भारत पर्व प्रधान देश है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन दिनों छठ पूजा की धूम है। इस अवसर हम आपके लिए गीत-संगीत से सजा आलेख लेकर आये हैं। छठ गीत की पारम्परिक धुन इतनी मधुर है कि जिसे भोजपुरी बोली समझ में न भी आती हो तो भी गीत सुंदर लगता है। यही कारण है कि इस पारम्परिक धुन का इस्तेमाल सैकड़ों गीतों में हुआ है, जिसपर लिखे बोलों को बहुत से गायक और गायिकाओं ने अपनी आवाज़ दी है। आलेख की शुरूआत पहले हम इसी पारम्परिक धुन पर पद्मश्री शारदा सिंहा द्वारा गाये एक गीत 'ओ दीनानाथ' को सुना कर करना चाहेंगे। पद्मश्री शारदा सिंहा को बिहार की कोकिला भी कहा जाता है। यह मशहूर लोकगायिका विंध्यवासिनी देवी की शिष्या थीं।
सुख-समृद्धि और और सूर्य उपासना का पर्व है 'छठ'
![]() |
सूर्य नमन |
---|
श्रद्धा एवं भावना के साथ किया गया छठ या सूर्यषष्ठी व्रत अत्यंत लाभदायक एवं फलदायक होता है। छठ शब्द का प्रादुर्भाव षष्ठी यानी षष्ठ से हुआ है। यह सूर्य उपासना की विशिष्ठ एवं खास तिथि है। सूर्योपासना को सूर्योपस्थान भी कहते हैं, इसमें सूर्य भगवान को भाव भरा अर्घ्य भी चढ़ाया जाता है। इस अर्घ्य दान में वैज्ञानिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता का गहन एवं गूढ़ रहस्य भी भरा पड़ा है, जिसका वेद, उपनिषदों एवं पुराणों में विस्तार से उल्लेख किया गया है।
शारदा सिंहा के स्वर में कुछ प्रसिद्ध छठ गीत
1. ओ दीनानाथ
2. उठअऽ सुरुज होइल बिहान
3. उगीहें सुरुज गोसैया हो
4. साम चकेबा खेलब
5. केलवा के पात पर
6. हे छठी मैया
7. हे गंगा मैया
१-गायत्री महामंत्र का देवता सविता है।
२-सूर्योपासना सार्वभौमिक है।
३-सूर्य की उपासना-आराधना से होने वाला प्रभाव सर्वथा वैज्ञानिक एवं तथ्यपूर्ण है।
आर्ष साहित्य में इस तथ्य को प्रमाणितत करते हुए उल्लेख किया गया है। इस कथानक के अनुसार "गायत्री वरदां देवीं सावत्रीं वेदमातरम्", प्रजापति बोले, हे देवताओ! यह जो अनेक प्रकार के वरदान देने वाली गायत्री है उसे तुम सावित्री अर्थात सूर्य से उद्भाषित होने वाला ज्ञान जानो। इसके अतिरिक्त गोपथ ब्राह्मण ५/३ में तेजो वै गायत्री, के रूप में इसका निरूपण किया गया है। इसके अतिरिक्त ज्योतिर्वे गायत्री छंद साम् ज्योतिर्वे गायत्री, दविद्युतती वैगायत्री गायत्र्यैव भर्ग, तेजसा वेगायत्रीपथमं त्रिरात्रं दाधार पदै द्वितीयं त्र्यक्षरै स्तृतीयम् के रूप में सूर्य और गायत्री के सम्बन्ध को दर्शाया गया है। गायत्री मन्त्र के सवितुः पद में इसी एकात्मकता का संकेत है। गायत्री मन्त्र सविता देव से आपको एकात्म करने की गुह्य तकनीक है। गायत्री का देवता सविता सूर्य संसार के जीवन के ज्ञान-विज्ञान का केन्द्र है। यह अन्य समस्त देव शक्तियों का मुख्य केन्द्र भी है।
चारों वेदों में भी जो कुछ है वो सब भी सविता सूर्य शक्ति का विवेचन-विश्लेषण मात्र है। शतपथ ब्राहमण में असौ व आदित्यो देवः सविता, कहकर सूर्य की प्रतिष्ठा की गई है। भविष्योत्तर पुराण में कृष्ण और अर्जुन संवाद में सूर्य को त्रिदेवों के गुणों से विभूषित किया गया है। इस संवाद के अनुसार सूर्य उदयकाल में ब्रह्म, मध्याह्न काल में महेश और संध्या काल में विष्णु के रूप हैं।
अन्य शास्त्रों में सूर्य देव को इस तरह अलंकृत किया गया है, सूर्यो वै सर्वेषा देवानामात्मा अर्थात् सूर्य ही समस्त देवों की आत्मा है, सर्वदेवामय रविः अर्थात् सूर्य सर्वदेवमय है। मनुस्मृति का वचन है, सूर्य से वर्षा, वर्षा से अन्न और अन्न से प्रजा (प्राणी) का जन्म होता है। पौराणिक कथानकों के अनुसार सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र होने के कारण काश्यप कहलाये। उमका लोकावतरण महर्षि की पत्नी अदिति के गर्भ से हुआ था अतः उनका एक नाम आदित्य भी लोकविख्यात और प्रसिद्ध हुआ।
![]() |
एक व्रती |
---|
![]() |
बिहार के एक गाँव में पारम्परिक छठ-पर्व का दृश्य |
---|
तंत्र शास्त्र की मान्यता है कि नित्य सूर्य नमस्कार करने से सात पीढ़ियों से चली आ रही महा दरिद्रता दूर हो जाती है। सूर्य नमस्कार स्वयं में सूर्य आराधना भी है और स्वास्थ्य का व्यायाम भी। इसमें अनेक प्रकार की बीमारियों एवं विकृतियों का शमन होता है। इन्हीं कारणों से सूर्य को आरोग्य का देवता कहा गया है और उसकी किरणों को पवित्र, तेजस्वी एवं अक्षत माना गया है। सूर्य रश्मियाँ नदी की निर्मल धारा के सामान पावन हैं, जो अपने सानिध्य में आने वाले हर एक व्यक्ति को तेजस्विता, प्रखरता एवं पवित्रता से भर देती हैं। सूर्योपासना आरोग्य की रक्षा करने के आलावा अंतःकरण की चट्टानी मलिनता एवं कषाय-कलभषों को धोकर रख देती हैं। आरोग्य भास्करादिच्छेत् से स्वतः ही विदित होता है की सूर्य आरोग्य प्रदान करने वाले देवता है। यह आरोग्य केवल शरीर के धरातल तक ही सीमित नहीं है, वरन् मानसिक एवं आत्मिक स्तर पर प्रभाव छोड़ने में समर्थ एवं सक्षम है। अतः सूर्योपासना सभी रूपों में अनादिकाल से भारतवर्ष में ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व के विभिन्न भागों में श्रद्धापूर्वक सूर्य की भक्ति की जाती रही है।
अनुराधा पौडवाल के स्वर में छठ गीत
इस व्रत को सर्वप्रथम यवन मुनि की पुत्नी सुकन्या ने अपने जराजीर्ण अधिपति के आरोग्य के निमित्त किया था। व्रत के सफल अनुष्ठान के सुप्रभाव से ऋषि को नेत्र ज्योति प्राप्त हुई और वे जराजीर्ण वृद्ध से युवा हो गये। ऐसी मान्यता है कि आज भी गायत्री महामंत्र का जप करते हुए नियमपूर्वक १२ वर्षों तक जो भी यह व्रत करता है, उसकी इच्छित मनोकामना की पूर्ति होती है। सूर्य षष्ठी में गायत्री मन्त्र के जप एवं सुर्यध्यान करने से सहज ही आतंरिक चेतना परिष्कृत होती है, साथ ही पवित्रता, प्रखरता में अभिवृद्धि होती है।
लेखक- सिद्धार्थ शंकर (साभार 'साधना-पथः नवम्बर २००८ अंक)
प्रस्तुति- शैलेश भारतवासी
प्रस्तुति- दीपाली मिश्रा और अमिताभ मीत
कविता पौडवाल के स्वर में छठ गीत
पटना के हाट पर नरियर कीनबे जरूर
छठी मैया हसिया पूरन हो
रखी सभी छठ के बरात मनावो
अगना में पोखरी खानिब
छठी मैया हसिया पूरन हो
रखी सभी छठ के बरात मनावो
अगना में पोखरी खानिब
छठ का एक एल्बम बहुत मशहूर हुआ जिसे भोजपुरी लोकगीत गायकों में सबसे अधिक लोकप्रिय गायक-संगीतकार भरत शर्मा 'व्यास' ने अनुराधा पौडवाल से साथ आवाज़ दी थी और संगीत भी दिया था।
एल्बम- आहो दीनानाथ
स्वर- अनुराधा पौडवाल और भरत शर्मा 'व्यास'
बोल- आलोक शिवपुरी
संगीत- भरत शर्मा 'व्यास'
पटना के घाट पर देलू अरगवा केकरा
कार्तिक में ऐहू परदेसी बलम घर
फलवा से भरल दौरिया उसपे पियरी
नैहरे में करबो परब हम
साँझ भईल सूरज डुबिहे चल
आहो दीनानाथ दरसन दीजिए
बाझीन पर बैठ बाघिन बन छठ
चैती के छठवा तो हल्का बुझाला
रोजे-रोजे उगेला फजिराही आधी
कार्तिक में ऐहू परदेसी बलम घर
फलवा से भरल दौरिया उसपे पियरी
नैहरे में करबो परब हम
साँझ भईल सूरज डुबिहे चल
आहो दीनानाथ दरसन दीजिए
बाझीन पर बैठ बाघिन बन छठ
चैती के छठवा तो हल्का बुझाला
रोजे-रोजे उगेला फजिराही आधी
एक और एल्बम के गीत हम आपके लिए लेकर आये हैं जिसे भोजपुरी और अंगिका लोकगीतों के मशहूर गायक सुनील छैला बिहारी, अपने पहले ही एल्बम 'कभी राम बनके, कभी श्याम बनके' से पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध हुईं गायिका तृप्ति शाक्या तथा ९० के दशक में हिन्दी पार्श्व गीतों में अपना विशेष स्थान बनाने वाली गायिका अनुराधा पौडवाल ने आवाज़ दी है।
एल्बम- उगऽहो सूरज देब हमार
स्वर- सुनील छैला बिहारी, अनुराधा पौडवाल, तृप्ति शाक्या
बोल- राम मौसम, बिनय बिहारी, सुनील छैला बिहारी तथा कुछ पारम्परिक गीत
संगीत- सुनील छैला बिहारी
छठी मैया आही जइयो मोर अंगना
छठी मैया के महिमा छे भारी
छठी माई के दौरा रखे रे बबुआ
चारी ओ घाट के तलैया जलवा उमरत
कखनो रवि बन के कखनो आदित
दलिइवा कबूल करअ गगन बिहारी
भूऊल माफ करियअ हे छठी मैया
कहवाँ तोहार नहिरा गे धोबिन कहवाँ
कहवाँ-कहवाँ के सुरजधाम छै नामी
दोहरी कल सुपने सविता अरग देबे
काहे लगे सेवें तुलसी-खरना गीत
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 श्रोताओं का कहना है :
छठ पर्व के बारे में तमाम जानकारी बहुत हीं रोचक है, आपके द्वारा पोस्ट गीतों ने तो हमें कुछ देर के लिए झारखंड के मेरे गांव में ही पहुंचा दिया।
Very nice work in hindi, i also writes in hindi, shair and gazals would you like to publish on you blog mail and visit my blog for all your technical queries http://searchfreak.blogspot.com get into knowledge. keep searching like search freak.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)