Sunday, May 10, 2009

जाऊं कहाँ बता ये दिल....मुकेश की आवाज़ में एक दर्द भरा नग्मा



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 76

मुकेश के गाए हुए इतने सारे दर्द भरे नग्में हैं कि उनमें सर्वश्रेष्ठ कौन सा है यह कह पाना आसान ही नहीं नामुमकिन है। और ज़रूरत भी क्या है! हमें तो बस चाहिये कि इन गीतों को लगातार सुनते चले जायें और उनका रस-पान करते चले जायें। आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में फिर एक बार मुकेश की दर्दभरी आवाज़ गूंज रही है दोस्तों। और इस बार हमने चुना है फ़िल्म 'छोटी बहन' का वह सदाबहार गीत जो इस आत्म-केन्द्रित समाज की कड़वाहट को बहुत मीठे सुर में बयाँ करती है। जी हाँ, "जाऊं कहाँ बता ऐ दिल, दुनिया बड़ी है संगदिल, चाँदनी आयी घर जलाने, सूझे ना कोई मंज़िल"। १९५९ में यह फ़िल्म आयी थी प्रसाद प्रोडक्शन्स के बैनर तले जिसका निर्देशन भी ख़ुद एल. वी. प्रसाद ने ही किया था। बलराज साहनी, रहमान और नंदा के अभिनय से सजी इस फ़िल्म के संगीतकार थे शंकर जयकिशन, जिन्होने एक बार फिर से अपने संगीत के जलवे बिखेरे इस फ़िल्म के गीतों में। शैलेन्द्र के लिखे इस गीत को भी शंकर जयकिशन ने ऐसे भावुक धुनों में पिरोया है कि जब भी यह गीत हम सुनते है तो जैसे कलेजा चीर के रख देता है। गीत के बीच बीच में शामिल किये गये संवाद इस असर को और ज़्यादा बढ़ा देता है।

'छोटी बहन' फ़िल्म का वह सदाबहार राखी गीत तो आप को याद ही होगा, है ना? "भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना..." इस गीत में नंदा अपने दो भाई, बलराज साहनी और रहमान के कलाइयों पर राखी बांधती है। फ़िल्म में आगे चलकर हालात बिगड़ते हैं। रहमान जिस लड़की से शादी करते हैं वह घर में आते ही भाई बहनों के रिश्तों में ज़हर घोलने लगती है। अपनी पत्नी के बहकावे में आकर रहमान अपने बड़े भाई बलराज, बहन नंदा और घर के दूसरे सदस्यों से बुरा बर्ताव करता है और अलग हो जाता हैं। बाद में जब रहमान को अपनी ग़लती का अहसास होता है तो उन्हे बहुत पछतावा होता है। और प्रस्तुत गीत उनके इसी पछतावे को दर्शाता है। गीतकार शैलेन्द्र ने जिस सीधे सरल तरीके से रहमान के दिल की अवस्था को प्रस्तुत किया है, वह सही में लाजवाब है। लताजी को यह गाना इतना पसंद है कि जब भी वो मुकेश से मिलती थीं तो उनसे यह गीत गाने की गुज़ारिश करतीं। और आपको पता है मुकेश साहब उनकी इस फ़र्माइश को सुनकर क्या कहते? वो कहते, "ज़रूर सुनाउँगा, लेकिन तुम्हे पहले "लग जा गले के फिर यह हसीन रात हो ना हो" गाना पड़ेगा!" तो लीजिए सुनिए दर्द में डूबा हुआ यह गीत मुकेश के स्वर में।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -

१. किशोर कुमार और मीना कुमारी है इस फिल्म में.
२. जां निसार अख्तर साहब का लिखा एक रूमानी गीत.
३. मुखड़े की पहली पंक्ति इस शब्द पर खत्म होती है -"तुम".

कुछ याद आया...?

पिछली पहेली का परिणाम -
चलिए आखिरकार सुमित जी विजेता बन ही गए. बधाई हो भाई. रचना जी, संगीता जी और भारत पंडया जी आप सभी को भी सही गीत की बधाई...

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.



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7 श्रोताओं का कहना है :

Unknown का कहना है कि -

बडे अच्छे लगते है ये धरती ये रैना ये मौसम और तुम.......इस बार भी अंदाजा लगा रहा हूँ

Unknown का कहना है कि -

बडे अच्छे लगते है ये धरती ये रैना ये मौसम और तुम.......इस बार भी अंदाजा लगा रहा हूँ

विजय तिवारी " किसलय " का कहना है कि -

अभिनंदनीय प्रयास है आपका ,
मुकेश जी को कौन नहीं पढना और सुनना चाहेगा .
- विजय

Parag का कहना है कि -

स्वर्गीय मुकेश जी का यह रसीला गीत सुनाने के लिए धन्यवाद. इसी फिल्म में गायक सुबीर सेन ने अपना पहला गीत गाया था लता जी के साथ "मैं रंगीला प्यार का राही". सुबीर जी की आवाज़ बहुत मिलती हैं गायक संगीतकार हेमंतकुमार जी के आवाज़ से. और एक गायक हैं जिनकी आवाज़ भी हेमंतदा के आवाज़ से मिलती हैं, जिनका नाम हैं द्विजेन मुख़र्जी. उनका गया हुआ गीत "ए दिल कहाँ तेरी मंजिल" काफी लोकप्रिय हुआ था.

पहेली का जवाब मेरे ख्याल से है

मेरी नींदों में तुम
मेरे ख्वाबों में तुम
हो चुके हम तुम्हारी
मोहब्बत में गुम

इसे गाया हैं किशोरदा और शमशाद बेगम जी ने, और संगीतकार है ओमकार प्रसाद नय्यर !

आपका आभारी
पराग

Gajendra का कहना है कि -

As usual parag ji mere se pehle pahonch gaye. posts seem synchronised with USA ;)

He's right again.

निर्मला कपिला का कहना है कि -

मेरा सब से मनपसंद गीत है बहुत बहुत आभार

pawan arora का कहना है कि -

bahot baria...

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