tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post5519053783082085645..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: एक निवेदन - सहयोग करें "द रिटर्न ऑफ आलम आरा" प्रोजेक्ट को कामियाब बनाने मेंनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-82717251128953201762010-10-11T10:02:37.149+05:302010-10-11T10:02:37.149+05:30शरद जी, मैं भी सहमत हूँ आपसे, कि कहीं वो फकीरी वाल...शरद जी, मैं भी सहमत हूँ आपसे, कि कहीं वो फकीरी वाला तत्व मिस्सिंग है, पर फिर भी ये गीत हमें प्राप्त प्रविष्टियों से श्रेष्ठ लगा क्योंकि ये आज कल के सूफी अंदाज़ गीतों जैसा था. वैसे जैसा कि हमने लिखा है कि एक मूल संस्करण को भी नयी आवाज़ में पेश करेंगें तो कंट्रास्ट अच्छा रहेगा....आने वाले प्रतियोगिताओं में निवेश कर्ताओं को भी चुनाव का मौका मिलेगा, क्योंकि मेरे ख्याल से जो व्यक्ति स्पोंसर कर रहा है उसके मत का भी मान रखा जाना चाहिए....Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-49746261344135143312010-10-11T09:57:58.398+05:302010-10-11T09:57:58.398+05:30@ अश्वनी जी, योजना ये है कि हर गीत को हम एक प्रतिय...@ अश्वनी जी, योजना ये है कि हर गीत को हम एक प्रतियोगिता की तरह चलायेंगें. जिसमें एक पुरस्कार राशि होगी जो ५००० से ७००० के बीच होगी. इससे हमें एक श्रेष्ठ प्रविष्ठी प्राप्त हो पायेगी. जब सभी गीत बन जायेंगें तो फिर उन्हें सम्पादित कर एल्बम की शक्ल दी जायेगी जिसमें १५ से २० हज़ार का खर्चा आएगा. हमें सहयोग चाहिए इन गीतों को स्पोंसर करने के लिए, यानी कोई एक व्यक्ति या समूह एक गीत की पुरस्कार राशि का जिम्मा उठा सके. यदि ये सब संभव हो पाया तो हर ५००० के निवेश के बदले हम उन्हें १०० सी डी देंगें (५० र प्रति), जबकि सी डी की वास्तविक कीमत होगी १०० रुपयें. अब अमुख व्यक्ति उस सी डी या तो स्वयं बेच कर दुगना (निवेश का) अर्जित कर सकता है, या फिर हमारे माध्यम से (पुस्तक मेले आदि) में उन्हें बेच कर ये राशि प्राप्त कर सकता हैSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-60780271277633097482010-10-10T12:21:31.584+05:302010-10-10T12:21:31.584+05:30दूरदर्शन पर जब ये कार्यक्रम ’गीतों का सफ़र’ प्रसारि...दूरदर्शन पर जब ये कार्यक्रम ’गीतों का सफ़र’ प्रसारित हुआ था जिसे शबाना आज़मी ने कम्पेयर किया था को मैनें भी पूरा टेप किया था । आलमआरा के गीत दे दे खुदा.. प्रोजेक्ट के समय मैनें भी उस कैसेट को खोजने की कोशिश की थी किन्तु कहीं रखने में आ गया उसमें बहुत से ऐसे गीत है । दुष्यन्त जी ने मुश्किल आसान कर दी । एक और मेरा विचार ’द रिटर्न ऒफ़ आलमआरा’ में ’दे दे खुदा के नाम से प्यारे’ की इस गीत की जो संगीत रचना की गई है वह काबिले तारीफ़ तो है किन्तु मुझे उसमे फ़कीराना अन्दाज़ कम तथा आधुनिक संगीत का पुट अधिक दिखाई देता है । पहले फ़कीर मात्र एक इकतारे पर ही अपना मन्तव्य प्रकट कर देते थे । यह सिर्फ़ मेरा विचार है आवश्यक नहीं कि इससे सभी सहमत हों ।शरद तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-61384784872921155602010-10-10T11:16:42.424+05:302010-10-10T11:16:42.424+05:30“दि रिटरन ऑफ आलम आरा” एक महत्वपूर्ण परियोजना है. इ...“दि रिटरन ऑफ आलम आरा” एक महत्वपूर्ण परियोजना है. इसमें हिन्दयुग्म के सभी पाठक क्या एक शेयर धारक के रूप में भी जुड सकते हैं? यदि हाँ तो प्रत्येक को कितने रुपये की न्यूनतम राशि का सहयोग देना होगा? जो लोग अधिक देना चाहें वे अधिक संख्या में निवेश कर सकते हैं. यह कंपनी कि तरह तो नहीं होगा परन्तु एक सामाजिक कार्य की तरह की सहभागिता संभव हो सकती है. क्या आपने इस कार्य हेतु कोई रूप रेखा बनाई है? अश्विनी कुमार रॉयअश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Royhttps://www.blogger.com/profile/01550476515930953270noreply@blogger.com