tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post6673954746031646124..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: एक तरफ़ उसका घर, एक तरफ़ मयकदा... .महफ़िल-ए-खास और पंकज उधासनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-47522394604602209132009-05-27T14:02:28.808+05:302009-05-27T14:02:28.808+05:30sher arj karne wala gaalib ko bayaan kar raha ho.....sher arj karne wala gaalib ko bayaan kar raha ho..... ,ki hume duniya ki idon se ...........neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-62078364629242040352009-05-27T07:04:45.985+05:302009-05-27T07:04:45.985+05:30तनहा जी,
दोबारा स और ज्यादा गौर किया शेर पर तो लगा...तनहा जी,<br />दोबारा स और ज्यादा गौर किया शेर पर तो लगा के..." जरूरत " होगा.....<br />फर्क ख़ास नहीं....पर इससे खूबसूरती बढ़ रही है,,,. नीलम जी,<br />एक बार आप भी डूब कर पढें..manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-59042398478108573602009-05-27T01:05:39.370+05:302009-05-27T01:05:39.370+05:30ग़ालिब को थोडा बहुत ही पढा है ....
शायद उनका नहीं...ग़ालिब को थोडा बहुत ही पढा है ....<br />शायद उनका नहीं है....<br />हाँ,,,<br />इस पर एक और याद आ गया ग़ालिब का...<br />न सताइश की तमन्ना, न सिले की परवाह,<br />न सही गर मेरे अश'आर में मानी न सही.....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-35011693273180936442009-05-26T22:19:45.275+05:302009-05-26T22:19:45.275+05:30जरूरत नहीं ...तमन्ना ही है,,
बाकी दोनों तो वजन में...जरूरत नहीं ...तमन्ना ही है,,<br />बाकी दोनों तो वजन में भी नहीं आ रहे ,,,,manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-85227852556378550592009-05-26T15:30:11.801+05:302009-05-26T15:30:11.801+05:30सजीव जी
गज़ल बहुत अच्छी लगी। आपके शेर में शायद तमन्...सजीव जी<br />गज़ल बहुत अच्छी लगी। आपके शेर में शायद तमन्ना शब्द आएगा। <br />शेर अर्ज़ है- मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी।<br />मुझको रातों की स्याही के सिवा कुछ ना मिला।।<br /> यह गज़ल भी सुनवा दें।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-41998626052623954042009-05-26T11:31:11.600+05:302009-05-26T11:31:11.600+05:30शायद "तमन्ना "है ,धूमिल सी याद है ,गलत भी हो सकता ...शायद "तमन्ना "है ,धूमिल सी याद है ,गलत भी हो सकता है जवाब |<br /><br />दिल की तमन्नाएँ अक्सर पूरी नहीं हुआ करती ,<br />चाह लो गर दिल से तो अधूरी नहीं रहा करतीneelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.com