tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post6087579152969504726..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: "कल नौ बजे तुम चाँद देखना..."- चाँद है आज भी प्रेम गीतों के लिए गीतकारों की प्रेरणानियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-70725591834687286542009-07-13T21:30:09.322+05:302009-07-13T21:30:09.322+05:30बोल खास पसंद आये। सुबह से कई बार सुन चुका हूँ। बिल...बोल खास पसंद आये। सुबह से कई बार सुन चुका हूँ। बिलकुल कविता जैसा गीत है भाई। आनंद आया।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-6378978220048604912009-07-13T18:37:32.054+05:302009-07-13T18:37:32.054+05:30गीत ने दिल को छू लियागीत ने दिल को छू लियाManju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-25107570197068019192009-07-13T11:43:54.140+05:302009-07-13T11:43:54.140+05:30बहुत ही खुबसूरत नग्मा. दोनों ने अपने मिलने का जो त...बहुत ही खुबसूरत नग्मा. दोनों ने अपने मिलने का जो तरीका खोजा वो इस नग्मे की खुसूरती है. अल्फाज़ की सादाबयानी देखते ही बनती है. मुझे याद आ रहा है कुछ तरह से अहमद फ़राज़ साहब का एक शेअर है उसमे भी एक दुसरे से मिलने को कुछ कुछ इसी अंदाज़ में बयां किया गया है. पहले मिसरा देखें <br /><br />"अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें <br />जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें"Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-33524274769442496202009-07-13T10:02:20.128+05:302009-07-13T10:02:20.128+05:30बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है. दिल को छूता हुआ मधुर...बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है. दिल को छूता हुआ मधुर गीतDishahttps://www.blogger.com/profile/14880938674009076194noreply@blogger.com