सुनिए गोल्डन ग्लोब के लिए नामांकित फ़िल्म स्लमडोग मिलनिअर का जबरदस्त गीत "जय हो..."
आवाज़ के टीम और श्रोताओं ने मिल कर जिस गीत को साल २००८ का सरताज गीत चुना वो है फ़िल्म "रब ने बना दी जोड़ी" का "हौले हौले..." . हौले हौले से जादू बिखेरने वाले इस गीत को गाया है "छैयां छैयां" से रातों रातों सुपर सिंगर बने सुखविंदर सिंह ने. तब से अब तक हर साल सुखविंदर अपने किसी न किसी गीत के माध्यम से टॉप सूची में रहते ही हैं. जहाँ इसी साल फ़िल्म टशन में उनका गाया "दिल हारा रे..." भी हमारी सूची में अपनी जगह बनने में कामियाब रहा वही बीते सालों पर नज़र डालें तो "दर्द-ऐ-डिस्को", "चक दे इंडिया" और ओमकारा के शीर्षक गीत के अलावा इसी फ़िल्म का "बीडी जलाई ले" खासा लोकप्रिय हुआ था. पर कई मायनों में अगर हम देखें तो "हौले हौले" उनकी परिचित शैली से बिल्कुल अलग तरह का गीत है और पहली बार सुनने पर यकीं ही नही होता कि ये वाकई सुखविंदर का गीत है.
और अब हॉलीवुड के सबसे बड़े निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग की फ़िल्म के लिए भी वो गा रहे हैं. ख़ुद सुखविंदर के शब्दों में "स्टीवन स्पीलबर्ग की टीम ने मुझसे संपर्क किया और ये गीत गाने की गुजारिश की, ये एक पारंपरिक लोक गीत है जो कच्छ गुजरात की मिटटी का है और ये गीत जीवन के उत्सव की बात करता है, वैसे मेरा हॉलीवुड कनेक्शन तो "स्लमडोग मिलनिअर" से ही शुरू हो चुका था जहाँ मैंने रहमान जी का स्वरबद्ध किया और गुलज़ार जी का लिखा "जय हो" गीत गाया था. ये गीत मेरा ख़ुद का बहुत पसंदीदा है, मैं जब भी इसे सुनता हूँ, मुस्कुराने लगता हूँ..."
गौरतलब है कि रहमान को इसी फ़िल्म के लिए गोल्डन ग्लोब का नामांकन मिला है. रहमान के बारे में सुखविंदर कहते हैं -"वो एक जीनिअस हैं जिन्होंने भारतीय संगीत को विश्व मंच दिया है. स्वभाव से भी वो बहुत शांत और जमीन से जुड़े हुए इंसान हैं, उन्हें कविता से प्रेम है और वह शख्स संगीत खाता है संगीत पीता है और संगीत से ही साँस लेता है, उनके रोम रोम में संगीत है और उनके जेहन में दिन रात बस संगीत का जनून छाया रहता है..."
बहरहाल इस नए साल में हम सब तो यही चाहेंगें कि रहमान साहब अपनी इस फ़िल्म के लिए गोल्डन ग्लोब जीते. ये भारतीय संगीत के लिए एक बड़ी घटना होगी. सुखविंदर भी इस साल अपने नए गीतों से हम सब को चकित करते रहें. आने वाली फ़िल्म "बिल्लू बार्बर" में उनके गाये गीत श्रोता जल्दी ही सुनेंगें, फिलहाल हम आपको सुनवाते हैं, गोल्डन ग्लोब के लिए नामांकित फ़िल्म "स्लमडोग मिलनिअर" से सुखविंदर का गाया गीत "जय हो...". कहते हैं जीनिअस के काम पहली बार में कम समझ आता है, पर हमारे शब्दों पर यकीन करें इस गीत को धैर्य के साथ ४-५ बार सुनें और अगर इसका जादू आपके सर चढ़ कर न बोले तो कहियेगा. तो सुनिए और दुआ कीजिये कि "जय हो" हमारे संगीत कर्णधारों की विश्व मंच पर भी.
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4 श्रोताओं का कहना है :
सुखविंदर की आवाज़ का जादू सर चढकर बोलता है।उनके बारे में कुछ भी कहा जाए कम हीं होगा।
सुखविंदर के कर्णप्रिय गीत देश और भाषा की दीवार तोड़कर सारी दुनिया तक पहुंचें, यही कामना है.
एक तो ये बात बडी़ सुखद है, कि बडे़ दिनों बाद गुलज़ार जी की कोइ स्तरीय रचना सुनी, और वो भी संगीत के जादुगर रेहमान के सतरंगी सुरों से सजी धुन में, सोने में सुहागा.
सुखविंदर एक अच्छा गायक है. मगर जिस एनर्जी लेवल का ये कंपोज़िशन है, जिस धडकती लयकारी पर रहमान नें इस गीत का इन्तेखाब किया है, उस युवा दिलों की आपाधापी के कंसेप्ट को सुखविंदर जैसे कलाकार नें अपने गले से आवाज़ के ब्रश से रहमान के इस स्वर सपन को चित्रित किया है, साकार किया है, मेनीफ़ेस्ट किया है, वह सिर्फ़ उसके ही बस की बात थी.
वैसे गीत के अंत में स्वरों के ठहराव का जो टुकडा़ बजता है, वह युवा दिलों की आपाधापी के कंसेप्ट की परिणीति दिली सुकून में होना मेहसूस कराता है.
जय हो आवाज़...
There are classic games to train the brain, and besides, there are also classic games that aim to train skills and challenge players. They are called Sudoku 247, with the game context changing suddenly, the game becomes more difficult because the change does not follow any rules, they change based on the publisher's inspiration.
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