Friday, January 30, 2009

"केसरिया बालमा..", मांड एक - फनकार अनेक




राजस्थान के राजाओं की रूमानी कहानियों पर आधारित लोक गीत हैं जिन्हें मांड कहा जाता है. रेगिस्तान की मिटटी में रचे बसे इस राग पर जाने कितनी रचनाएँ बनी, जब भी किसी गायक/गायिका ने मांड को स्वर दिया सुनने वालों के जेहन में ऊंठों के गुजरते काफिलों पर गाते बंजारों की यायावरी जीवंत हो गई.

मांड ने हमेशा से संगीत प्रेमियों के के दिलों पर राज किया है. देशी- विदेशी सब पर इसने अपना जादू चलाया है. सही मायनों में मांड राजस्थानी लोक संस्कृति की सच्ची पहचान है. मांड के बारे में में संजय पटेल भाई ने हमें जानकारी दी कि पंडित अजय चक्रवर्ती के शोधों के अनुसार मांड के कई रंग होते है,और तक़रीबन सौ तरह की माँडें गाई बजाई जातीं रहीं हैं.

"केसरिया बालमा..." की धुन से हर संगीत प्रेमी परिचित है. ये लोक गीत मांड का एक शुद्धतम रूप है. बरसों बरस जाने कितने फनकारों ने इसे अपनी आवाज़ में तराशा. इसे गाने बजाने के मोह से शायद ही कोई बच पाया हो. यहाँ तक कि आज के पॉप गायक/ गायिकाएं भी इसके सम्मोहन में डूबे नज़र आए हैं. चलिए अब बातों को विराम देते हैं और आपको सुनवाते हैं मुक्तलिफ़ गायक /गायिकाओं की आवाज़ में "केसरिया" रंग रंगा राग मांड.

सबसे पहले सुनिए अल्लाह जिला बाई के कंठ स्वरों का नाद -


शुभा मुदगल के अंदाज़ का आनंद लें -


अकबर अली का निराला अंदाज़ -


ज़रीना बेगम -


लता मंगेशकर ने भी इसे गाया फ़िल्म "लेकिन" में -


पॉप/रॉक संगीत के अगुवा पलाश सेन भी पीछे नही रहे -


उम्मीद है कि "मिटटी के गीत" शृंखला की ये प्रस्तुति आपको पसंद आई होगी...जल्द ही मिलेंगें किसी अन्य प्रदेश के लोक संगीत का जायका लेकर.




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8 श्रोताओं का कहना है :

Unknown का कहना है कि -

ये गाना मुझे बहुत पसंद है मैने ये बहुत बार सुना है और हर बार बहुत अच्छा लगा

Anita kumar का कहना है कि -

excellent idea , excellent presentation...congratulations

राज भाटिय़ा का कहना है कि -

बहुत सुंदर गीत.
धन्यवाद

Anonymous का कहना है कि -

केसरिया बालम .... मांड एक फ़नकार अनेक में मुरलीधर गौड़ की रचना का उदाहरण देते हुए लिखा गया हैं कि उन्होंने अपनी कविता में मांड़ को बेटी का दर्जा दिया है दरसल उनकी इस कविता में मांड़ का अर्थ लोकगीत से नहीं है वरन उसका अर्थ है चित्र बनाना लिखना, खींचना । अत: इस कविता में पिता अपनी बेटी से कह रहा है कि ’खींच बेटी खींच, खींच आडी लकीर खींच, ्खडी लकीर खींच , दाएं हाथ का चूल्हा यानी C जैसा लिख ऊपर मुखी चूल्हो यानी U जैसा लिख इत्यादि ।

Smart Indian का कहना है कि -

शुभा मुदगल की प्रस्तुति सबसे अच्छी लगी. शरद तैलंग जी जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद के पात्र हैं.

नियंत्रक । Admin का कहना है कि -

शरद जी धन्येवाद जानकारी के लिए, कविता का रेफेरेंस हटा लिया गया है

neelam का कहना है कि -

palaash ji ka gaana hajam nahi ho raha hai ,baaki alag alag andaaj ke saare gaanon ko sunwaane ka aawaj ki team ko bahut bahut shukriya

Unknown का कहना है कि -

और यहाँ आप मेहदी हसन साहब का ज़िक्र भी कर देते तो और भी थोड़ा बेहतर लगता ।

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