Sunday, December 20, 2009

रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत (२३)



मखमली आवाज़ के जादूगर तलत महमूद साहब को संगीत प्रेमी अक्सर याद करते है उनकी दर्द भरी गज़लों के लिए. उनके गाये युगल गीत उतने याद नहीं आते है. अगर बात मेरी पसंदीदा गायिका गीता दत्त जी की हो तो उनके हलके-फुल्के गीत पसंद करने वालों की संख्या अधिक है. थोड़े संगीत प्रेमी उनके गाये भजन तथा दर्द भरे गीत भी पसंद करते है. गीताजी के गाये युगल गीतों की बात हो तो, मुहम्मद रफ़ी साहब के साथ उनके गाये हुए सुप्रसिद्ध गीत ही ज्यादा जेहन में आते है. सत्तर और अस्सी के दशक के आम संगीत प्रेमी को तो शायद यह पता भी नहीं था, कि तलत महमूद साहब और गीता दत्त जी ने मिलकर एक से एक खूबसूरत और सुरीले गीत एक साथ गाये है. सन १९८४ के करीब एक नौजवान एच एम् वी (हिज़ मास्टर्स वोईस ) कंपनी में नियुक्त किया गया. यह नौजवान शुरू में तो शास्त्रीय संगीत के विभाग में काम करता था, मगर उसे पुराने हिंदी फ़िल्मी गीतों में काफी दिलचस्पी थी. गायिका गीता दत्त जी की आवाज़ का यह नौजवान भक्त था. उसीके भागीरथ प्रयत्नोके के बाद एक एल पी (लॉन्ग प्लेयिंग) रिकार्ड प्रसिद्द हुआ "दुएट्स टू रेमेम्बर" (यादगार युगल गीत) : तलत महमूद - गीता दत्त". पहेली बार तलत महमूद साहब और गीता दत्त जी के गाये हुए सुरीले और मधुर गीत आम संगीत प्रेमी तक पहुंचे. खुद तलत महमूद साहब इस नौजवान से प्रभावित हुए और जाहीर है बहुत प्रसन्न भी हुए. इस नौजवान का नाम है श्री तुषार भाटिया जी.

इन्ही की अथक परिश्रमों के के बाद गीता जी के गाये गानों के कई एल पी (लॉन्ग प्लेयिंग) रिकार्ड सिर्फ तीन साल में एच एम् वी (हिज़ मास्टर्स वोईस) कंपनी ने बनाकर संगीत प्रेमियों को इनसे परिचय कराया. आगे चलकर श्री हरमिंदर सिंह हमराज़ जी ने हिंदी फिल्म गीत कोष प्रसिद्द किये, जिनसे यह जानकारी मिली कि तलत महमूद साहब और गीता दत्त जी ने मिलकर कुल २६ गीत हिंदी फिल्मों के लिए गाये तथा एक एक गैर फ़िल्मी गीत भी गाया. गौर करने वाली बात यह है कि जिन संगीतकारों ने तलत साहब को एक से एक लाजवाब सोलो गीत दिए (नौशाद, अनिल बिस्वास, मदनमोहन) उन्होंने तलत साहब और गीताजी के साथ युगल गीत नहीं बनाए. उसी तरह बर्मनदा, नय्यर साहब, चित्रगुप्त साहब ने भी गीताजी और तलत साहब के लिए युगल गीत नहीं बनाए. इन २६ गीतों के मौसीकार है : हेमंत कुमार, हंसराज बहल, सी रामचंद्र, खेमचंद प्रकाश, विनोद, बसंत प्रकाश , बुलो सी रानी, हुस्नलाल - भगतराम , राम गांगुली , जिम्मी सिंह, सुबीर सेन, दान सिंह , सन्मुख बाबू, हफीज खान, अविनाश व्यास, घंटासला, रोबिन चत्तेर्जी और मदन मोहन. एक बात तो जाहीर है, कि इनमें से ज्यादातर गीत कम बजेट वाली फिल्मों के लिए बनाए गाये थे. मगर इसका यह मतलब नहीं की हम उनका लुत्फ़ नहीं उठा सकते. लीजिये आज प्रस्तुत है इन्ही दो मधुर आवाजों से सजे हुए कुछ दुर्लभ गीत:

१) पहली प्रस्तुती है फिल्म मक्खीचूस (१९५६) से, जिसके कलाकार थे महिपाल और श्यामा. संगीतकार है विनोद (एरिक रोबर्ट्स) और गीतकार है पंडित इन्द्र. यह एक हास्यरस से भरी फिल्म है और यह गीत भी हल्का फुल्का रूमानी और रंजक है. अभिनेता महिपाल ज्यादातर पौराणीक फिल्मों के लिए प्रसिद्द थे, मगर इस फिल्म में उनका किरदार ज़रूर अलग है. गीताजी की आवाज़ और श्यामा के जलवे गीत को और भी मजेदार बना देते है. तलत साहब भी इस हास्य-प्रणय गीत में मस्त मौला लग रहे है. इस गीत के रिकार्ड पर एक अंतरा कम है, इसलिए हमने यह गीत फिल्म के ओरिजिनल साउंड ट्रैक से लिया है, जिसमे वह अंतरा ("जेंटल मन समझ कर हमने तुमको दिल दे डाला") भी मौजूद है.

Makkhee Choos - O Arabpati Ki Chhori - Geeta Dutt & Talat Mahmood



२) अगला गीत है बिलकुल अलग भावों में, फिल्म संगम (१९५४) से. संगीतकार है राम गांगुली, गीतकार हैं शमशुल हुदा बिहारी साहब. फ़िल्म के कलाकार है शेखर, कामिनी कौशल, शशिकला आदी. यह गीत प्रणय रस में डूबा हुआ है और सादे बोलों को राम गांगुली साहब ने खूबसुरती से स्वर बद्ध किया है. गीत में "संगम" शब्द भी आता है, जिससे यह पता चलता है कि यह फिल्मका शीर्षक गीत हो सकता है. इस फिल्म का वीडियो उपलब्ध ना होने के कारण इस बात का पता नहीं कि यह गीत मुख्य कलाकारों पर फिल्माया गया था या नहीं. चलिए इस सुरीले गीत का आनंद लेते है

Sangam - Raat hain armaan bhari - Geeta Dutt & Talat Mahmood



३) हंसराज बहल एक और ऐसे संगीतकार है जो अत्यंत प्रतिभाशाली होने के बावजूद आज की पीढी को उनके बारे में ख़ास जानकारी नहीं है. सन १९५५ में एक फिल्म आयी थी "दरबार" जिसके गीत लिखे थे असद भोपाली साहब ने और संगीत था हंसराज बहल साहब का. इस फिल्म के बारे में अन्य कोई भी जानकारी अंतर्जाल पर उपलब्द्ध नहीं है.(इसी शीर्षक की एक फिल्म पाकिस्तान में सन १९५८ में बनी थी, जिसके बारे में कुछ जानकारी अंतर्जाल पर उपलब्द्ध है). प्रस्तुत गीत विरहरस में डूबा हुआ है, और ऐसे गीत को तलत साहब के अलावा और कौन अच्छे से गा सकता है. आप ही इसे सुनिए और सोचिये की हंसराज बहल, असद भोपाली, तलत महमूद और गीता दत्त के प्रयासों से सजे इस गीत को संगीत प्रेमियों ने क्यों भुला दिया ?

Darbaar - Kyaa paaya duniyane - Geeta Dutt & Talat Mahmood



४) संगीतकार और गायक हेमंत कुमार जितने प्रतिभाशाली कलाकार थे उससे भी ज्यादा महान इंसान थे. खुद गायक होते हुए भी कई अन्य गायाकों से भी उन्होंने गीत गवाए. मुहम्मद रफ़ी, तलत महमूद, सुबीर सेन, किशोर कुमार ऐसे कई नाम इस में शामिल है. लीजिये अब प्रस्तुत हैं फिल्म बहू (१९५५) का गीत जिसके संगीतकार है हेमंत कुमार और गीतकार हैं एक बार फिर से शमशुल हुदा बिहारी साहब. फिल्म बहु के निर्देशक थे शक्ति सामंता साहब और कलाकार थे कारन दीवान, उषा किरण, शशिकला आदी. इस फिल्म में हेमंत कुमार साहब ने तलत महमूद और गीता दत्त से एक नहीं,दो गीत गवाए. दोनों भी सुरीले और मीठे प्रणय गीत है. आज का प्रस्तुत गीत है "देखो देखो जी बलम".

Bahu - Dekho dekho jee balam - Geeta Dutt & Talat Mahmood



५) अब बारी है फिल्म शबिस्तान (१९५१) की. आज हमने इस फ़िल्म के एक नहीं दो गीत चुने है. पहला गीत है "हम हैं तेरे दीवाने, गर तू बुरा ना माने". इस गीत की खासियत यह है की इसकी पहली दो पंक्तिया संगीतकार सी रामचंद्र (चितलकर) साहब ने खुद गाई है मगर रिकार्ड पर उनका नाम ना जाने क्यों नहीं आया. यह गीत भी प्रणय रस और हास्य रस से भरपूर है. "अरे हम को चला बनाने"..ऐसी पंक्तिया अपने शहद जैसी आवाज़ में गीता जी ही गा सकती है. गीत पूरी तरह छेड़ छाड़ से भरा हुआ है. गीतकार कमर जलालाबादी साहब ने इसे खूब सवाल जवाब के तरीके से लिखा है.

Shabistan - Hum hain tere diwaane - Geeta Dutt & Talat Mahmood



६) और अब सुनिए इसी फिल्म का एक और गीत, "कहो एक बार मुझे तुमसे प्यार". गीतकार हैं कमर जलालाबादी साहब और संगीतकार सी रामचंद्र (चितलकर) साहब. गौर करने की बात यह भी है कि इसी फिल्म के कुछ गीत मदन मोहन साहब ने भी स्वरबद्ध किये. उन्होंने भी तलत महमूद और गीता दत्त के आवाजों में एक छेड़ छाड़ भरा प्रणय गीत बनाया था, उसे फिर कभी सुनेंगे. फिल्म के कलाकार थे श्याम और नसीम बानो (अभिनेत्री सायरा बानो की माँ). यह बहुत दुःख की बात है कि इस फिल्म के शूटिंग के दौरान अभिनेता श्याम घोड़े पर से गिरे और उनकी मृत्यु हो गयी.

Shabistan - Kaho ek baar - Geeta Dutt & Talat Mahmood



७) आज की अन्तिम प्रस्तुति हैं एक ऐसी फिल्म से जिसका नाम शायद ही किसी को मालूम होगा. सन १९५९ में यह फिल्म आयी थी जिसके संगीतकार थें मनोहर और गीत लिखे थे अख्तर रोमानी ने. फिल्म का नाम है "डॉक्टर जेड" (Doctor Z) और नाम से तो ऐसा लगता है कि यह कम बजट की कोई फिल्म होगी. ऐसी फिल्म में भी तलत महमूद और गीता दत्त के आवाजों में यह अत्यंत मधुर और सुरीला गीत बनाया गया. हमारी खुश किस्मती हैं कि पचास साल के बाद भी हम इस को सुन सकते है और इसका आनंद उठा सकते है. "दिल को लगाके भूल से, दिल का जहां मिटा दिया, हमने भरी बहार में अपना चमन जला दिया"..वाह वाह कितना दर्द भरा और दिल की गहराई को छू लेने वाला गीत है यह.

Doctor Z - Dilko lagake bhool se - Geeta Dutt & Talat Mahmood



हमें आशा है कि आप भी इन दुर्लभ गीतों का आनंद उठाएंगे और हमारे साथ श्री तुषार भाटिया जी के आभारी रहेंगे.

प्रस्तुति- पराग सांकला



"रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत" एक शृंखला है कुछ बेहद दुर्लभ गीतों के संकलन की. कुछ ऐसे गीत जो अमूमन कहीं सुनने को नहीं मिलते, या फिर ऐसे गीत जिन्हें पर्याप्त प्रचार नहीं मिल पाया और अच्छे होने के बावजूद एक बड़े श्रोता वर्ग तक वो नहीं पहुँच पाया. ये गीत नए भी हो सकते हैं और पुराने भी. आवाज़ के बहुत से ऐसे नियमित श्रोता हैं जो न सिर्फ संगीत प्रेमी हैं बल्कि उनके पास अपने पसंदीदा संगीत का एक विशाल खजाना भी उपलब्ध है. इस स्तम्भ के माध्यम से हम उनका परिचय आप सब से करवाते रहेंगें. और सुनवाते रहेंगें उनके संकलन के वो अनूठे गीत. यदि आपके पास भी हैं कुछ ऐसे अनमोल गीत और उन्हें आप अपने जैसे अन्य संगीत प्रेमियों के साथ बाँटना चाहते हैं, तो हमें लिखिए. यदि कोई ख़ास गीत ऐसा है जिसे आप ढूंढ रहे हैं तो उनकी फरमाईश भी यहाँ रख सकते हैं. हो सकता है किसी रसिक के पास वो गीत हो जिसे आप खोज रहे हों.

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5 श्रोताओं का कहना है :

विवेक रस्तोगी का कहना है कि -

कई गीत हमने पहले बार सुने धन्यवाद आपको।

Sajeev का कहना है कि -

kya paaya duniya ne....bahut hi pyara geet, parag ji thanks is shaandaar peshkash ke liye

RAJ SINH का कहना है कि -

पराग जी ,
बहुत धन्यवाद .इनमे से काफी गीत मैंने पहली बार सुने .आप को जितनी बधाई दूं, कम पड जायेगी .

गुड्डोदादी का कहना है कि -

kedar sharma ,hussanlaal bhagat ram.pandit sudershan ,pandit bagaram ,sehgal sahib kon bhool sakta hai jee aaz ke sangeet mai veh derd kashish nahin hai
jee ek geet jawar bhata ka jo ki dilip kumaar jee pehli film or geet gaya arun jee ne sham ke bela panchhi akela ke fermyish hai jee

गुड्डोदादी का कहना है कि -

पुराने गीत नहीं हैंजीवन की शहनाईयां
गीतों का कुबेर धन की देती हूँ बधाईयां

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