tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post5061390741740280343..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: ग़ज़ल का साज़ उठाओ बड़ी उदास है रात.. फ़िराक़ के ग़मों को दूर करने के लिए बुलाए गए हैं गज़लजीत जगजीत सिंहनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-56689878520331174182010-06-15T01:47:22.731+05:302010-06-15T01:47:22.731+05:30This comment has been removed by the author.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-11443984280032621782010-06-13T00:40:13.072+05:302010-06-13T00:40:13.072+05:30रौशनी के न आदी बनो इतने
उजाले भी स्याह होने लगे है...रौशनी के न आदी बनो इतने<br />उजाले भी स्याह होने लगे हैं..<br /> ( स्वयंरचित )Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-44920606877923530232010-06-11T14:10:15.613+05:302010-06-11T14:10:15.613+05:30क्यूट सुमित जी, नमस्कार ! आपने हमारे शेर की तारीफ़ ...क्यूट सुमित जी, नमस्कार ! आपने हमारे शेर की तारीफ़ की लिहाजा हम आपको उसके लिए शुक्रिया अदा करते हैं...और आपका शेर भी बहुत अच्छा है...और एक बार में ही दो बार की हाजिरी रजिस्टर में भर देने का आपका स्टाइल बहुत पसंद आता है हमें..हा हा हा...ओह ! मेरा हँसना बुरा तो नहीं लगा...चूँकि आप वकील बनने जा रहे हो तो इसीलिए डर लगने लगता है की अगर हमने कुछ हँसकर चूँ की तो आप कहीं नाराज़ ना हो जाओ और फिर हमारे हँसने पर कोई केस....समझ गये ना..?..हा हा...लीजिये इस पर भी एक शेर ( या बकरी जो भी समझिये इसे आप और नीलम जी ) फ़ौरन बन गया... <br /><br /><br />ये मंजर अब स्याह नजर आते हैं<br />हम हँसते हैं तो लोग भाग जाते हैं.<br /><br />( स्वयं रचित )<br /><br />हा हा हा हा...bye..bye..Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-57211506131845303112010-06-11T13:17:48.529+05:302010-06-11T13:17:48.529+05:30शे'र- मैने चाँद और सितारो की तमन्ना की थी,
मुझ...शे'र- मैने चाँद और सितारो की तमन्ना की थी,<br />मुझको रातो की सियाही के सिवा कछ ना मिला<br /><br />ये शे'र रफी साहब की एक गज़ल का है<br /><br />शन्नो जी और निलम जी आप दोनो के लिखे शे'र अच्छे लगे <br />अच्छा अब चलता हूँ, अगली महफिल मे मिलते है तब तक के लिए bbyeUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-20300037050624335622010-06-11T13:17:30.203+05:302010-06-11T13:17:30.203+05:30शे'र- मैने चाँद और सितारो की तमन्ना की थी,
मुझ...शे'र- मैने चाँद और सितारो की तमन्ना की थी,<br />मुझको रातो की सियाही के सिवा कछ ना मिला<br /><br />ये शे'र रफी साहब की एक गज़ल का है<br /><br />शन्नो जी और निलम जी आप दोनो के लिखे शे'र अच्छे लगे <br />अच्छा अब चलता हूँ, अगली महफिल मे मिलते है तब तक के लिए bbyeUnknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-35427735806635126982010-06-11T12:28:41.477+05:302010-06-11T12:28:41.477+05:30ग़र रात है सियाह तो उसकी है ये फ़ितरत
पर दिन का उजाल...ग़र रात है सियाह तो उसकी है ये फ़ितरत<br />पर दिन का उजाला भी अंधेरा तेरे बगैर ।<br />(स्वरचित)शरद तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-86711062980840826582010-06-10T22:05:00.688+05:302010-06-10T22:05:00.688+05:30This comment has been removed by the author.avenindrahttps://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-4998514184589279022010-06-10T22:04:52.229+05:302010-06-10T22:04:52.229+05:30आज बहुत दिल लगा के लिखी है विश्व जी आपकी जर्रानवाज...आज बहुत दिल लगा के लिखी है विश्व जी आपकी जर्रानवाजी से मन खुल सा गया है और खूब लिखने का मन किया कैसा लिखा है ये तो आप ही बता पाएंगे मगर अच्चा लिखने की कोशिश की है बिना edit किये आपकी mehfil<br /> मैं प्रस्तुत है <br />ये चाँद भी स्याह हो जाये<br />सारे तारे भी तबाह हो जायें <br />करीब बैठ के तू मेरी दास्ताँ तो सुन <br />कैसे जीना भी गुनाह हो जाये <br />तरसती रूह का वो आतिश मंज़र <br />चाँद भी देख ले तो फना हो जाये<br />गुलाब की बांहों में गर कांटे न रहे<br />उसके खिलना खराब हो जाये<br />तेरे होठों पे ठहरी ख़ामोशी<br />गर खुले तो शराब हो जाये<br />की तेरा इश्क मेरा गुनाह था लेकिन <br />तू जो चाहे तो सबाब हो जायेavenindrahttps://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-27753918519256870492010-06-10T13:06:10.873+05:302010-06-10T13:06:10.873+05:30नीलम जी उर्फ़ गब्बर साहिबा...आपके सवा सेर पर हमने ...नीलम जी उर्फ़ गब्बर साहिबा...आपके सवा सेर पर हमने भी सेर लिखे और इस महफ़िल में वो शरमाते हुए ही आये...और आज कुछ मिमियाने की आवाज़ सुनी..पता लगा की आज आप एक बकरी लाई हैं ( यह हम नहीं कह रहे हैं आपने कहा है क्योंकि ऐसी गुस्ताखी हम नहीं कर सकते..आपकी बकरी या शेर को बकरी नहीं कह सकते...हमारा कोई हक़ नहीं है उस शेर को बकरी कहने का..किसी को बुरा लग गया तो..? क्योंकि हमें इस महफ़िल में इज़ाज़त नहीं है ) तो आगे बात ये है की आपकी बकरी की मिमियाहट सुनकर हमारे एक और शेर से रहा नहीं गया... और वह आपकी बकरी से मिलने आया है...तो लीजिये :<br /><br /> जलने वालों के दिल जल के सियाह हुए <br /> जलाने वाले जलाकर अपनी राह हुए..<br /><br />( स्वयं रचित )<br /><br />कोई मिस्टेक हो इस शेर में या आपकी बकरी को कोई आब्जेक्शन हो तो हमें इंतज़ार रहेगा की आप लोग बतायें..सुमित से भी दरखास्त है की जरूर बतायें और अपनी बकरी, शेर या फिर चूहा ही लायें..अगली बार हमें पता नहीं हम क्या लायेंगे....माफ़ कीजिये..आपकी बकरी को बहुत शुक्रिया..जिसके आने और मिमियाने ख़ुशी में हमारा एक और शेर मिलने आ गया... अब आपके अगले शेर/बकरी का इंतज़ार है...हम क्या बात कर रहे हैं...कुछ समझ में आया किसी की ..? क्या कहा... नहीं.... हमारी भी समझ में नहीं आया..हा हा हा हा...इसी बात पर चलो फिर हम जाते हैं...Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-55237310077687688752010-06-10T10:23:48.105+05:302010-06-10T10:23:48.105+05:30गब्बर सदमे में है .....................
उसका शेर...गब्बर सदमे में है .....................<br /><br />उसका शेर - बकरी बना दिया है<br /><br />बहुत नाइंसाफी है दोस्तों ..............<br /><br />शन्नो जी सिर्फ आपके शेर के जवाब में अपनी बकरी हाजिर है ,<br /><br />स्याह अँधेरे दिल में थे<br />और बेवफा महफ़िल में थे<br />(फ़ौरन रचित )<br /><br /> हा हा हा आ आआअ हाआआneelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-36949116039386226172010-06-10T02:22:47.806+05:302010-06-10T02:22:47.806+05:30डिअर सुमीत...सो गुड टू सी यू ...क्या हाल हैं ? मेर...डिअर सुमीत...सो गुड टू सी यू ...क्या हाल हैं ? मेरा शेर पसंद आया इसे जानकर बड़ा अच्छा लगा...बहुत दिनों बाद अपने शेर की तारीफ़ सुनी..हा हा..हौसला बरक़रार रखने के लिये बहुत शुक्रिया..आप भी अपने दिमाग में कुछ आते ही लिख डालो....हमें और नीलम जी दोनों को आपकी कमी अखरने लगी थी...दर्शन देते रहा करो..चलो इस ख़ुशी में एक शेर और पेश करती हूँ...इसे भी हमने ही लिखा है...<br /><br />कोई दूर हो गया यूँ ही खफा होकर<br />अकस्मात स्याह अंधेरों में खोकर.<br /><br />- शन्नो<br /><br />bye...bye..Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-69337477550620502752010-06-09T22:54:03.535+05:302010-06-09T22:54:03.535+05:30shanno jee
hum to yehi par hain...par kabhi kabh...shanno jee <br /><br />hum to yehi par hain...par kabhi kabhi jab shabd se koi sher nahi aata to bus ghazal sun kar chale jaate hain...<br /><br />aapka likha sher accha laga...abhi to mujhe is shabd se koi sher nahi aata jab yaad aayega tab mehfil mein fir aayenge<br /><br />tab tak k liye bbye.....Unknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-91838925463073177342010-06-09T20:46:08.277+05:302010-06-09T20:46:08.277+05:30जवाब -सियाह
सियाह रातों में मिलन की ऋतु आई ,
...जवाब -सियाह <br /> सियाह रातों में मिलन की ऋतु आई ,<br /><br /> हर दिशा में फूलों ने भी खुशबु है लुटाई .<br /> ( स्वरचित )Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-2653193178028250282010-06-09T12:09:55.223+05:302010-06-09T12:09:55.223+05:30गजल लाजबाब है....और सुनकर समझ में तो आ गया था फिल ...गजल लाजबाब है....और सुनकर समझ में तो आ गया था फिल इन द गैप वाला लफ्ज...लेकिन देर हो जाने से हम प्रथम नंबर पाने से बंचित रह गये ( हा हा हा हा ) कोई बात नहीं वो कहते हैं ना की..There is always a next time...तो फिलहाल हमारे इस फ्रेश शेर से ( नज्म ) काम चलाइये...ग़लतफ़हमी ना हो इसलिये कहना पड़ रहा है की ये हम जैसी नाचीज़ के हाथों से लिखा गया है :) तो पेश करती हूँ : <br /><br />स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करते हैं<br />यहाँ दिन को रात कहने से लोग नहीं डरते हैं<br />न किसी को किसी की परवाह है इस दुनिया में<br />खुदा के नाम पर क्या-क्या अंधेर हुआ करते हैं. <br /><br />-शन्नो<br /><br />नीलम जी और अंग्रेजों के ज़माने के जेलर साहब जो अदालत में वकालत करने को पढ़ रहे हैं...कहाँ हो..??????<br /><br />bye...bye...Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-50075458017916917722010-06-09T11:29:21.821+05:302010-06-09T11:29:21.821+05:30सियाह पर शेर याद नहीं आ रहा लेकिन फ़िराक साहब का ही...सियाह पर शेर याद नहीं आ रहा लेकिन फ़िराक साहब का ही कलाम पेश है।<br /><br />फ़िराक एक नयी सूरत निकल तो सकती है,<br />ये आंख कहती है कि दुनिया बदल तो सकती है।<br /><br />कडे हैं कोस बहुत मंजिले मोहब्बत के,<br />कडी है धूप मगर छांव ढल तो सकती है।<br /><br />सुना है बर्फ़ के टुकडे हैं दिल हसीनों के,<br />जरा सी आंच से ये चांदी पिघल तो सकती है।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-13271078819197659882010-06-09T09:44:50.372+05:302010-06-09T09:44:50.372+05:30हद-ए-निगाह तक ये ज़मीं है सियाह फिर
निकली है जुगन...हद-ए-निगाह तक ये ज़मीं है सियाह फिर <br />निकली है जुगनुओं की भटकती सिपाह फिर<br />( शहरयार )<br />जिसे नसीब हो रोज़-ए-सियाह मेरा सा<br />वो शख़्स दिन न कहे रात को तो क्यों कर हो<br />( ग़ालिब )<br />सुना है उसकी सियाह चश्मगी क़यामत है <br />सो उसको सुरमाफ़रोश आह भर के देखते हैं <br />(अहमद फ़राज़ )<br />फ़र्द-ए-अमल सियाह किये जा रहा हूँ मैं <br />रहमत को बेपनाह किये जा रहा हूँ मैं <br />(जिगर मुरादाबादी )<br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-86996257872508488732010-06-09T09:39:01.092+05:302010-06-09T09:39:01.092+05:30कहें न तुमसे तो फ़िर और किससे जाके कहें
सियाह ज़ुल्फ़...कहें न तुमसे तो फ़िर और किससे जाके कहें<br />सियाह ज़ुल्फ़ के सायों बड़ी उदास है रात<br /><br /><br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com