tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post8869555149776293942..comments2024-03-19T02:10:35.267+05:30Comments on आवाज़: पॉडकास्ट कवि सम्मेलन - जनवरी २००९नियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-49248270103954304312009-02-04T19:43:00.000+05:302009-02-04T19:43:00.000+05:30Rameshwer Daysl Sharma Bhatt from Roorkee, India ...Rameshwer Daysl Sharma Bhatt from Roorkee, India<BR/> aaj phali bar maine aap ka yh kavi sammalan suna mrdula ji vastv main aap badhai ki patr hn jo asa accha krya kram hum hindi bhasi logo ke liy pash kiya, bhartiy kavi jaise Ashok Chakrdhar ji ya Hari om Panwar ji ki kavitaon ko aur sunviain to accha lgega.<BR/> subh kamnaon ke sath ......Unknownhttps://www.blogger.com/profile/12462560548008391544noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-24049255331256992032009-02-02T16:38:00.000+05:302009-02-02T16:38:00.000+05:30गीला गीला मन होता जब ,तुम आकर बस जाती हो रीता रीता...गीला गीला मन होता जब ,तुम आकर बस जाती हो रीता रीता मन होता जब झोंका बन छू जाती हो अजित जी की इस रचना को संगीत दे सकते हैं ,सजीव जी |<BR/><BR/>anuraag ji ki kavitaayen ,aur abhishek ji ki aawaj ne bhi khaasa prabhaavit kiya hai ,baaki sabhi guni jan to apni jagah hain hineelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-25289413051856689942009-01-27T20:57:00.000+05:302009-01-27T20:57:00.000+05:30सुरुचिपूर्ण रचनाएँ, ध्वन्यांकन में कहीं-कहीं सुधार...सुरुचिपूर्ण रचनाएँ, ध्वन्यांकन में कहीं-कहीं सुधार अपेक्षित. संचालन जानदार...शब्दचयन सटीकDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-16912259748366076092009-01-27T09:03:00.000+05:302009-01-27T09:03:00.000+05:30कवि सम्मेलन के दो भाग हैं, एक पद्यमय और दूसरा गद्...कवि सम्मेलन के दो भाग हैं, एक पद्यमय और दूसरा गद्यमय। पद्य में लालित्य होता है इसी कारण वे मन में स्थायी रूप से बस जाते हैं लेकिन मृदुलजी का गद्यमय संचालन इतना प्रभावी होता है कि सारे ही पद्यों से पूर्व उनका संचालन मन में जगह बना लेता है। वे कहती हैं कि मौन सर्वांश कहता है और वाक्य एकांश कहता है। वे मौन को मुखर बताती हैं साथ ही मन की विजय को भी अपना लक्ष्य बताकर हम सबके मनों पर विजयी हो जाती हैं। वे इसी तरह से अपने शब्दों के द्वारा हमें आप्लावित करती रहें और हम शब्दों की निर्झरणी में स्नान करते रहें। कवि सम्मेलन के दूसरे भाग में आस्ट्रेलिया से ध्रुव भरत जी की रचना ओ पेड़ तुम गिर क्यूँ नहीं जाते? वृद्धावस्था को संकेत है। लेकिन घर के बाहर लगा वृक्ष संरक्षक के रूप में होता है। जब वो गिर पड़ता है तब समझ आता है कि इसे के आसपास तो बच्चे घूम घूमकर खेला करते थे, यहीं तो कोयल गीत गाया करती थी और इसी के रुदन से निकले निर्यास से ऐसा गोंद निर्मित होता रहा है जो पीढ़ियों को जोड़ता रहा है। भाई ध्रुव जी को मेरा प्रणाम। कवि सम्मेलन में नेताजी सुभाष का स्मरण कविता की उपादेयता देश के प्रति समर्पण के भाव को दर्शाती है और अंत में राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त की रचना अनुराग जी के स्वर में सुनकर निराशा के बादल छंटने लगते हैं कि नर हो न निराश करो मन को। सभी कवियों की कवितां भी श्रेष्ठ रहीं सभी को मेरी शुभकामनाएं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-61130261833029052192009-01-27T09:01:00.000+05:302009-01-27T09:01:00.000+05:30कवि सम्मेलन के दो भाग हैं, एक पद्यमय और दूसरा गद्...कवि सम्मेलन के दो भाग हैं, एक पद्यमय और दूसरा गद्यमय। पद्य में लालित्य होता है इसी कारण वे मन में स्थायी रूप से बस जाते हैं लेकिन मृदुलजी का गद्यमय संचालन इतना प्रभावी होता है कि सारे ही पद्यों से पूर्व उनका संचालन मन में जगह बना लेता है। वे कहती हैं कि मौन सर्वांश कहता है और वाक्य एकांश कहता है। वे मौन को मुखर बताती हैं साथ ही मन की विजय को भी अपना लक्ष्य बताकर हम सबके मनों पर विजयी हो जाती हैं। वे इसी तरह से अपने शब्दों के द्वारा हमें आप्लावित करती रहें और हम शब्दों की निर्झरणी में स्नान करते रहें। कवि सम्मेलन के दूसरे भाग में आस्ट्रेलिया से ध्रुव भरत जी की रचना ओ पेड़ तुम गिर क्यूँ नहीं जाते? वृद्धावस्था को संकेत है। लेकिन घर के बाहर लगा वृक्ष संरक्षक के रूप में होता है। जब वो गिर पड़ता है तब समझ आता है कि इसे के आसपास तो बच्चे घूम घूमकर खेला करते थे, यहीं तो कोयल गीत गाया करती थी और इसी के रुदन से निकले निर्यास से ऐसा गोंद निर्मित होता रहा है जो पीढ़ियों को जोड़ता रहा है। भाई ध्रुव जी को मेरा प्रणाम। कवि सम्मेलन में नेताजी सुभाष का स्मरण कविता की उपादेयता देश के प्रति समर्पण के भाव को दर्शाती है और अंत में राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त की रचना अनुराग जी के स्वर में सुनकर निराशा के बादल छंटने लगते हैं कि नर हो न निराश करो मन को। सभी कवियों की कवितां भी श्रेष्ठ रहीं सभी को मेरी शुभकामनाएं। <BR/>अजितAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-64968332083672495302009-01-26T23:02:00.000+05:302009-01-26T23:02:00.000+05:30गणतँत्र दिवस की शुभेच्छाएँ ~~ और सभी को हमारी बहुत...गणतँत्र दिवस की शुभेच्छाएँ ~~<BR/><BR/> और सभी को हमारी बहुत बहुत बधाईयाँ<BR/><BR/> हिन्दी ब्लोग जगत मेँ ऐसे कवि सम्मेलन स्वागत योग्य हैँ --<BR/><BR/>और डा.मृदुल कीर्ति जी का<BR/> काव्य पँक्तियोँ के उध्धरण सहित,<BR/> निजी अनुभव तथा सँस्मरण सहित सँचालन..<BR/> भाई अनुराग जी द्वारा श्रध्धेय दद्दा<BR/> " मैथिली शरण गुप्त जी की अमर काव्य पँक्तियाँ <BR/>( खास कर भारत के किसान के प्रति )<BR/><BR/>- सुभाष बाबू को याद करना<BR/><BR/>शन्नो जी की कोमल कविता ,<BR/> शोभा जी,<BR/> डा.अजित जी,<BR/> भरत जी<BR/> और नीलम जी<BR/> तथा आदरणीय शर्मा जी की<BR/>(उनकी पत्नी के लिये पढी गई कविता)<BR/> तथा अन्य सारे प्रयास मन को छू गये -<BR/><BR/>ऐसे प्रयास अब भारत के कवि साथियोँ द्वारा भी शीघ्र सुनने को मिल पायेँ ऐसी कामना है -<BR/><BR/> शायद, जो तकनीकि ज्ञान रखते होँ वैसे हर शहर के हिन्दी साहित्य प्रेमी सुधिजन के <BR/> ई -मेल पते <BR/>हिन्दी युग्म टीम सुलभ करवायेँ<BR/> तब ये सही दिशा मेँ एक सार्थक कदम रहेगा -<BR/><BR/> ताकि ज्यादा से ज्यादा कवियोँ को सुना जा सके बहुत शुभकामनाओँ सहित, <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-20242349112940821792009-01-26T13:24:00.000+05:302009-01-26T13:24:00.000+05:30एक बार फ़िर बढ़िया प्रस्तुति, इस बार बहुत से नए लो...एक बार फ़िर बढ़िया प्रस्तुति, इस बार बहुत से नए लोगों ने इस सम्मलेन को सुना है. सभी बहुत प्रभावित दिखे. "पेड़ तुम गिर क्यों नही जाते" विशेष पसंद आई. मृदुल का सञ्चालन हर बार की तरह इस बार भी सब कविताओं पर भारी रहा....बहुत बहुत बधाईSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-21358544264862270952009-01-25T18:26:00.000+05:302009-01-25T18:26:00.000+05:30कवि सम्मेलन अच्छा लगा। गणतंत्र दिवस की बधाई।कवि सम्मेलन अच्छा लगा। गणतंत्र दिवस की बधाई।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-21168677082609010402009-01-25T14:15:00.000+05:302009-01-25T14:15:00.000+05:30सारा कवि सम्मलेन बहुत अच्छा लगा. मृदुल जी की प्रस्...सारा कवि सम्मलेन बहुत अच्छा लगा. मृदुल जी की प्रस्तुति और निखरी है इस बार. लावण्या जी, नीलम जी, अजीत जी और भरत जी की कवितायें बड़ी सुंदर थीं सम्पूर्ण भावों के साथ, और उनके पढने का अंदाज़ भी. भरत जी की कविता ने तो पेड़ के साथ शरीर के बूढे हो जाने के बाद उसकी निरर्थकता का बहुत ही अहसास कराया. कितनी बड़ी सचाई है यह जीवन की. और फिर अनुराग जी के अपने सुंदर सधे हुए अंदाज़ में पढ़ी हुई मैथिलीशरण जी की रचना ने अच्छा समापन किया. कवि सम्मलेन और तरक्की करे ऐसी कामना है मेरी. धन्यबाद.<BR/>शन्नोShanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2806191542948835941.post-37938263751315951892009-01-25T10:23:00.000+05:302009-01-25T10:23:00.000+05:30पॉडकास्ट कवि सम्मेलन की ओर लोगों का रूझान बढ़ रहा ...पॉडकास्ट कवि सम्मेलन की ओर लोगों का रूझान बढ़ रहा है, इसके लिए मृदुल जी, अनुराग जी और पूरी आवाज़ टीम बधाई के पात्र हैं। अभी तो प्रवासी कवियों की भागीदारी अधिक है। जैसे ही भारतीय कवियों को रिकॉर्डिंग कैसे करनी है, यह समझ में आ जायेगा, तब यह कार्यक्रम माह में ४ बार करना होगा।<BR/><BR/>लावण्या जी, भरत जी और नीलम जी का काव्यपाठ ख़ासा पसंद आया। अनुराग जी की प्रस्तुति के लिए तो साधुवाद ही दिया जा सकता है। महाकवि की कविता के ऊपर क्या कहना!शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.com