लता मंगेशकर का जीवन परिचय
लता का परिवार |
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वे पतली दुबली किन्तु दृढ़ निश्चयी थीं। उनकी बहनें हमेशा उनके साथ रहतीं। मुम्बई की लोकल ट्रेनों में सफर करते हुए उन्हें आखिरकार "आप की सेवा में (’४७)" पार्श्व गायिका के तौर पर ब्रेक मिल गया। अमीरबाई , शमशाद बेगम और राजकुमारी जैसी स्थापित गायिकाओं के बीच उनकी पतली आवाज़ ज्यादा सुनी नहीं जाती थी। फिर भी, प्रमुख संगीतकार ग़ुलाम हैदर ने लता में विश्वास दिखाते हुए उन्हें मजबूर और पद्मिनी(बेदर्द तेरे प्यार को) में काम दिया जिसको थोड़ी बहुत सराहना मिली। पर उनके टेलेंट को सच्ची कामयाबी तब मिली जब १९४९ में उन्होंने तीन जबर्दस्त संगीतमय फिल्मों में गाना गाया। ये फिल्में थीं- नौशाद की "अंदाज़", शंकर-जयकिशन की "बरसात" और खेमचंद प्रकाश की "महल"। १९५० आते आते पूरी फिल्म इंडस्ट्री में लता की हवा चल रही थी। उनकी "हाई-पिच" व सुरीली आवाज़ ने उस समय की भारी और नाक से गाई जाने वाली आवाज़ का असर खत्म ही कर दिया था। लता की आँधी को गीता दत्त और कुछ हद तक शमशाद बेग़म ही झेल सकीं। आशा भोंसले भी ४० के दशक के अंत में आते आते पार्श्व गायन के क्षेत्र में उतर चुकीं थी।
आशा, मीना, लता, हृदयनाथ और ऊषा मंगेशकर |
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उन्होंने १९५८ की मधुमति फिल्म में "आजा रे परदेसी..." गाने के लिये फिल्म फेयर अवार्ड भी जीता। ऋषिकेष मुखर्जी की "अनुराधा" में पंडित रवि शंकर की धुनों पर गाने गाये और उन्हें काफी तारीफ़ मिली। उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू लता के गैर फिल्मी देशभक्ति गीत "ऐ मेरे वतन के लोगों..." से अति प्रभावित हुए और उन्हें १९६९ में पद्म भूषण से भी नवाज़ा गया।
७० और ८० के दशक में लता ने तीन प्रमुख संगीत निर्देशकों लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, आर.डी. बर्मन और कल्याण जी-आनंदजी के साथ काम किया। चाहें सत्यम शिवम सुंदरम हो, शोले या फिर मुकद्दर का सिकंदर, तीनों में लता ही केंद्र में रहीं। १९७४ में लंदन में आयोजित लता के "रॉयल अल्बर्ट हॉल" कंसेर्ट से बाकि शो के लिये रास्ता पक्का हो गया। ८० के दशक के मध्य में डिस्को के जमाने में लता ने अचानक अपना काम काफी कम कर दिया हालांकि "राम तेरी गंगा मैली" के गाने हिट हो गये थे। दशक का अंत होते होते, उनके गाये हुए "चाँदनी" और "मैंने प्यार किया" के रोमांस भरे गाने फिर से आ गये थे। तब से लता ने अपने आप को बड़े व अच्छे बैनरों के साथ ही जोड़े रखा। ये बैनर रहे आर. के. फिल्म्स (हीना), राजश्री(हम आपके हैं कौन...) और यश चोपड़ा (दिलवाले दुल्हनियाँ ले जायेंगे, दिल तो पागल है, वीर ज़ारा) आदि। ए.आर. रहमान जैसे नये संगीत निर्देशक के साथ भी, लता ने ज़ुबैदा में "सो गये हैं.." जैसे खूबसूरत गाने गाये।
आजकल, लता मास्टर दीनानाथ अस्पताल के कार्यों में व्यस्त हैं। वे क्रिकेट और फोटोग्राफी की शौकीन हैं। लता, जो आज भी अकेली हैं, अपने आप को पूरी तरह संगीत को समर्पित किया हुआ है। वे अभी भी रिकॉर्डिंग के लिये जाने से पहले कमरे के बाहर अपनी चप्पलें उतारती हैं। लता मंगेशकर जैसी शख्सियतें विरले ही जन्म लेती हैं। लता जी को जन्मदिन की अग्रिम बधाई...
२६ सितम्बर को हेमन्त कुमार की १९वीं पुण्यतिथि है, तो क्यों न इस अवसर हेमन्त कुमार द्वारा संगीतबद्ध लता मंगेशकर की आवाज़ में 'खामोशी' (१९६९) फिल्म अमर गीत 'हमने देखी हैं इन आँखों की महकती खुश्बू' सुन लिया जाय। यह एक महान संगीतकार-गायक को हमारी श्रद्दाँजलि होगी। इस अमर गीत को गुलज़ार ने लिखा है।
प्रस्तुति- तपन शर्मा चिंतक
स्रोत- अंग्रेजी विकिपीडिया तथा अन्य इंटरनेटीय सजाल
आशा, मीना, लता, हृदयनाथ और ऊषा मंगेशकर |
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लता, आशा, ऊषा, मीना और शिवाजी गणेशन की विवाह की एक पॉर्टी के मौके पर |
चित्र साभार- हामराफोटोज़
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9 श्रोताओं का कहना है :
शानदार जानकारी भरी प्रस्तुति!
- लावण्या
धन्यवाद एक सुन्दर जानकारी ओर सुन्दर चित्रो के लिये ओर एक बहुत ही सुन्दर ओर मनपंसद गीत सुनाने के लिये
lata ji ke bare mein padhkar acha laga..
bahut sari jankari mili yeh article padhkar
shukriya
बहुत सुंदर और जानकारी से भरी प्रस्तुति. लता जी के जीवन की जानकारी प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
तपन भाई,
आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। ये काम बहुत आगे तक लोगों के काम आयेंगे। मशहूर हस्तियों के बारे में हिन्दी में सामग्रियों की बहुत कम उपलब्धता है। यह हिन्दी सेवा है भाई। लगे रहो।
यह गीत तो सभी को पसंद होगा।
लता दी के बारे में जितना भी कहा जाए उतना कम है।
तपन जी , आपने उनके बारे में इतनी जानकारियाँ दीं।
बधाई स्वीकारें।
तपन जी एक बार फ़िर इस "थैक्लेस" जॉब को हंस हंस कर करने के लिए आपको नमन, तस्वीरें कमाल की हैं और गीत मेरा हमेशा का पसंदीदा, परदे के पीछे के सूत्रधार को भी बधाई :)
आज सारा दिन हिन्दयुग्म पर ही बिता और अंत में लता जी पर इतना अच्छा लेख,फोटो और गीत उपलब्ध कराने के लिए...तपन जी बहुत-बहुत धन्यवाद
लता जी आपको जन्मदिवस की ढेरो सुभकामनाएँ. आप संगीत जगत में ऐसे ही जगमगाती रहे और इस स्वर कोकिला की कोमल आवाज़ से सम्पूर्ण विश्व आनंदित होता रहे.
धन्यवाद! अनमोल शख्सियत लता जी का हिन्दी में इतना सुन्दर आलेख देने के लिए।
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