tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post2203123458940235620..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: घर-जमाई - प्रेमचंदनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-28734695534183248882009-10-31T21:11:06.425+05:302009-10-31T21:11:06.425+05:30बहुत शानदार कहानी और साथ ही खुबसूरत पेशकश. मुबारकब...बहुत शानदार कहानी और साथ ही खुबसूरत पेशकश. मुबारकबाद.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-78528406415274028562009-10-31T18:33:29.899+05:302009-10-31T18:33:29.899+05:30मैने बचपन में प्रेमचंद जी को कहीं कहीं पढा था, क्य...मैने बचपन में प्रेमचंद जी को कहीं कहीं पढा था, क्योंकि मैं मरठी मीडीयम में पढा पहले, बाद में हिन्दी. <br /><br />मगर यहां तो एक नया इतिहास ही रचा जा रहा है आपके और अनुराग जी के द्वारा, कि पूरी कहानीयां नई पीढी के लिये श्रव्य माध्यम में उपलब्ध है.आप सभी धन्यवाद के पात्र हैं.<br /><br />अगर संभव होता तो इसे दृष्य श्रव्य माध्यम में भी तब्दील किया सकता था, अगरचे कोई बढिया चित्रकार इन में से मुख्य घटनाओं को चित्रित भी करे.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-56193846930874531042009-10-31T15:31:23.776+05:302009-10-31T15:31:23.776+05:30बहुत सुंदर काम किया अनुराग जी, अमि तो पुजारी हुं प...बहुत सुंदर काम किया अनुराग जी, अमि तो पुजारी हुं प्रेमचंद जी का.<br /><br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-11115984210147787702009-10-31T13:09:09.112+05:302009-10-31T13:09:09.112+05:30बहुत सुंदर प्रयास है, आभार।
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स्त्री के चरि...बहुत सुंदर प्रयास है, आभार।<br />--------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-72371585071010773672009-10-31T10:16:54.661+05:302009-10-31T10:16:54.661+05:30बढ़िया कहानी चुनी है एक बार फिर....ट्विस्ट अच्छा ल...बढ़िया कहानी चुनी है एक बार फिर....ट्विस्ट अच्छा लगा....अनुराग जी बधाईSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-42796656528345732892009-10-31T10:16:53.381+05:302009-10-31T10:16:53.381+05:30बढ़िया कहानी चुनी है एक बार फिर....ट्विस्ट अच्छा ल...बढ़िया कहानी चुनी है एक बार फिर....ट्विस्ट अच्छा लगा....अनुराग जी बधाईSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-56214706870133717032009-10-31T10:09:08.400+05:302009-10-31T10:09:08.400+05:30बहुत सुन्दर और लाजबाब संग्रह आप अपने ब्लॉग पर कर र...बहुत सुन्दर और लाजबाब संग्रह आप अपने ब्लॉग पर कर रहे है, इसके लिए बधाई ! मैं तो अपने स्कूल के दिनों में जो प्रेमचंद की कहानियों की किताब पाठ्यकर्म में होती थी, एक ही दिन में पढ़ डालता था !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com