Season 3 of new Music, Song # 01
दोस्तो, कहते है
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ग़ज़ल के बोल -
एक रात में सौ बार जला और बुझा हूँ,
मुफलिस का दीया हूँ मगर आंधी से लड़ा हूँ.
वो आईना हूँ कभी कमरे में सजा था,
अब गिर के जो टूटा हूँ तो रस्ते में पड़ा हूँ.
मिल जाऊँगा दरिया में तो हो जाऊँगा दरिया,
सिर्फ इसलिए कतरा हूँ, समुन्दर से जुदा हूँ.
दुनिया से निराली है 'नजीर' अपनी कहानी,
अंगारों से बच निकला हूँ फूलों से जला हूँ.
मेकिंग ऑफ़ "एक रात में..." - रफीक शेख (गायक/संगीतकार) के शब्दों में
मुझे ये ग़ज़ल रफीक सागर जी , जो रजा हसन के पिताजी हैं, उन्होंने दी थी. ये इतनी प्यारी ग़ज़ल है और बहुत ही सीधी भाषा में है जो सबको समझ में आएगी, इसके हर शेर ऐसा है कि सबको लगता है कि बस मेरी ही कहानी बोली जा रही है. कामियाबी पाना इतना आसान नहीं है, फिर भी जब हम किसी कामियाब इंसान को देखते हैं तो बड़ी आसानी से कहते हैं, कि 'भाई साहब आपके तो मजे हैं, गाडी बंगला सब कुछ है आपके पास', मगर हम ये नहीं जानते हैं कि उन चीजों को हासिल करने के लिए उस शख्स को क्या क्या करना पड़ा होगा....उसी को शायर इस अंदाज़ में कहता है कि "एक रात में सौ बार जला और बुझा हूँ, मुफलिस का दिया हूँ मगर आंधी से लड़ा हूँ...". इस ग़ज़ल का हर शेर लाजावाब तो है ही, मगर जो मक्ता है उसका क्या कहना...बड़ी सीधी भाषा में शायर कहता है कि "दुनिया से निराली है 'नजीर' अपनी कहानी, अंगारों से बच निकला हूँ फूलों से जला हूँ...", उम्मीद करता हूँ कि आप सब को ये पेशकश पसंद आएगी...."
रफ़ीक़ शेख
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Gazhal - Ek Raat Men...
Vocal - Rafique Sheikh
Music - Rafique Sheikh
Lyrics - Nazeer Banarasi
Song # 01, Season # 03, All rights reserved with the artists and Hind Yugm
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10 श्रोताओं का कहना है :
आईना हूँ कभी कमरे में सजा था,
अब गिर के जो टूटा हूँ तो रस्ते में पड़ा हूँ.
बेहद ही खुबसूरत प्रस्तुती, शुभकामनाये.
regards
बहुत ही कमाल की आवाज़ है और ग़ज़ल का जवाब नहीं
आवाज़ और ग़ज़ल दोनों बहुत पसन्द आए ..बधाई हो |
हाय कोई साबुत बचा हो तो बताये
उसी राह का मुसाफिर हूँ रकीबों से मिला हूँ
Wow... great voice,heart touching poetry and melodious music...congrats
मिल जाऊँगा दरिया में तो हो जाऊँगा दरिया,
सिर्फ इसलिए कतरा हूँ, समुन्दर से जुदा हूँ....
waahhh.. wat a gazal... Ruhaani awaaz... dilkash sangeet, maza aa gaya...
iski cd kaha milengi ?
बहुत मोहक प्रस्तुति .......
प्रीति जी,
असल में ये गाने किसी एल्बम का हिस्सा नहीं है। ये बिलकुल नये-ताज़े गीत हैं, जिन्हें एक-एक करके हम रीलिज कर रहे हैं। असल में हिन्द-युग्म नये कलाकारों को मौका देने के लिए हर साल संगीत के सत्र आयोजित करता है। यह संगीता का तीसरा सत्र है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
- कुहू
पता नहीं अब तक क्यों नहीं सुनी थी ये गजल मैंने...लेकिन आज सुनते ही मन को हिला सी गयी...बहुत ही खूबसूरत आवाज़ और शब्द भी...
मुझे लगता है कि इस गजल की एक- लाइन...यूं कहें एक एक अल्फाज पर अगर सौ-सौ बार भी दाद दें तो कम होगा.......लाजवाब पैकेज...पूरी टीम को बहुत बहुत साधुवाद
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