Sunday, November 30, 2008

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन - नवम्बर २००८




Doctor Mridul Kirti - image courtesy: www.mridulkirti.com
डॉक्टर मृदुल कीर्ति
कविता प्रेमी श्रोताओं के लिए प्रत्येक मास के अन्तिम रविवार का अर्थ है पॉडकास्ट कवि सम्मेलन। लीजिये आपके सेवा में प्रस्तुत है नवम्बर २००८ का पॉडकास्ट कवि सम्मलेन। अगस्त, सितम्बर और अक्टूबर २००८ की तरह ही इस बार भी इस ऑनलाइन आयोजन का संयोजन किया है हैरिसबर्ग, अमेरिका से डॉक्टर मृदुल कीर्ति ने। आवाज़ की ओर से हर महीने प्रस्तुत किए जा रहे इस प्रयास में गहरी दिलचस्पी और सहयोग के लिए धन्यवाद! आप सभी के प्रेम के लिए हम आपके आभारी हैं। इस बार भी हमें अत्यधिक संख्या में कवितायें प्राप्त हुईं और हमें आशा है कि आप अपना सहयोग इसी प्रकार बनाए रखेंगे। हम बहुत सी कविताओं को उनकी उत्कृष्टता के बावजूद इस माह के कार्यक्रम में शामिल नहीं कर सके हैं और इसके लिए क्षमाप्रार्थी है। कुछ कवितायें समयाभाव के कारण इस कार्यक्रम में स्थान न पा सकीं एवं कुछ रिकॉर्डिंग ठीक न होने की वजह से। कवितायें भेजते समय कृपया ध्यान रखें कि वे १२८ kbps स्टीरेओ mp3 फॉर्मेट में हों और पृष्ठभूमि में कोई संगीत न हो। ऑडियो फाइल के साथ अपना पूरा नाम, नगर और संक्षिप्त परिचय भी भेजना न भूलें ।

पॉडकास्ट कवि सम्मेलन भौगौलिक दूरियाँ कम करने का माध्यम है और इसमें विभिन्न देश, आयु-वर्ग, एवं पृष्ठभूमि के कवियों ने भाग लिया है। इस बार के पॉडकास्ट कवि सम्मेलन की शोभा को बढाया है शेफाली, बोकारो से पारुल, फ़रीदाबाद से श्रीमती शोभा महेन्द्रू, सिनसिनाटी (यू एस) से श्रीमती लावण्या शाह, लन्दन (यू के) से श्रीमती शन्नो अग्रवाल, हैदराबाद से डॉक्टर रमा द्विवेदी, वाराणसी से डॉक्टर शीला सिंह, उदयपुर से डॉक्टर श्रीमती अजित गुप्ता, गाजियाबाद से कमलप्रीत सिंह, कोलकाता से अमिताभ " मीत", तथा पिट्सबर्ग (यू एस) से अनुराग शर्मा ने। ज्ञातव्य है कि इस कार्यक्रम का संचालन किया है हैरिसबर्ग (अमेरिका) से डॉक्टर मृदुल कीर्ति ने।

पिछली बार के सम्मेलन से हमने एक नया खंड शुरू किया है जिसमें हम हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य कवियों का संक्षिप्त परिचय और उनकी एक रचना को आप तक लाने का प्रयास करते हैं। इसी प्रयास के अंतर्गत इस बार हम सुना रहे हैं अमर-गीत "वंदे मातरम" और उसके रचयिता जाने-माने कथाकार, उपन्यासकार, चित्रकार, चिन्तक, कवि एवं गीतकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का परिचय। "वंदे मातरम्" का सस्वर उद्घोष हमारे कवियों एवं आवाज़ की और से मुम्बई के ताज़ा आतंकी हमले में अपना जीवन देश पर न्योछावर करने वाले वीरों के प्रति एक श्रद्धांजलि भी है।

पिछले सम्मेलनों की सफलता के बाद हमने आपकी बढ़ी हुई अपेक्षाओं को ध्यान में रखा है। हमें आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि इस बार का सम्मलेन आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा और आपका सहयोग हमें इसी जोरशोर से मिलता रहेगा। यदि आप हमारे आने वाले पॉडकास्ट कवि सम्मलेन में भाग लेना चाहते हैं तो अपनी आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके podcast.hindyugm@gmail.com पर भेजें। कवितायें भेजते समय कृपया ध्यान रखें कि वे १२८ kbps स्टीरेओ mp3 फॉर्मेट में हों और पृष्ठभूमि में कोई संगीत न हो। आपकी ऑनलाइन न रहने की स्थिति में भी हम आपकी आवाज़ का समुचित इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। पॉडकास्ट कवि सम्मेलन के दिसम्बर अंक का प्रसारण २८ दिसम्बर २००८ को किया जायेगा और इसमें भाग लेने के लिए रिकॉर्डिंग भेजने की अन्तिम तिथि है २१ दिसम्बर २००८

नीचे के प्लेयर से सुनें:


यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis


हम सभी कवियों से यह अनुरोध करते हैं कि अपनी आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके podcast.hindyugm@gmail.com पर भेजें। आपकी ऑनलाइन न रहने की स्थिति में भी हम आपकी आवाज़ का समुचित इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे।

रिकॉर्डिंग करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। हिन्द-युग्म के नियंत्रक शैलेश भारतवासी ने इसी बावत एक पोस्ट लिखी है, उसकी मदद से आप रिकॉर्डिंग कर सकेंगे।

अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।

# Podcast Kavi Sammelan. Part 5. Month: November 2008.


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10 श्रोताओं का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

पोडकास्ट कवि सम्मेलन का यह अंक भी बहुत प्रभावी रहा। मृदुल जी का सशक्त संचालन और कवियों की मधुर आवाज में कविताएँ- शन्नो जी की जीवन सुरभि बहुत अच्छी लगी। रचना की अलौकिकता विशेष प्रभावी रही। इस अलौकिकता ने महादेवी जी का स्मरण करा दिया। लावण्या शाह जी ने पंडित नरेन्द्र शर्मा जी की रचना- आज के बिछुड़े ना जाने कब मिलेंगें पढ़ी। रचना को छू गई। वियोग की पीड़ा इतनी सजीव थी कि आँखें भर आई।

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

इस कवि सम्मलेन में आध्यात्मिकता, अलौकिकता, वेदना और हार-जीत की भावनाओं का खूब अनोखा संगम रहा. शायद इन्हीं को शब्दों में व्यक्त करने का नाम कविता है. और मृदुल जी का कहा हर शब्द ही अपने आप में एक कविता है. फिर वह बंदेमातरम का गाना अंत में. वाह!
'तारीफ करुँ किसकिसकी
जिसने है काव्य सुनाया
मन मेरा छूकर सबने
मुझे भावुक और बनाया'.

Sajeev का कहना है कि -

सच कहूँ तो ऐसा कवि सम्मलेन मैंने कभी कभी नहीं सुना, मृदुल जी की आवाज़ को तो बस सुनते जाने का मन करता है क्या खूब प्रस्तुति है उनकी...इस बार सब कुछ बेहद उत्कृष्ट था पारुल का गायन विशेष रूप से भाया....अंत तो भावुक कर गया आप सब को बहुत बहुत बधाई इस आयोजन को इतना सफल बनाने के लिए.

शोभा का कहना है कि -

पारूल जी ने जो गीत गाया वो अभी भी हृदय स्पंदित कर रहा है। अजीत जी की कविता- कुछ लाऊँ या खुद आ जाऊँ बहुत ही मार्मिक रही। शेफाली जी की कविता बहुत अच्छी लगी। शीला सिंह जी की कविता जाइए लौट मत आइए--बहुत अच्छी लगी। रमा द्विवेदी जी ने माया के विभिन्न रूपो से परिचित कराया।कमल प्रीत जी की कविता आत्मबोध बढ़िया रही। प्रीत जी की कविता चलो मुस्कुराएँ मुझे बहुत अच्छी लगी। ऐसा लगा कवि ने अपना दिल ही निकाल कर रख दिया कविता में।अनुराग जी की गज़ल दिल को छू गई। कवि सम्मेलन का अन्त सबसे अधिक प्रभावी है।

Smart Indian का कहना है कि -

सच, इस कवि सम्मलेन को सुनना बहुत ही सुंदर अनुभव रहा. काव्य पाठ, सञ्चालन, एवं प्रस्तुति सभा कुछ उत्कृष्ट रहा है. मूर्धन्य कवियों के खंड में "वंदे मातरम" की प्रस्तुति भी सामयिक रही. मृदुल जी एवं सभी कवियों को धन्यवाद और आभार.

पॉडकास्ट कवि सम्मलेन उत्तरोत्तर प्रगति करे, इसी कामना के साथ,
~ अनुराग शर्मा

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` का कहना है कि -

डा. मृदुल कीर्तिजी का सँचालन इतना अद्`भुत है कि सारे कवियोँ का काव्य व गीत पाठ
अभूतपूर्व हो गया - बँकिमचँद्र का वँदे मातरम्` अनुराग भाई के प्रयास से, अमर हुआ !
पारुल बहना की गायकी तो बस कमाल ही है -
उन्हेँ शाबाशी और स्नेह :)
और डा. रमा जी, शोभाजी, मीत जी , अजीत जी,शेफाली जी,कमल प्रीत जी,शन्नो जी
सभी को बहुत बहुत बधाई !

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

मृदुल जी

आपके संयोजन को नमन। पानी की एक बूँद जब सीप की कोख में जाती है तब सीप उसे संस्‍कारित करती है, उस पर आब का लेप करती है और तब एक मोती का जन्‍म होता है। पानी की बूंद तभी अमूल्‍य बन पाती है। रचनाकार की रचना भी पानी की बूँद ही है उसे आपने मोती की तरह सजाकर प्रस्‍तुत किया है। मैं आपकी आभारी हूँ। आपका संयोजन हमारी रचनाओं पर ऐसे ही आब चढ़ा‍ता रहे प्रभु से यही कामना है।
अजित गुप्‍ता

Anonymous का कहना है कि -

अनुराग जी
प्‍लेयर कहॉं गया?
अजित गुप्‍ता

Smart Indian का कहना है कि -

अजित जी, मैं प्लेयर को देख भी पा रहा हूँ और काव्य सम्मेलन सुन भी पा रहा हूँ. हो सकता है कि इन्टरनेट की प्रकृति के अनुसार उस समय कोई अस्थाई तकनीकी खामी रही हो. कभी भी ऐसा होने पर कृपया कुछ समय बाद पुनर्प्रयास करें. धन्यवाद!

प्रदीप मानोरिया का कहना है कि -

सभी कवि साथियों की अद्भुत प्रस्तुति है यह अनुराग जी को , मृदुल कीर्ति जी को और हिन्दयुग्म को साधुवाद

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