tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post5709411075929601466..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है....गुलाम अली के मार्फ़त जता रहे हैं "हसरत मोहानी" साहबनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-29187253020377369822010-01-09T10:06:59.910+05:302010-01-09T10:06:59.910+05:30आज इस ठण्ड में फिर कोई पुराना दोस्त याद आ गया
शुक...आज इस ठण्ड में फिर कोई पुराना दोस्त याद आ गया <br />शुक्रिया जख्म को नासूर में बदलने काAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04836924628199201665noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-32406137446385304992009-10-21T17:50:50.968+05:302009-10-21T17:50:50.968+05:30आदरणीय शरद जी
आपने ठीक कहा है .पंक्तियाँ लिखने के...आदरणीय शरद जी <br />आपने ठीक कहा है .पंक्तियाँ लिखने के बदले शेर लिख दिया .गलती सुधारने के लिए aabhaarManju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-35985996000444664282009-10-21T10:34:23.607+05:302009-10-21T10:34:23.607+05:30मन्जु जी
आपकी भेजी हुई पंक्तियों को शे’र तो नहीं क...मन्जु जी<br />आपकी भेजी हुई पंक्तियों को शे’र तो नहीं कह सकते । शे’र में तो सिर्फ़ दो ही मिसरे होते है । हाँ चाहे तो इसे ’शेरनी’ कह सकते हैं ।शरद तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-56207066470367504112009-10-20T19:54:49.924+05:302009-10-20T19:54:49.924+05:30जवाब -हिचकी
स्वरचित शेर -
हिचकी थमने का नाम ही नह...जवाब -हिचकी <br />स्वरचित शेर -<br />हिचकी थमने का नाम ही नहीं ले रही थी ,<br />सजा ए मौत लगने लगी ,<br />रोकने के लिए कई टोटके भी किये ,<br /> जैसे ही उसका नाम लबों ने लिया <br />झट से गायब हो गयी .Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-177927266633910202009-10-20T10:04:13.781+05:302009-10-20T10:04:13.781+05:30सही शब्द है- हिचकी
आंखिरी हिचकी तेरी जा़नों पे आये...सही शब्द है- हिचकी<br />आंखिरी हिचकी तेरी जा़नों पे आये<br />मौत भी मैं शायराना चाहता हूँDishahttps://www.blogger.com/profile/14880938674009076194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-81026947874689297302009-10-20T09:47:55.805+05:302009-10-20T09:47:55.805+05:30(स्वरचित)
मैं इसलिए तुझे अब याद करूंगा न सनम
जो हि...(स्वरचित)<br />मैं इसलिए तुझे अब याद करूंगा न सनम<br />जो हिचकियाँ तुझे चलने लगीं तो बन्द न होंगीं ।<br /><br />इधर हिचकी चली मुझको ,उधर तू मुझको याद आई<br />मगर ये तय है कि तुझको भी अब हिचकी चली होगी ।शरद तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-6883384749723090322009-10-20T09:44:55.148+05:302009-10-20T09:44:55.148+05:30न ख़त न लफ्ज़ के मोताज़ हे हम.पर आपके दिल को एक हि...न ख़त न लफ्ज़ के मोताज़ हे हम.पर आपके दिल को एक हिचकी से हिला सकते हें। <br /><br />anamShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-38673175275729034302009-10-20T09:43:53.810+05:302009-10-20T09:43:53.810+05:30ये नन्हे से होंठ और यह लम्बी-सी सिसकी देखो |
यह छो...ये नन्हे से होंठ और यह लम्बी-सी सिसकी देखो |<br />यह छोटा सा गला और यह गहरी-सी हिचकी देखो ||<br /><br />सुभद्राकुमारी चौहानShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-8091254752533233462009-10-20T09:43:10.324+05:302009-10-20T09:43:10.324+05:30नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी,
किसी क...नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी, <br />किसी की आखरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी<br /><br />seemab akbarabadiShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-86908538654024145982009-10-20T09:42:32.134+05:302009-10-20T09:42:32.134+05:30लो! मसिहा ने भी, अल्लाह ने भी याद किया
आज बीमार क...लो! मसिहा ने भी, अल्लाह ने भी याद किया <br />आज बीमार को हिचकी भी, क़ज़ा भी आई <br /><br />fani badayuniShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-83734243828452141732009-10-20T09:41:37.616+05:302009-10-20T09:41:37.616+05:30हिचकी थमती ही नहीं 'नासिर'
आज किसी ने याद ...हिचकी थमती ही नहीं 'नासिर'<br />आज किसी ने याद किया हैShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-33878350765875573432009-10-20T09:41:23.940+05:302009-10-20T09:41:23.940+05:30सीमा जी की पसंद ग़ज़लों के मामले में बहुत ही शानदा...सीमा जी की पसंद ग़ज़लों के मामले में बहुत ही शानदार है. जहाँ तक मुझे लगता है यह ग़ज़ल शायद निकाह फिल्म में भी है.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-66723057385660988092009-10-20T09:40:36.778+05:302009-10-20T09:40:36.778+05:30आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये
मौत भी मैं शायराना...आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये <br />मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ <br /><br />क़तील शिफ़ाईShamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-20624167049338488012009-10-20T09:30:59.993+05:302009-10-20T09:30:59.993+05:30खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़-अ-तन
और दुपट्ट...खींच लेना वो मेरा पर्दे का कोना दफ़-अ-तन<br />और दुपट्टे में वो तेरा मुँह छुपाना याद है<br />गुलाम अली जी की आवाज मे ये ग़ज़ल सुनवाने का बेहद आभार....वाकई इस ग़ज़ल मे कुछ बात तो है जो दिल को बेचैन कर जाती है जितना सुनो कम लगता है........जिस अंदाज मे इस ग़ज़ल को गाया गया है बेपनाह दर्द झलकता है....हर एक शब्द में जादू हो जैसे.....ना जाने कितनी बार आज इसको हम सुनने वाले हैं हा हा हा शुक्रिया....<br /><br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-40785348700487757142009-10-20T09:24:03.057+05:302009-10-20T09:24:03.057+05:30साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या?
जो समझ...साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या?<br />जो समझ ही में न आये वो पयाम आया तो क्या?<br />(आरज़ू लखनवी )<br />तेरी हर बात चलकर यूँ भी मेरे जी से आती है,<br />कि जैसे याद की खुशबू किसी हिचकी से आती है।<br />ये माना आदमी में फूल जैसे रंग हैं लेकिन,<br />'कुँअर' तहज़ीब की खुशबू मुहब्बत ही से आती है।<br /><br />- डा. कुँअर 'बेचैन' <br /><br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-64500007870825378422009-10-20T09:18:17.859+05:302009-10-20T09:18:17.859+05:30अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुना...अपने होंठों पर सजाना चाहता हूँ <br />आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ <br /><br />कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर <br />बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ <br /><br />थक गया मैं करते-करते याद तुझको <br />अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ<br /><br />छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा <br />रोशनी हो, घर जलाना चाहता हूँ <br /><br />आख़री हिचकी तेरे ज़ानों पे आये <br />मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ <br /><br />क़तील शिफ़ाई <br />regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com