tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post6234940823858773055..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: है जिसकी रंगत शज़र-शज़र में, खुदा वही है.. कविता सेठ ने सूफ़ियाना कलाम की रंगत हीं बदल दी हैनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-18596899692090009912010-12-10T16:04:13.399+05:302010-12-10T16:04:13.399+05:30बहुत बढ़िया कलाम सुनवाया आपने दीपक जी, शुक्रिया.बहुत बढ़िया कलाम सुनवाया आपने दीपक जी, शुक्रिया.Pooja Anilhttps://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-91408078941333223172010-12-10T06:27:11.878+05:302010-12-10T06:27:11.878+05:30अवनीन्द्र जी,
एक बेहतरीन शेर और आपकी शुभकामनाओं ...अवनीन्द्र जी, <br /><br />एक बेहतरीन शेर और आपकी शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया..शुक्रिया..बहुत शुक्रिया :)<br /><br />खुशी हुई इतनी जो मिलीं आपकी दुआयें <br />कि जैसे फलक को छू लिया हो जमीं से.<br /><br />( स्वरचित )Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-86740163562468126542010-12-09T18:42:44.083+05:302010-12-09T18:42:44.083+05:30और हाँ, मेरे शेर की तारीफ़ करने का बहुत शुक्रिया.और हाँ, मेरे शेर की तारीफ़ करने का बहुत शुक्रिया.avenindrahttps://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-14417601770600665662010-12-09T18:40:45.146+05:302010-12-09T18:40:45.146+05:30शन्नो जी आप भी न इतनी छोटी सी बात पे इतना ज्यादा प...शन्नो जी आप भी न इतनी छोटी सी बात पे इतना ज्यादा परेशां हो जाती हैं सुनने मैं तो किसी से भी गलती हो सकती है ,,afterall हम इंसान हैं जो की गलतियों का पुतला होता है और ये गलती नहीं ग़लतफहमी है ,,और नीलम जी ने बताया आज आपका जन्मदिन है आप के लिए शुभकामना के साथ एक शेर अर्ज़ है--<br />-सारी कायनात तेरी खुशियों मैं शामिल हो जाये <br />खुदा का हर चेहरा तुझसे नाजिल हो जाये !<br />आज दिल से ये दुआ है मेरे दोस्त<br />तू जहाँ कदम रखे वो तेरी मंजिल हो जाये !!(स्वरचित)avenindrahttps://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-23490221564211151532010-12-09T17:52:47.424+05:302010-12-09T17:52:47.424+05:30आज शन्नो जी का जन्मदिन है गाँव वालों ........आज शन्नो जी का जन्मदिन है गाँव वालों ........neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-61050349792226141112010-12-09T05:10:39.016+05:302010-12-09T05:10:39.016+05:30लीजिये ये रहे अपने दो शेर:
1.
तुफ है उन कोशिशों पे...लीजिये ये रहे अपने दो शेर:<br />1.<br />तुफ है उन कोशिशों पे जो हुईं फना <br />क्या पता फलक में कुछ ऐब रहा हो. <br />2.<br />कहते है जिंदगी है फकत चार दिनों की<br />क्या पता फलक में कितना इंतज़ार हो. <br /><br />स्वयं रचित किये हैं :)Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-65899175438756002122010-12-09T00:38:07.205+05:302010-12-09T00:38:07.205+05:30अवनीन्द्र जी, मुझे मेरी गलती बताने का शुक्रिया..और...अवनीन्द्र जी, मुझे मेरी गलती बताने का शुक्रिया..और आपको बहुत बधाई :) आप लिखते भी बहुत अच्छा हैं. <br />जब मैंने गजल सुनी थी तो असल में मुझे खुद ही अपने पर पूरा एतबार नहीं था..केवल ख्याल ही था..क्योंकि मुझे तलक, फलक, और पलक में कन्फ्यूजन सा हो रहा था..लेकिन सबसे अधिक मुझे वहाँ पर ( पता नहीं क्यों ) तलक फिट लगता नजर आया. अब देखो फिर पछाड़ खा गयी..है न ? हा हा..अब आदत भी हो गयी है इसकी..फिर भी कोशिशों से बाज नहीं आती :) <br />अब तन्हा जी से गुजारिश है कि मुझे इस महफिल से आउट कर दें..या खुदा के नाम पर मैं खुद ही आउट हो जाऊँ :) यही सबके हित में होगा...Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-16564296492455286282010-12-09T00:01:18.635+05:302010-12-09T00:01:18.635+05:30चंद अशआर हाज़िर हैं:
नहीं पस्तो - बुलंद यकसां देख
...चंद अशआर हाज़िर हैं:<br />नहीं पस्तो - बुलंद यकसां देख<br />कि फ़लक कुछ है और ज़मीन कुछ है.- बहादुर शाह ज़फर.<br />ये किसको देख फ़लक से गिरा है गश खा कर<br />पड़ा ज़मीं पे जो नूरे-क़मर को देखते हैं. शेख इब्राहीम ज़ौक़<br />कहीं क़रीब था ये गुफ़्तगू क़मर ने सुनी<br />फ़लक पे आम हुई अख्तर-ए-सहर ने सुनी<br />सहर ने तारे से सुन कर सुनाई शबनम को<br />फ़लक की बात बता दी ज़मीं के महरम को.अल्लामा इकबाल <br />अवध लालAVADHhttps://www.blogger.com/profile/10249724769054535628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-67163203314610689722010-12-08T19:30:18.252+05:302010-12-08T19:30:18.252+05:30is nazm se roobaroo karaane ke liye shukriya VD bh...is nazm se roobaroo karaane ke liye shukriya VD bhai :)<br />-KuhooAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-23699110723358274972010-12-08T19:01:51.583+05:302010-12-08T19:01:51.583+05:30जवाब - फलक
शेर हाजिर है -
जैसे फलक पर चाँद चांद...जवाब - फलक <br />शेर हाजिर है -<br /> जैसे फलक पर चाँद चांदनी संग चमचमा रहा ,<br /><br /> वैसे ही खुदा फूलों की खुशबू बन जग महका रहा .<br /><br />स्वरचित - मंजू गुप्ताManju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-11582319768153229382010-12-08T18:26:08.175+05:302010-12-08T18:26:08.175+05:30है जिसकी कीमत हर एक कण मे ,खुदा वही है
है जिसने की...है जिसकी कीमत हर एक कण मे ,खुदा वही है<br />है जिसने की,झुक के इबादत,फलक है उसका,खुदा वही है.neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-68970816767734883192010-12-08T18:17:18.079+05:302010-12-08T18:17:18.079+05:30एक और बन पड़ा है अर्ज़ है
रफ्ता रफ्ता सेहर शब् क...एक और बन पड़ा है अर्ज़ है <br /><br />रफ्ता रफ्ता सेहर शब् को निगल रही है <br /><br />चारसू फलक की रंगत बदल रही है <br /><br />रात भर देखे जो ख्वाबों की खुमारी<br /><br />उनकी अंगड़ाई यों मैं मचल रही है !!(स्वरचित)avenindrahttps://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-29136842202920703562010-12-08T18:05:50.338+05:302010-12-08T18:05:50.338+05:30अभी अभी ताज़ा बन पड़ा है
उसका चेहरा आंसुओं से धुआ...अभी अभी ताज़ा बन पड़ा है <br /><br />उसका चेहरा आंसुओं से धुआं धुआं सा हुआ <br /><br />फलक पे चाँद तारों मैं गुमशुदा सा हुआ <br /><br />उसके साथ बीता ख़ुशी का हर लम्हा <br /><br />उसीकी याद से ग़मों का कारवाँ सा हुआ !! (स्वरचित)avenindrahttps://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-28015049760815498762010-12-08T17:55:25.070+05:302010-12-08T17:55:25.070+05:30शन्नो जी आपने सुनने मैं थोड़ी गलती कर दी गायब शब्द ...शन्नो जी आपने सुनने मैं थोड़ी गलती कर दी गायब शब्द तलक नहीं फलक है मुझे खेद है !<br />रफ़ी साहेब का गया हुआ है ये गीत <br />फलक पे जितने सितारे हैं वो भी शर्माए <br />ओ देने वाले मुझे इतनी जिन्दगी दे दे <br />येही सजा है मेरी मौत भी न आये मुझे <br />किसी को चैन मिले मुझको बेकसी दे देavenindrahttps://www.blogger.com/profile/02305378164295161479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-57880609168371296342010-12-08T14:26:33.979+05:302010-12-08T14:26:33.979+05:30और हाँ, मेरे शेर की तारीफ़ करने का बहुत शुक्रिया.और हाँ, मेरे शेर की तारीफ़ करने का बहुत शुक्रिया.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-28141531822126386102010-12-08T14:23:20.568+05:302010-12-08T14:23:20.568+05:30तन्हा जी,
ये महफिल आपकी मुट्ठी में है...जो चाहिय...तन्हा जी, <br /><br />ये महफिल आपकी मुट्ठी में है...जो चाहिये वो कीजिये :)और जहाँ तक हमारी वेवकूफियों का सवाल है...तो हम अपनी बदकिस्मती से कहीं न कहीं जरूर फिसल जाते हैं और करीब-करीब हर बार कहीं न कहीं किसी से पटकी खा जाते हैं ( अब आदत सी पड़ गयी है ):) पर ये गम जरा सी देर को रहता है..उसके बाद हम अपने को झाड़-पूँछ कर फिर तैयार कर लेते हैं...और फिर से मैदान में आकर डट जाते हैं. और किसी दूसरे को ख़िताब मिलते हुये देखकर हमें उतनी ही खुशी होती है जितनी हमें खुद के लिये होती ( अगर ख़िताब मिलता ) लेकिन इसमें कोई इतना दुखी होने वाली बात नहीं है...हा हा हा.. <br /> <br />पूजा को वधाई !<br /><br />इस बार की गजल बहुत अच्छी लगी और कविता जी के बारे में जानना भी. मेरे ख्याल से इस बार का गायब शब्द है '' तलक ''<br />लाओ फिर चलते-चलते एक शेर भी लिख जाऊँ :<br /> <br />कोशिशों से मुँह ना मोड़ेंगे कभी <br />रहेगी खुदा की इनायत जब तलक.<br /><br />( स्वरचित )<br /><br />खुदा हाफिज...Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.com