tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post57539901191252207..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: छुपालो यूं दिल में प्यार मेरे कि जैसे मंदिर में लौ दिए की...हर सुर पवित्र हर शब्द पाकनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-40760702027442743752009-10-05T15:29:38.992+05:302009-10-05T15:29:38.992+05:30बधाई शरद जी.बधाई शरद जी.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/05958882849698532647noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-56368187611448916382009-10-05T14:46:20.433+05:302009-10-05T14:46:20.433+05:30dधन्यवाद इस सुन्दर गीत के लियेdधन्यवाद इस सुन्दर गीत के लियेनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-28401761330402927372009-10-04T23:05:11.938+05:302009-10-04T23:05:11.938+05:30छुपा लो युं दिल में प्यार मेरा ....
राग यमन की बं...छुपा लो युं दिल में प्यार मेरा ....<br /><br />राग यमन की बंदिश , मजरूह के रूहानी बोल, हेमंत दा और लता के स्वार्गिक , अलौकिक सुर, और रोशन का मधुरतम मेलोडी लिये हुए संगीत...<br /><br />बस इस समर्पण का आत्मिक भाव लिये हुए गीत का जवाब नहीं.<br /><br />मजरूह के बोलों में शुद्ध हिन्दी के आध्यात्मिक और पाकीज़गी लिये हुए फ़लसफ़े का दर्शन होता है.सादे सीधे हृदय के अंतर्मन को चीरते ये भावशब्द- <br /><br />ये आग बिरहा की मत लगाना , के जल के मैं राख हो चुकी हूं,<br /><br />ये राख माथे पे मैने रख ली - के जैसे मंदिर में लौ दिये की...<br /><br />हेमंत दा के स्वर याने मंदिर के गर्भगृह में से आती एक सारगर्भित आवाज़ जैसे कि कोई साधु भजन गा रहा हो, लता की आवाज़ याने की स्वच्छ सफ़ेद साडी़ पहने समर्पित नारी का अंतर्मन,<br /><br />अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है.दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-26601353202386362312009-10-04T20:54:53.972+05:302009-10-04T20:54:53.972+05:30अभी-अभी इस प्रतियोगिता के बारे में पढ़ा । शरद जी के...अभी-अभी इस प्रतियोगिता के बारे में पढ़ा । शरद जी के उत्तर से मैं सहमत हूँ । आवाज दे कर हमें तुम बुलाओ - फिल्म प्रोफेसर का गीत जो शंकर जयकिशन ने संगीतबद्ध किया था सही उत्तर है ।डॉ० अनिल चड्डाhttps://www.blogger.com/profile/05113649126978140864noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-77702159566049689432009-10-04T19:46:32.648+05:302009-10-04T19:46:32.648+05:30बहुत दिनों बाद आ पायी हूँ आवाज़ पर ......शरद जी का ...बहुत दिनों बाद आ पायी हूँ आवाज़ पर ......शरद जी का जवाब बिलकुल ठीक है ...राग शिवरंजनी पर आधारित कुछ और भी गाने हैं जैसे : मेरे नैना सावन भादों फिर भी मेरा मन प्यासा, जाने कहाँ गए वो दिन कहते थे तेरी राह में, <br />इस राग को देर रात में गाया जाता है....<br />शरद जी बहुत बहुत बधाई...<br />अब तो हम आ ही नहीं पाते हैं समय से क्या करें...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-30615294721148510812009-10-04T18:43:23.288+05:302009-10-04T18:43:23.288+05:30लता :
आवाज़ दे के हमें तुम बुलाओ
मुहोब्बत में इतना ...लता :<br />आवाज़ दे के हमें तुम बुलाओ<br />मुहोब्बत में इतना न हमको सताओ<br />अभी तो मेरी ज़िन्दगी है परेशां<br />कहीं मर के हो खाक भी न परेशां<br />दिये की तरह से न हमको जलाओ - मुहोब्ब्त में<br />रफ़ी :<br />मैं सांसों के हर तार में छुप रहा हूँ<br />मैं धडकन के हर राग में बस रहा हूँ<br />ज़रा दिल की जानिब निगाहे झुकाओ - मुहोब्बत में<br />लता :<br />न होंगे अगर हम तो रोते रहोगे<br />सदा दिल का दामन भिगोते रहोगे<br />जो तुम पर मिटा हो उसे न मिटाओ - मुहोब्बत मेंशरद तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-4871575791373853152009-10-04T18:31:45.186+05:302009-10-04T18:31:45.186+05:30aavaaz de kar hamein tum bulaao muhaabbat mein itn...aavaaz de kar hamein tum bulaao muhaabbat mein itna ...शरद तैलंगhttps://www.blogger.com/profile/07021627169463230364noreply@blogger.com