Thursday, December 11, 2008

एक प्यार का नग्मा है...कुछ यादें जो साथ रह गई...




सितम्बर ३, १९४० को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में जन्में प्यारेलाल (लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जोड़ी के) का बचपन बेहद संघर्षभरा रहा. उनका माँ का देहांत छोटी उम्र में ही हो गया था. उनके पिता पंडित रामप्रसाद जी ट्रम्पेट बजाते थे और चाहते थे कि प्यारेलाल वोयलिन सीखे. पिता के आर्थिक हालात ठीक नही थे, वे घर घर जाते थे जब भी कहीं उन्हें बजाने का मौका मिलता था और साथ में प्यारे को भी ले जाते. उनका मासूम चेहरा सबको आकर्षित करता था. एक बार पंडित जी उन्हें लता जी के घर लेकर गए. लता जी प्यारे के वोयलिन वादन से इतनी खुश हुई कि उन्होंने प्यारे को ५०० रुपए इनाम में दिए जो उस जमाने में बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. वो घंटों वोयलिन का रीयाज़ करते. अपनी मेहनत के दम पर उन्हें मुंबई के रंजीत स्टूडियो के ओर्केस्ट्रा में नौकरी मिल गई जहाँ उन्हें ८५ रुपए मासिक वेतन मिलता था. अब उनके परिवार का पालन इन्हीं पैसों से होने लगा. उन्होंने एक रात्रि स्कूल में सातवें ग्रेड की पढाई के लिए दाखिला लिया पर ३ रुपये की मासिक फीस उठा पाने की असमर्थता के चलते छोड़ना पड़ा. मुश्किल हालातों ने भी उनके हौसले कम नही किए, वो बहुत महत्वकांक्षी थे, अपने संगीत के दम पर अपने लिए नाम कमाना और देश विदेश की यात्रा करना उनका सपना था.

जानते हैं स्वयं प्यारेलाल जी से, उनके इस जीरो से सुपर हीरो बनने की लम्बी कहानी के संक्षिप्त अंश.


वो शुरूआती दिन
"मैंने संगीत सीखने के लिए एक संगीत ग्रुप (मद्रिगल सिंगर) जोइन किया, पर वहां मुझे हिंदू होने के कारण स्टेज आदि पर परफोर्म करने का मौका नही मिलता था. वो लोग पारसी और इसाई वादकों को अधिक बढ़ावा देते थे. पर मुझे सीखना था तो मैं सब कुछ सह कर भी टिका रहा. पर मेरे पिता ये सब अधिक बर्दाश्त नही कर पाते थे. उन्होंने ख़ुद गरीब बच्चों को मुफ्त में सिखाने का जिम्मा उठाया और वो उन्हें संगीतकार नौशाद साहब के घर भी ले जाया करते थे. करीब १५०० बच्चों को मेरे पिता ने तालीम दी"


लक्ष्मीकांत से मुलाकात
"लक्ष्मीकांत पंडित हुस्नलाल भगतराम के साथ काम करते थे उन दिनों. वो मुझसे ३ साल बड़े थे उम्र में. धीरे धीरे हम एक दूसरे के घर आने जाने लगे. साथ बजाते और कभी कभी क्रिकेट खेलते और संगीत पर लम्बी चर्चाएँ करते. हमारे शौक और सपने एक जैसे होने के कारण हम बहुत जल्दी अच्छे दोस्त बन गए."

पहला बड़ा काम
"श्रीरामचंद जी ने एक बार मुझे बुला कर कहा कि मैं तुम्हें एक बड़ा काम देने वाला हूँ. वो लक्ष्मी से पहले ही इस बारे में बात कर चुके थे. चेन्नई में हमने ढाई साल साथ काम किया फ़िल्म थी "देवता" कलाकार थे जेमिनी गणेशन, वैजन्ती माला, और सावित्री. जिसके हमें ६००० रुपए मिले थे. ये पहली बार था जब मैंने इतने पैसे एक साथ देखे. मैंने इन पैसों से अपने पिता के लिए एक सोने की अंगूठी खरीदी जिसकी कीमत १२०० रुपए थी."

कैसे करते थे साथ में काम
"हम दोनों अलग अलग बैठ कर धुन बनाते थे और मिलने पर जो बेहतर लगती उसे चुन लेते थे, कभी कभी साथ में बैठकर भी काम करते थे. कई बार ऐसा भी हुआ कि हमने अलग अलग बैठ कर धुन बनाई फ़िर भी एक जैसी बन गयी. हमारे बीच भी मतभेद होते थे पर हमने उन्हें कभी जग जाहिर नही किया. वो मुझसे बेहतर समझ रखते थे व्यवसाय की. मैं अपने पिता की तरह बहुत तुनकमिजाज़ हुआ करता था पर वो बहुत संयम से काम करते थे. हम अपने झगडे अक्सर युहीं सुलटा लेते थे. मुझे लगता है कि फ़िल्म "शोर" का गीत "एक प्यार का नग्मा है..." हमारे ही जीवन की कहानी कहता है. हमारे नाम एक दूजे से इस कदर जुड़े हुए थे कि अक्सर लोगों को एक नाम होने की ग़लतफ़हमी हो जाती थी. जब मेरी शादी होने जा रही थी तो मेरी होने वाली पत्नी के रिश्तेदारों को लगता था कि उनकी लड़की की शादी किसी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल नाम के आदमी से होने जा रही है. (हँसते हुए) प्यारेलाल नाम लक्ष्मीकांत के बिना आज भी अधूरा ही है."

"मैं येहुदी मेनुहिन का जबरदस्त फेन था. मेरा सपना था कि हिन्दुस्तान को हमेशा के लिए छोड़ कर विदेश में जाकर बसने का और किसी अँगरेज़ लड़की से शादी कर वहां सेटल होने का. पर लक्ष्मी जी ने मुझे दोस्ती का वास्ता देकर रोक लिया. राज साहब (राज कपूर) अक्सर कहा करते थे लक्ष्मी जी से - "तुमने दो अच्छे काम किए हैं जीवन में, एक अच्छा संगीत दिया और दूसरा प्यारे को विदेश जाने से रोक लिया". राज साहब मुझे बहुत स्नेह देते थे."

"अक्सर लोग सोचते हैं कि "पारसमणी" हमारी पहली फ़िल्म थी. पर वो पहली प्रर्दशित फ़िल्म थी, उससे पहले हमने ४ फिल्मों के लिए काम किया जो कभी प्रर्दशित ही नही हो पायी. पहली अप्रदर्शित फ़िल्म हमारी "हम तुम और वोह" थी. पांचवीं फ़िल्म "पारसमणी" में हमारे काम कि प्रशंसा हुई. पर "दोस्ती" ने हमें कमियाबी दी."

लता जी के बारे में -
"लता जी हरफनमौला थी, आप उन्हें जो भी दें गाने को वो उनमें जिंदगी डाल देती थी. उन्होंने कभी भी हमें डेट देने में आनाकानी नही की. उन्होंने हमारी लो बजेट फिल्म्स के लिए भी कम पैसों में गीत गाये. जब काम से देर हो जाया करती तो मैं अक्सर उनके यहाँ रुक जाता और लिविंग रूम के सोफे पर सोता. हृदयनाथ मंगेशकर जिन्हें हम बालासाहेब कहते थे मेरे बहुत करीबी मित्र रहे हमेशा."

वो खट्टी मीठी यादें -
बुरे दिनों में एक बार मेरे पिताजी ने रफी साहब और लता जी से से कुछ पैसे उधार लिए थे, जब रफी साहब और लता जी एक बार साथ में "ये दिल तुम बिन..." गीत की रिकॉर्डिंग पर आए तो मुझे अचानक याद आया उन पैसों के बारे में पर जब मैंने उन्हें वापस करना चाहा तो दोनों ने लेने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि इसे हमारा आशीर्वाद समझ कर रखिये. किशोर कुमार भी बहुत प्रतिभाशाली थे जब भी स्टूडियो आते गाते हुए आते "हल्लो लक्ष्मीकानतम प्यारेलालम..." (हँसतें हुए). आर डी (बर्मन) के साथ में हमारे रिश्ते हमेशा दोस्ताना रहे बेशक हमारे बीच एक संगीतमय प्रतिस्पर्धा हमेशा चलती रहती थी. जब आर डी को पता चला कि हम फ़िल्म "फ़र्ज़" के लिए जेम्स बोंड की धुन का इस्तेमाल करने जा रहे हैं तो उन्होंने हमें कॉल किया क्योंकि वो भी "जेवेल थीफ" के लिए कुछ वैसी ही धुन बना रहे थे, और ये जानने पर कि हमारी फ़िल्म की ६-७ रीलें उस धुन पर तैयार हो चुकी हैं उन्होंने अपनी फ़िल्म से उस धुन को हटा लिया."

"मुझे याद है बात उनके आकस्मिक मौत से कुछ पहले की है. एक शादी में हमारी उनसे मुलाकात हुई, उन्होंने पूछा मुझसे कि व्हिस्की है क्या तुम्हारे पास तो मैंने कहा कि गाड़ी में रखी है, और हम तीनों पूरी रात गाड़ी में घूमते रहे और पीते रहे, उन दिनों मैं और लक्ष्मी बिल्कुल खाली थे, तब आर डी ने बताया कि वो एक नई फ़िल्म कर रहे हैं "१९४२- अ लव स्टोरी" और ये भी कहा कि तुम लोग सुनोगे तो तुम्हें भी ज़रूर पसंद आएगा. पर वो फ़िल्म रेलीस होने से पहले ही हम सब को छोड़ कर चला गया. अभी भी उस फ़िल्म के गाने सुनता हूँ तो आंख भर आती है."

संगीत की चोरी -
"बॉलीवुड में हर संगीतकार बहुत से दबाबों में काम करता है. निर्माता निर्देशक और एक्टर सभी की बात रखनी पड़ती है कई बार, उदहारण के लिए फ़िल्म हम का "जुम्मा चुम्मा" हमने सिर्फ़ अमित जी के दबाब में किया था. पर फ़िर भी हम इन सब से बचने की हमेशा कोशिश करते रहे हैं, हमारे ५०० फिल्मों के संगीत सफर में आपको गिनती के ५० गीत भी नही मिलेंगे ऐसे जिसमें हमें विदेशी धुनों की नक़ल करनी पड़ी हो, कभी कभार व्यवसायिक दबाबों के आगे झुकना पड़ता है."

दोस्तों, प्यारेलाल जी अपने सांझीदार लक्ष्मीकांत के जाने के बाद ६ सालों तक बीमार और अस्वस्थ रहे. पर अब धीरे धीरे स्वस्थ लाभ पा रहे हैं, और शराब और तम्बाकू से भी निजात पा चुके हैं. उम्मीद है कि जल्दी ही वो सक्रिय होकर काम करेंगे और इस नई पीढी को भी अपने जादू भरे संगीत से परिचित होने का मौका अवश्य देंगे. चलते चलते सुनते हैं एल पी के कुछ और यादगार नग्में. (यदि धुन की मधुरता चखनी हो तो सुनियेगा "तुम गगन के चंद्रमा हो..." और यदि संगीत संयोजन की उत्कृष्टता सुननी हो तो ध्यान से सुनियेगा इसी गुलदस्ते में से फ़िल्म तेजाब का "सो गया ये जहाँ..." गीत)

आनंद लें -


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6 श्रोताओं का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

This is Gyani Raja Manandhar from Kathmandu, Nepal. I have got your mail address from website. First of all I would like to thank you for publishing such a nice matter about Laxmikant-Pyarelal(Aawaaj Hind Yug). I always preffer to know about Laxmikant Pyarelal's news. Yes I am 100 % sure that such a musical person never born in bollywood film industry. I am one of the big fan of Laxmikant Pyarelal. The only due I have counted in hindi film industry, but the film industry never count them as a chotike sangeetkar . I have been introduced with Laxmikant Pyarelal's music since Dosti , so I know everything about him, if not 100 % , 90 % (?) yes it is true.

Subhash Ghai is count as a junior showman in film industry, but I don't ,he was the D grade actor before and showed the D grade behave with Laxmikant Pyarelal . What is there in his film ? besir pairki kahani, ghatiya dialogue etc. etc…..but Laxmikant Pyarelal was always there to protect all the things away. Yes Laxmi-Pyare's music was there to make him a hit director. When Laxmikant Pyarelal was on the top of the bollywood he use to go to Laxmikant-Pyarelal with guldasta on their birthday, behave like a intimate . But after flop of Trimurthy, he refused to go (I have read this matter in news).

It is 10 years already that Laxmikant is not with us , but his memorable songs are there to remember him.

I would like to request you to give my regards to Pyarelal and ask him to come back , come back , come back ………………. ! Don't make prestige down arranging like dhoom tana . He had to refuge this but done beautifully, kaun maikalal hai jo aisa kar sakta hai, aajkalke sangeetkar ? nahin sake , isiliyeto Pyarelal ke paas aakar request kiya.

Expecting to see more matters and picture too about Laxmikant-Pyarelal.

Thanks with kind Regards,
Gyani

Sajeev का कहना है कि -

ज्ञान जी आपके प्रोत्साहन के लिए धन्येवाद. आपकी ही तरह मैं भी बचपन से LP का संगीत सुन सुन बड़ा हुआ हूँ. चार साल की उम्र में जब दिल्ली आया था तब जो सबसे पहला गीत बाल मन को भाया था वो था "डपली वाले". तब से उनकी हर नई फ़िल्म के गीतों ने जीवन के जाने कितने पल संवारें हैं. उन दिनों जब एच एम् वी के कैसट ४५ रुपये के होते थे और हमारा जेब खर्च मात्र अठानी रूपया तब भी मैंने पैसे बचा बचा कर फ़िल्म दोस्ती/दो रास्ते और मिलन के अल्बुम्स का संकलन किया जो शायद आज तक भी कहीं सुरक्षित हैं मेरे पास. अगर हम बात करें LARGER THAN LIFE गानों की यानी की ऐसे गीत जिसे सुनकर पूरा भारत एक ताल पर झूमा हो नाचा हो तो बस वो LP ही कर सकते थे. फ़िल्म नाम का "चिट्टी आई है..." ने सबको रुलाया फ़िल्म अवतार के "चलो बुलावा..." से हर हिन्दुस्तानी माँ ने ख़ुद को जोड़ लिया. जब "एक दो तीन..." आया था तो मुझे याद है दिल्ली के पहाड़ गंज बाज़ार के सभी दुकानदारों ने अपने दुकानों के स्पीकर एक तार में जोड़ लिए और पूरे मार्किट में बस यही गीत बजता रहा लगातार और लोग दिवाली की शौपिंग करते रहे. कहीं किसी जगह लोगों ने बवाल मचा कर हाल में फ़िल्म रुकवाई और इस गीत को दुबारा बजवाया. यही हुआ जब राम लखन का 'धिना धिन ध" गीत आया..."चोली के पीछे" विवादस्पद अवश्य था पर संगीत संयोजन के मामले में ये गीत एक नए युग के संगीत का बिगुल बजता नज़र आता है. "जुम्मा चुम्मा...." की मूल धुन उनकी अपनी नही थी बेशक पर ट्रीटमेंट पूरी तरह से भारतीय था इस गीत के कारन इस फ़िल्म को ओपनिंग मिले वो अभूतपूर्व थी.... मैंने आज तक अपने जीवन किसी फ़िल्म के लिए लोगों में ऐसा जोश नही देखा.... LP बस LP हैं NO ONE CAN MATCH THEM

Anonymous का कहना है कि -

Whatever you have written about Laxmikant Pyarelal , it was really………. no words to describe. Thanks once again. I have read everything and kept in my mind.


Laxmikant-Pyarelal were the most prolific music director that Indian Film Industry had. They were always number "1" .


Laxmikant – Pyarelal had worked as an assistant with so many block buster music director like Naushad, SJ, KA, Jaidev & many more. Even when they became very popular, they didn't refuge to assist with them. For example (few is more). Pyarelal assisted to Jaidev in Reshma Aur Shera and similarly, he had arranged the song for Jab jab phool khile "yeh shama shama hai yeh pyarka . It is so nicely arranged by Pyarelal whereas the music director in that film was Kalyanji Anandaji(KA). This shows that personally they are very good human being too. Kisika karz utarna inse sikhen .


Why this music director duo is memorable ? because theirs music whether it was classical, folk, western, disco, qawali, bhajan, ghazal or muzara most of them are simple, catchy and melodious, lilting and linked by both masses and classes.. Songs composed by them are very popular even to-day. It is very difficult to choose theirs songs which is good and which is more good and which is excellent and naturally which is not good ? For example which song is good in "Dosti" Janewalo jara mudke dekho mughe , or Rahi manwa , chahoonga main tughe , mera to jo bhi qadam hai, meri dosti mera pyar which song is good in Milan – sawan ka mahina, mubaraq ho subko, ram kare, tore sawariya na hi khabariya, which song is not good in Taqdeer- jab jab bahar aai, akaashpe baitha hua likhata hai who taqdeer, o dilwalo matawalo, mughe bhool jana, papa jaldi aa jana, aaiye baharko hum baantale . That was Laxmikant Pyarelal and that's why we still remember them and theirs songs.

I would like to congrate Mr. Pyare Bhai on receiving the award(see below)
whereas this badhai is delayed.

MUMBAI: The 9th international film festival organised by the Mumbai Academy of Moving Images (MAMI) was inaugurated on Thursday with much fanfare amidst the presence of actors like Amitabh Bachchan, who was named the "Indian Cinema's Global Icon."
The eight-day-long festival opened with the Chinese film "The Curse of the Golden Flower" made by Zhang Yimou.
Pyarelal Sharma, of the famous music composer duo Laxmikant-Pyarelal, was given `The Outstanding Contribution to Indian Film Music Award' Mr. Pyarelal Sharma, a trained violinist, while remembering all the filmmakers and singers and technicians he worked with spoke about Laxmikant. "Without Laxmiji all this would not have been possible and I remember him," said the composer, who has won several awards and composed for films such as Dosti, Utsav, Karz, and Tezaab.
I have read an interview of Pyarelal in a magazine (2007). He said that he will be back soon and the music lovers will see the Laxmikant-Pyarelal's name in the big screen as Music Director –" Laxmikant Pyarelal"

The new music composer Mr. Monty Sharma (Bhatija of Mr. Pyare Bhai) who has got 21 film in his hand after hit of Sawariyan has to encourage to his uncle to back again or he is afraid that if his uncle comes back then who cares of him ………………………. ?


I am desperately waiting for the day.

Thanks & Regards,
Gyani

Anonymous का कहना है कि -

It is not necessary to describe about Laxmikant-Pyarelal. They are the best, popular music composer in hindi cinema. Laxmikant is no more with us but Pyare is still alive. I want Pyare bhai back and give lilting & blockbuster hit again. Here are some hit songs which has been composed by them. They are evergreen and will be memorable forever. (They are so may but I have listed of 128 songs right now) Song
Achha to hum chalte hain
Jane kaisa hai mera diwana
Mughe teri mohabbat ka
Saare jamane pe
Sheesha ho ya dil ho
Aashaonke sawan mein
Title song
Suno sajana papihe ne
Parda hai parda
Mere pyale mein sharaab dal de
Duniyan mein kitana ghum hai
Rote rote hansna sikho
Hungama ho gaya
Haal kya hai dilon ka na puchho sanam
Aate jate khoobsoorat
Tum besahara ho to kisika sahara bano
Rimghimke geet sawan gaye
Gangamein dooba na jamunamein dooba
Pardesh ja ke
Om namah shivaye
Hum tum ek kamaremein
Main shaayer to nahin
Na jane kahan se aai hai
Kali ki haseen mulaqat ke liye
Ab chahe maan ruthe
Tere pyar ka kya jawab doon
O mummy mummy
Teri haseen nigah ka
Shaadike liye rajamanda karli
O meri mehbooba
Je hum tum chori se
Bindiya chamkegi
Mere naseebmein e dost
Gaadi bula rahi hai
Bane chahe dushman
Chahoonga main tughe
Janewalon jara mudke dekho mughe
Waada tera waada
Solha baraski bali umar
Hum bane tum bane ek dooje ke liye
Hai raju o daddy
Patta pataa buta buta
Hum hi kare koi soorat unhe bulaneki
Kausalya main teri tu mera raam
Happy birthday to you
Masta baharonka main aashiq
Suniye jara dekhiye na
Jihale masti
Dil bechain raha tum bin
Nafarat ki duniyanko chhodake
Lambi judaai
Jumma chumma
Pyar bantate chalo
Dhal gaya din ho gai shaam
Ruk jana nahin
Roz shaam aati thi
Aa jane jaan
Kaise rahoon chup ke maine pee hi
Yeh dil tum bin kahin lagata nahin
Tere haathonmein pehnake
Chalo re doli uthao kahaar
Manki pyaas mere man se na nikali
Yeh waada bhool na jana
Teri pyaari pyaar baatein
Aanese uske aaye bahar
Jhilmil sitaronka
Raat suhaani jag rahi hai
Kali ghat chhai prem ritu aai
E watan tere liye
Chanda mamase pyaara mera mama
Om shanti om
Dard-e-dil
Khilona jankar tum
Tu mughe qubul
Are re re samhalo mughe yaaro
Zindagi ki na toote ladi
Hai hai ek ladka mughko khat
Aaj mausam bada beimaan
Chaap tilak sub chhini re mose naina
O manchali kahan chali
Jane kyon log mohabat
Maar diya jaye
Na ja kahin ab na ja
Zindagi har qadam ek nai jung hai
Sawan ka mahina
Mubaraq ho sabko shama-e-suhaana
Baghonmein bahaar aai
Zindagiki yehi reet hai
Hawa hawaai
Mere mehboob qayamat hogi
Tere sang pyarmein nahin todana
Chitthi aai hai
Jhoom jhoom nach mayuri
Jao tum chahe jahan
Zindagi ek naatak hai
Nazar na lag jaye
Hansta hua nooraani chehra
Who jab yaad aaye
Title song
Yeh jeevan hai
Yeh galiyan yeh chaubara
Megha re megha re
Tumse milkar na jane kyon
Tu kitani achhi hai
Mera naam hai chameli
ABCD chhodo
Payal meri jaadu jagati hai
Ladi pasanda ki mushqueelse
My name is lakhan
Gore rung pe na itana guman kar
Main na bhooloonga
Aur nahin bas aur nahin
Kehta hai sindoor tera
Jyot se jyot jagate chalo
Dafliwale
Hum to chale pardesh
Title song
Ilu Ilu
Who hai zara khafa khafa
Dil vil pyar wyar
Ek pyar ka naghma hai
Teri rub ne bana di jodi
O sheronwali
Jab jab bahar aai
Ek do teen chaar
Maaghi naiya dhoondhe kinara
Man kyon behka re behka
Who din yaad karo

NIRANJAN JAIN का कहना है कि -

संगीतकारों पैर अच्छे लेख पढ़ कर आनंद आ गया परन्तु आप एक अत्यंत गुनी संगीतकार को तो भूल ही गये जिनका नाम है खय्याम कृपया
उन पर भी लिखें

Unknown का कहना है कि -

My favorite music composer

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