मजरूह सुल्तानपुरी एक ऐसे गीतकार रहे हैं जिनका करीयर ४० के दशक में शुरु हो कर ९० के दशक के अंत तक निरंतर चलता रहा और हर दशक में उन्होंने अपना लोहा मनवाया। कल हमनें १९७३ की फ़िल्म 'अभिमान' का गीत सुना था। आज भी इसी दशक में विचरण करते हुए हमनें जिस संगीतकार की रचना चुनी है, वो हैं राजेश रोशन। वैसे तो राजेश रोशन के पिता रोशन के साथ भी मजरूह साहब नें अच्छा काम किया, फ़िल्म 'ममता' का संगीत उसका मिसाल है; लेकिन क्योंकि हमें १०-कड़ियों की इस छोटी सी शृंखला में अलग अलग दौर के संगीतकारों को शामिल करना था, इसलिए रोशन साहब को हम शामिल नहीं कर सके, लेकिन इस कमी को हमन उनके बेटे राजेश रोशन को शामिल कर पूरा कर रहे हैं। एक बड़ा ही लाजवाब गीत हमनें सुना है मजरूह-राजेश कम्बिनेशन का, १९७७ की फ़िल्म 'दूसरा आदमी' से। "आओ मनायें जश्न-ए-मोहब्बत जाम उठायें जाम के बाद, शाम से पहले कौन ये सोचे क्या होना है शाम के बाद"। हज़ारों गीतों के रचैता मजरूह सुल्तानपुरी के फ़न की जितनी तारीफ़ की जाये कम है। ज़िक्र चाहे दोस्त के दोस्ती की हो या फिर महबूब द्वारा अपने महबूबा से छुवन का पहला अहसास, मुश्किल से मुश्किल भाव को भी बड़े ही सहजता से व्यक्त करना उनका कमाल था और बड़ी ख़ूबसूरती के साथ इन अहसासों को वे लफ़्ज़ों में पकड़ लेते थे। लता मंगेशकर और किशोर कुमार की आवाज़ों में आज का प्रस्तुत गीत भी इन्हीं में से एक है।
फ़िल्म संगीत का स्वर्णयुग बीत जाने के बाद भी मजरूह सुल्तानपुरी अपने स्तर को कायम रखने में सक्षम थे। जहाँ दूसरे गीतकार फ़िल्म निर्माता के डिमाण्ड के मुताबिक सस्ते और चल्ताउ किस्म के गीत लिख रहे थे और उन्हें पब्लिक डिमाण्ड कह कर चला रहे थे, वहीं दूसरी तरफ़ कुछ गिने-चुने गीतकारों नें यह साबित भी किया कि अगर सृजनात्मक्ता है तो तमाम पाबंदियों में रह कर भी अच्छा गीत लिखा जा सकता है। मजरूह साहब भी इन गिने चुने गीतकारों में से थे। शारीरिक संबंध और पैशन को अश्लील और खुले शब्दों में व्यक्त करने का काम तो बहुत से गीतकारों नें हाल में किया है, लेकिन मजरूह साहब नें कई बार ऐसे सिचुएशनों के लिये भी कुछ ऐसे सुंदर गीत लिखे हैं जो यौनोत्तेजक होते हुए भी उनमें कितनी सुंदर अभिव्यक्ति हुई है। मजरूह साहब के ही शब्दों में - "I have said it all in so many songs, without resorting to cheapness or blatant verse"। उनका कहना बिल्कुल सही है। फ़िल्म 'अनामिका' में लता जी से ही गवाया गया था "बाहों में चले आओ, हमसे सनम क्या परदा"। अगर इस गीत को दूसरे अंदाज़ में लिखा गया होता तो शायद लता जी इस गीत को कभी नहीं गातीं, लेकिन सेन्सुअस होते हुए भी शालीनता को बरकरार रखते हुए मजरूह साहब नें इस गीत को जो अंजाम दिया है कि लता जी भी गीत को गाने के लिये राज़ी हो गईं, जब कि फ़िल्म के सभी दूसरे गीत आशा जी की आवाज़ में है। और आज के अंक के 'दूसरा आदमी' के गीत को ही ले लीजिये, इसके अंतरे के बोलों पर ज़रा ध्यान दीजिये, "ये आलम है ऐसा, उड़ा जा रहा हूँ, तुम्हें लेके बाहों में, हमारे लबों से तुम्हारे लबों तक, नहीं कोई राहों में, कैसे कोई अब दिल को सम्भाले, इतने हसीं पैग़ाम के बाद, शाम से पहले कौन ये सोचे क्या होना है शाम के बाद"। गीत के पिक्चराइज़ेशन की बात करें तो यह पार्श्व में चलने वाला गीत है, यानी किसी अभिनेता ने लिप-सींक नहीं किया है। पार्टी में ॠषी कपूर और राखी डांस करते हुए दिखाये जाते हैं और राखी को मन ही मन चाहने वाले परीक्षित साहनी दूर खड़े उन्हें देखते रहते हैं। और घर में तन्हाई में बैठी नीतू सिंह अपने पति ॠषी कपूर के दफ़्तर से वापस लौटने का इंतज़ार कर रही है। वैवाहिक संबंधों के तानेबाने पर केन्द्रित यश चोपड़ा की इस फ़िल्म के सभी गानें लोकप्रिय हुए थे, लेकिन यह गीत फ़िल्म का सब से उत्कृष्ट गीत है हमारी नज़र में, आइए सुना जाये!
क्या आप जानते हैं...
कि मजरूह सुल्तानपुरी के बेटे अंदलिब सुल्तानपुरी फ़िल्म जगत में एक निर्देशक की हैसियत रखते हैं। 'जानम समझा करो' उन्हीं के निर्देशन में बनी पहली फ़िल्म थी।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 9/शृंखला 17
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - बेहद आसान.
सवाल १ - फिल्म में नायक के भाई की भूमिका किस कलाकार ने निभायी है - ३ अंक
सवाल २ - संगीतकार बताएं - १ अंक
सवाल ३ - निर्देशक कौन है इस खूबसूरत फिल्म के - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अविनाश जी ने दूसरी कोशिश में कैच पूरा किया और लपक लिए ३ अंक. प्रतीक जी और क्षिति जी को भी बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी

1.Mamik Singh
ReplyDeleteDirector is Mansoor Khan
ReplyDeleteSangeetkaar - Jatin - Lalit
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