मंटो की एक लघुकथा
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'बड़े घर की बेटी' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं मंटो की एक लघुकथा, जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 2 मिनट।
संचिका पर इस कहानी का टेक्स्ट उपलब्ध कराने के लिए हम लवली कुमारी जी के आभारी हैं
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
पागलख़ाने में एक पागल ऐसा भी था जो ख़ुद को ख़ुदा कहता था. ~ सआदत हसन मंटो (१९१२-१९५५) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी लोग लुटा हुआ माल डर के मारे अँधेरे में बाहर फेंकने लगे. कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने मौका पाकर अपना माल भी अपने से अलग कर दिया ताकि कानूनी गिरफ्त से बचे रहें. (मंटो की लघुकथा से एक अंश) |
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VBR MP3 | 64Kbps MP3 | Ogg Vorbis |
#Fifteenth Story, Laghukatha: Sa'adat Hasan Manto/Hindi Audio Book/2009/10. Voice: Anurag Sharma
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8 श्रोताओं का कहना है :
बहुत सुन्दर कहनी सुनाने के लिये अनुराग जी का ध्न्यवाद्
आभार इसे सुनवाने का.
बहुत खुसी हुई आपने इस सुन्दर कहानी को अपनी आवाज दी.आपका यह प्रयास अद्वितीय यह पहले भी कह चुकी हूँ. बहुत धन्यवाद इसके चयन के लिए.
बहुत ही बढ़िया। अब तो मीत भाई शायद कथापाठ शुरू करेंगे।
बस पाँच पंक्तियों में बात कह जाने की अदा भी खूब होती है। यह कहानी यही साबित करती है। अनुराग जी का प्रयास बेहद प्रशंसनीय हैं। ये कहानियाँ आसानी से उपलब्ध नहीं होती। चलिए इसी बहाने हम इन कहानियों से रूबरू तो हो जाते हैं।
कहानी की शुरूआत "लुटा" हुआ माल से हुई है,मुझे लगा कि यह "लूटा" हुआ माल होना चाहिए, ना कि "लुटा" हुआ,क्योंकि उन लोगों ने माल लूटा था ना कि उनसे लूटा गया था। वैसे यह मेरी सोच है।
धन्यवाद,
विश्व दीपक
waah bahut khoob
पलक झपकते ही कहानी समाप्त हो गई. काश पूरी सुन पाती. अनुराग जी के पढने का लहजा बहुत ही साफ़ व सुंदर है.
just one word!!!!
AWESOME...........
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