भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी पर विशेष
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गदक, कर्नाटक में ४ फरवरी १९२२ में जन्में पंडित जी ने यूँ तो इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से पहले भी पदम् श्री, पदमभूषण, पदमविभूषण और कर्नाटक रत्न जैसे बड़े सम्मान पायें हैं पर सच तो ये है कि उनका कद हर सम्मान से बढकर है. बचपन में बेहद शरारती रहे पंडितजी के बारे में उनकी गुरु माँ गोदा बाई याद करती है "वो बचपन में गदक के वीरनारायण मन्दिर के "गोपुरम" पर चढ़ जाया करते थे, आज वो संगीत के उच्चतम शिखर पर हैं"
क्या कुछ और कहने की जरुरत है...सुनते है पंडित जी की गायकी के कुछ भिन्न भिन्न रूप -
ऐ री माई शुभ मंगल गाओ री...
संगीतकार ऐ आर रहमान के निर्देशन में उनका गाया "जन गण मन" सुनना भी है एक अनुभव -
फ़िल्म "बसंत बहार" में उन्होंने गाया ये गीत, जिसमें नायक की आवाज़ है मन्ना डे की. कहा जाता है कि मन्ना डे को जब ज्ञात हुआ कि उन्हें पंडितजी के साथ गाना है तो वो डर कर शहर छोड़ कर ही भाग गए...शायद ये उनका अपना अंदाज़ था पंडित जी जैसे बड़े कलकार का सम्मान करने का...क्योंकि कम तो वो भी नही थे...दो बड़े कलाकारों की इस जुगलबंदी का आनंद लें इस मशहूर गीत "केतकी गुलाब जूही...." को सुनकर.
पंडित जी को आवाज़ परिवार के सभी संगीत प्रेमियों की तरफ़ से हार्दिक बधाईयाँ.
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4 श्रोताओं का कहना है :
बहुत अच्छी पोस्ट। हिन्दी युग्म बहुत अच्छा काम कर रहा है, अतुलनीय...
मानोशी
पंडितजी को बहुत बहुत बधाई |
यह हमारा सौभाग्य है कि पंडितजी जैसा गुणवान हमारे देश में है |
-- अवनीश तिवारी
इस समुचित सम्मान पर पंडितजी को बहुत बहुत बधाई!
इस पोस्ट के लिए आपका भी आभार.
pandit ji ucch koti ke kalaakar hain ismen sandeh ka prashan hi nahin uthata lekin post mein shri manna de ke liye ki gayi tippani ki wo shahar chhod kar bhaag gaye ko jis prakaar vyakt kiya gayaa uspe mujhe aaptti hai kripya in shabdon ko shaaleenta se prastut kar shri manna de ka apmaan na karen... jaise ki hum sabhi jaante hain ki manna de ne bhi apne jeevan mein acche sangeet ko hi mahatva dekar use prasaarit kiya hai...
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