बातचीत से, उनके अलफ़ाज़ से एक सौंधी महक आती है. हिंदी युगुम एवं पूजा जी को भी धन्यवाद <br />देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-67786230393338326942009-05-03T22:54:00.000+05:302009-05-03T22:54:00.000+05:30कर्म भोग अनिवार्य हैं और सर्वज्ञ के विधान में अनिव...कर्म भोग अनिवार्य हैं और सर्वज्ञ के विधान में अनिवार्य का निवारण नहीं, उसका अर्थ समझ आते ही पीड़ा ज्ञान का रूप ले लेती है। दग्ध मन की दाहकता की खोज ये अनुवाद हैं।<br />मूल संस्कृत से हिन्दी में इनका काव्यानुवाद हुआ है।<br />man ko apar santushti mili mrdulji ka sakshtkar padhakar .<br />ispuny kam liye unka mai abhinandan kar unhe prnam karti hu.<br />shobhanaशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-17356943382445225122009-01-04T20:55:00.000+05:302009-01-04T20:55:00.000+05:30शब्द ब्रम्ह आराधना, जीवन का पाथेय.तभी बने अज्ञेय भ...शब्द ब्रम्ह आराधना, जीवन का पाथेय.<BR/>तभी बने अज्ञेय भी.हो जाता जब ज्ञेय. <BR/><BR/>कीर्ति मृदुल उसको मिले,जिसका मृदुल स्वभाव.<BR/>हँसकर कर लेता सहन, जो दुःख-दर्द अभाव.<BR/><BR/>जो अंतर्मन कर सके,हरि-हर से संवाद.<BR/>विधि उसके तन से रहे,करा काव्य-अनुवाद. <BR/><BR/>जो सत-शिव-सुंदर सके, जग-जीवन में देख.<BR/>सत-चित-आनंद की झलक,वही सकेगा देख. <BR/><BR/>गुप्त चित्र साकार हो, गुप्त चित्त में नित्य.<BR/>कवि है केवल माध्यम, रचनाकार अनित्य.<BR/><BR/>उस अनित्य को मोहता,केवल मृदुल स्वभाव.<BR/>भावों का किंचित नहीं, होता 'सलिल' अभाव.<BR/><BR/>-salil.sanjiv@gmail.com<BR/>-sanjivsalil.blogspot.comDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-22391562263936635232009-01-01T02:30:00.000+05:302009-01-01T02:30:00.000+05:30Mridul ji,What you have contributed and achieved i...Mridul ji,<BR/>What you have contributed and achieved is so admirable and an inspiration to us all.<BR/>It's great knowing you.<BR/>With best wishes<BR/>ShannoShanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-62673800979420804632008-12-31T10:05:00.000+05:302008-12-31T10:05:00.000+05:30किसी पक्षी को क्षितिज दिखाने के स्थान पर किसी छत ...किसी पक्षी को क्षितिज दिखाने के स्थान पर किसी छत की मुंडेर पर ही लाकर छोड़ दिया जाए, ऐसा ही यह साक्षात्कार था। मृदुल जी के व्यक्तित्व के बारे में जानने की प्यास अधूरी ही रह गयी। पूजा जी,मृदुल जी के बारे में विस्तार से बताएं। वे विद्वान हैं, यह बात तो उनके द्वारा उच्चारित प्रत्येक शब्द से ही समझी जा सकती हैं लेकिन जीवन के अनेक पहलु हैं, उनके किसी एक पहलु के बारे में भी बताएं। उनके अन्दर एक आत्मीय व्यक्तित्व बसेरा करता है, उस आत्मीयता का सूत्र कहॉं है, इसे भी खोजिए। "साकी इतना न दे कि प्याला छलक जाए, पर इतना तो दे कि प्याला मचल जाए"। पूजा जी को बहुत आभार, हमें बूँद भर अमृत पिलाया, आशा है वे कभी हमें और कुछ भी देंगी। ऐसे ही श्रेष्ठ व्यक्तित्वों से परिचित कराते रहिए जिससे हम आशान्वित हो जाए कि दुनिया में अभी श्रेष्ठता का भंडार बहुत बड़ा है। <BR/>अजित गुप्ताAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-20947356467099359872008-12-31T04:46:00.000+05:302008-12-31T04:46:00.000+05:30Mrudulkirti ji namaste, hindi yugm ke kavi sammela...Mrudulkirti ji namaste,<BR/> <BR/>hindi yugm ke kavi sammelan mein aapki rachnaayein suni, presantation bhi bahut achchha hai.<BR/> <BR/>saadar<BR/>RipudamanAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-53551572877878349332008-12-30T21:18:00.000+05:302008-12-30T21:18:00.000+05:30नव -वर्ष मँगलमय हो और डा.मृदुल कीर्ति जी की ज्ञान...नव -वर्ष मँगलमय हो <BR/> और डा.मृदुल कीर्ति जी की <BR/>ज्ञान वैतरणी से <BR/>किसी एकध पाठक का भला हो <BR/>और सही दिशा मिल जाये <BR/>तब वह पहली चिँगारी बनेगी<BR/>"हिन्दी -युग्म" एक सामूहिक प्रयास है<BR/> हिन्दी -युग्म से जुडे ,<BR/>हरेक साथी को <BR/>मेरी शुभकामनाएँ <BR/>और मृदुल जी से<BR/> कवि सम्मेलन के जरीये मिलना<BR/> ये भी दैवी कृपा ही कहूँगी -<BR/> उन्हेँ मेर सादर स्नेह व <BR/>अनेकोँ बधाई एवँ शुभकामनाएँ<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-5920350867225328552008-12-30T20:01:00.000+05:302008-12-30T20:01:00.000+05:30हम खाते अच्छा हैं, पहनते अच्छा हैं तो सोचते अच्छा ...हम खाते अच्छा हैं, पहनते अच्छा हैं तो सोचते अच्छा क्यों नहीं हैं----मन को शुद्ध विचारों का भोजन क्यों नहीं देते?<BR/>कितनी सार्थक बात कही आपने मृदुल जी, कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी रचनात्मकता के स्तर में एक अलग ही पवित्रता होती है...मैं समझता हूँ कि मृदुल जी युग्म से जुड़ना भी एक ईश्वरीय संकेत है, इनके मार्गदर्शन में हमारा ये प्रयास निश्चित ही सही दिशा में बढेगा. मृदुल जी ह्रदय से धन्येवाद और शुभकामनायें.Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-68559640197253361622008-12-30T19:17:00.000+05:302008-12-30T19:17:00.000+05:30नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-89389669515813751512008-12-30T16:28:00.000+05:302008-12-30T16:28:00.000+05:30आवाज़ के श्रोता डॉक्टर मृदुल कीर्ति के नाम से अपरिच...आवाज़ के श्रोता डॉक्टर मृदुल कीर्ति के नाम से अपरिचित नहीं हैं. फ़िर भी इस साक्षात्कार से हमें उनके बारे में बहुत सी नई और प्रेरणादायक बातें जानने को मिलीं. बड़े लोगों का जीवन अपने-आप में अनुकरणीय है, इसे ध्यान में रखते हुए आवाज़ की इस पहल के लिए साधुवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com