Monday, November 7, 2011

सो जा तू मेरे राजदुलारे सो जा...लोरी की जिद करते बच्चे पिता को भी माँ बना छोड़ते हैं



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 782/2011/222

'चंदन का पलना, रेशम की डोरी' - 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में कल से हमने शुरु की है पुरुष गायकों द्वारा गाई हुई फ़िल्मी लोरियों पर आधारित यह लघु शृंखला। लोरी, जिसे अंग्रेज़ी में ललाबाई (lullaby) कहते हैं। आइए इस 'ललाबाई' शब्द के उत्स को समझने की कोशिश करें। सन् १०७२ में टर्कीश लेखक महमूद अल-कशगरी नें अपनी किताब 'दीवानूल-लुगत अल-तुर्क' में टर्कीश लोरियों का उल्लेख किया है जिन्हें 'बालुबालु' कहा जाता है। ऐसी धारणा है कि 'बालुबालु' शब्द 'लिलिथ-बाई' (लिलिथ का अर्थ है अल्विदा) शब्द से आया है, जिसे 'लिलिथ-आबी' भी कहते हैं। जिउविश (Jewish) परम्परा में लिलिथ नाम का एक दानव था जो रात को आकर बच्चों के प्राण ले जाता था। लिलिथ से बच्चों को बचाने के लिए जिउविश लोग अपने घर के दीवार पर ताबीज़ टांग देते थे जिस पर लिखा होता था 'लिलिथ-आबी', यानि 'लिलिथ-बाई', यानि 'लिलिथ-अल्विदा'। इसी से अनुमान लगाया जाता है कि अंग्रेज़ी शब्द 'ललाबाई' भी 'लिलिथ-बाई' से ही आया होगा। और शायद यहीं से 'लोरी' शब्द भी आया होगा। है न दिलचस्प जानकारी! लोरी एक ऐसा गीत है जो यूनिवर्सल है, हर देश में, हर राज्य में, हर प्रान्त में, हर समुदाय में, हर घर में गाई जाती है। भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग भाषाओं में लोरी का अलग अलग नाम है। असमीया में लोरी को 'निसुकोनी गीत' या 'धाईगीत' कहते हैं तो बंगला में 'घूमपाड़ानी गान' कहा जाता है; गुजराती में 'हल्लार्दु' तो कन्नड़ में 'जोगुला हाडु'; मराठी में 'अंगाई' और सिंधी में 'लोली' कहते हैं। दक्षिण भारत में मलयालम में 'थराट्टु पट्टू', तमिल में 'थालाट्टू' और तेलुगू में लोरी को 'लली पाटलू' कहा जाता है। दोस्तों, इन प्रादेशिक शब्दों को लिखने में अगर ग़लतियाँ हुईं हों तो क्षमा चाहूँगा।

और अब आज की लोरी। दोस्तों, यूं तो लोरी महिलाएँ गाती हैं, पर अगर पुरुषों से लोरियाँ गवाना हो तो इस बात का ज़रूर ध्यान रखा जाता है कि वह सुनने में कोमल, मुलायम लगे, सूदिंग लगे, जिससे बच्चा सो जाये। हर गायक की आवाज़ में लोरी सफल नहीं हो सकती। इसलिए फ़िल्मी संगीतकारों नें इस बात का ध्यान रखा है कि लोरियों के लिए ऐसे गायकों को चुना जाये जिनकी आवाज़ या तो मखमली हो या फिर वो ऐसे अंदाज़ में गायें कि सुनने में मुलायम लगे। आज हम जिस लोरी को सुनने जा रहे हैं उसे गाया है मखमली आवाज़ वाले तलत महमूद साहब नें। यह है १९५५ की फ़िल्म 'जवाब' की लोरी "सो जा तू मेरे राजदुलारे सो जा, चमके तेरी किस्मत के सितारे राजदुलारे सो जा"। गीतकार ख़ुमार बाराबंकवी की लिखी लोरी, जिसे स्वरबद्ध किया कमचर्चित संगीतकार नाशाद नें। 'इस्माइल फ़िल्म्स' के बैनर तले इस्माइल मेमन नें इस फ़िल्म का निर्माण व निर्देशन किया था और मुख्य भूमिकाओं में थे नासिर ख़ान, गीता बाली, जॉनी वाकर, मुकरी, अचला सचदेव, अशरफ़ ख़ान और बलराज साहनी। प्रस्तुत लोरी बलराज साहनी पर फ़िल्माया गई है। लोरी के शुरु होने से पहले बच्चा ज़िद करता है लोरी के लिए तो बलराज साहनी कहते हैं - "तू जीता मैं हारा, तू मुझे माँ बनाके ही छोड़ेगा"। तो आइए तलत साहब की मख़मली आवाज़ में सुनते हैं यह ख़ूबसूरत लोरी, पर ध्यान रहे, सो मत जाइएगा।



पहचानें अगला गीत, इस सूत्र के माध्यम से -
भारत भूषण गायक बने राजमहल में लोरी सुना रहे हैं रानी की भूमिका में नूतन को सुलाने के लिए और सखियाँ और राजा दूर से चोरी-चोरी नज़ारा देख रहे हैं। किस गायक की आवाज़ में है यह लोरी?

पिछले अंक में

खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी


इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

2 श्रोताओं का कहना है :

Amit का कहना है कि -

हेमंत कुमार

driving direction mapquest का कहना है कि -

Thank you so much for sharing your knowledge and information; it has been really beneficial to me in both my professional and personal lives.

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ

ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला

महफ़िल-ए-ग़ज़लः नई शृंखला की शुरूआत

भेंट-मुलाक़ात-Interviews

संडे स्पेशल

ताजा कहानी-पॉडकास्ट

ताज़ा पॉडकास्ट कवि सम्मेलन