Friday, September 3, 2010

ये इंतज़ार बड़ा मुश्किल, कितनी हीं रंगीं हो महफ़िल...महसूस किया कुहू ने रूचि और वेंकटेश के साथ



Season 3 of new Music, Song # 18

नए गीतों से रोशन आवाज़ महोत्सव २०१० में आज बारी है १८ वें गीत की, और आज फिर उसी गायिका की आवाज़ से रोशन है ये महफ़िल जो पहले ही इस सत्र में ५ गीतों को अपनी आवाज़ दे चुकी हैं, जी हाँ आपने सही पहचाना ये उभरती हुई बेहद प्रतिभशाली गायिका है कुहू गुप्ता, जिन पर पूरे आवाज़ परिवार को नाज़ है, तभी तो वो हर उभरते हुए संगीतकार की पहली पसंद बन चुकी हैं आज. आज का गीत कुछ शास्त्रीय रंग लिए हुए है जिसके माध्यम से पहली बार आवाज़ के मंच पर उतर रहे हैं एक हुनरमंद संगीतकार और एक बेहद नयी गीतकारा. संगीतकार वेंकटेश शंकरण हैं जिनका परिचय आप नीचे पढ़ सकते हैं, गीत को लिखा है रूचि लाम्बा ने. निलंजन नंदी ने गीत का संयोजन किया है. हमें पूरा यकीन है बेहद मधुर और बेहद कर्णप्रिय इस गीत को आप हमेशा अपने संकलन में रखना चाह्गें. तो सुनिए ये गीत

गीत के बोल -

कुछ ना भाये मन को मेरे,
हर पल देखूँ सपने तेरे, तेरे , तेरे
जिया लागे ना, तेरे बिन..

जिया लागे ना, नहीं लागे लागे, नहीं लागे लागे, जिया लागे ना,
तेरे बिन, नींद आवे ना, नैना जागे जागे, नैना जागे जागे, नींद आवे ना,
तेरे बिन, जिया लागे ना..

जग को रजनी सुलाए,
मझको यादें जगाए,
सर्द पुरवा के झोंके,
तेरी आहट सुनाए..

जिया लागे ना, तेरे बिन,
जिया लागे ना, नहीं लागे लागे, नहीं लागे लागे, जिया लागे ना,
तेरे बिन
नींद आवे ना,
तेरे बिन
जिया लागे ना,
तेरे बिन

साँझ के धुंधले आँचल छाए,
मुझको घेरे यादों के साये, जिया लागे ना,

साँझ के धुंधले आँचल छाए,
मुझको घेरे यादों के साये, जिया लागे ना,

ये इंतज़ार बड़ा मुश्किल,
कितनी हीं रंगीं हो महफ़िल

तू हीं मेरे
मन में है,
तू हीं धड़कन में है,
तेरे बिना,
मेरा जिया,
कहीं नहीं,
लागे पिया.. ना ना ना ना ना

तेरे बिन, जिया लागे ना,
जिया लागे ना, नहीं लागे लागे, नहीं लागे लागे, जिया लागे ना,
तेरे बिन, नींद आवे ना, नैना जागे जागे, नैना जागे जागे, नींद आवे ना,
तेरे बिन, जिया लागे ना..



मेकिंग ऑफ़ "तेरे बिन" - गीत की टीम द्वारा

वेंकटेश शंकरण: मैंने कुहू के साथ पहले भी एक गाना किया है, जो अब एक व्यावसायिक एलबम का हिस्सा बन चुका है। मुझे कुहू के बारे में जानकारी एक अंतर्जालीय संगीत समूह (इंटरनेट म्युज़िक फोरम) से मिली थी। जहाँ तक रूचि का सवाल है, तो इनसे मैं सबसे पहले अपनी हीं अकादमी में मिला था और अपनी धुन पर गीत लिखने की मैंने इनसे पेशकश की थी। मेरा यह सौभाग्य है कि ये खुशी-खुशी राजी हो गईं। निलंजन के अरेंजमेंट के बारे में मैं क्या कहूँ, मैंने इनसे जिस चीज की उम्मीद की थी, आखिरकार मैंने वही पाया। मैं तो यही कहूँगा कि कैलिफ़ोर्निया के इन दो हुनरमंदों और कुहू के साथ काम करने का मेरा अनुभव बहुत हीं अच्छा रहा। गाने की फाईनल मिक्सिंग आने से पहले इसमें थोड़े-बहुत बदलाव हुए थे, ताकि गाना जो बनकर निकले वह लोगों के दिलों को छू जाए। कोशिश तो यही थी, पता नहीं हम इसमें कितना सफल हुए हैं। अब सब कुछ आप श्रोताओं के हाथ में हैं..उम्मीद करता हूँ कि हमारा यह प्रयास आप सबों को पसंद आएगा।

रूचि लांबा: इस गाने की धुन वेंकटेश जी ने जब मुझे सुनाई, तो ये गीत मुझे सुनते हीं पसंद आ गया। धुन इतनी सुंदर थी कि इस पर गीत के बोल अपने आप हीं आते गए। ये मेरा सौभाग्य है कि वेंकटेश जी ने मुझसे गीत के बोल लिखने को कहे। बिरहा (विरह) और प्रेम से भरा ये गीत, कुहू जी ने बहुत खूबसूरती से गाया है। मैं आशा करती हूँ कि ये गीत और लोगों को भी बहुत पसंद आएगा।

कुहू गुप्ता: वेंकटेश के साथ किया गया मेरा पहला गाना बहुत हीं लोकप्रिय रहा है और ये गाना भी मुझे बेहद पसंद आया। इस गाने के लफ़्ज़ों में जो दर्द है वो गाने में ज़ाहिर करना मेरे लिए एक मुश्किल काम था। ऐसा खूबसूरत गीत लिखने के लिए मैं रूचि को बधाई देना चाहूँगी। निलंजन ने जो अरेंजमेंट किया है, वो गाने के लिए एकदम उपयुक्त है। आशा करती हूँ कि श्रोताओं को यह गाना पसंद पाएगा।

वेंकटेश शंकरण (संगीतकार)
कैलिफोर्निया में रह रहे वेंकटेश संगीत को अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा मानते हैं। इन्होंने अब तक न सिर्फ़ हिन्दुस्तानी कलाकारों के लिए धुनें तैयार की हैं, बल्कि कई सारे अमरीकियों के लिए भी गानों का निर्माण किया है। ये वहाँ पर "सुर म्युज़िक अकादमी" नाम की एक संगीत संस्था चलाते हैं, जहाँ पर हिन्दुस्तानी संगीत, हिन्दुस्तानी साज़ और नृत्य की शिक्षा दी जाती है। आवाज़ पर "तेरे बिन" गाने के साथ ये पहली बार हाज़िर हुए हैं।

रूचि लांबा (गीतकारा)
इनका जन्म मुंबई में हुआ , लेकिन जब ये बस ग्यारह साल की थीं तभी अपने परिवार के साथ आस्ट्रेलिया चली गईं। वहाँ पर पलने-बढने के बावजूद इन्हें हिन्दुस्तानी संगीत और कविताओं से बहुत प्यार रहा है। शादी के बाद ये कैलिफ़ोर्निया आ गईं और आठ साल से अमरीका में हीं हैं। ये पेशे से एक जर्नलिस्ट (पत्रकार) और पब्लिक रिलेशन्स कंसल्टेंट हैं। जब भी वक़्त मिलता है, ये गीत और शेर लिख लिया करती हैं। "तेरे बिन" आवाज़ पर इनकी पहली प्रस्तुति है।

निलंजन नंदी (अरेंजर एवं मिक्सिंग इंजीनियर)
१९६९ में जब निलंजन महज ६ साल के थे, तभी से इन्होंने बाल-कलाकार के तौर पर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। बचपन से हीं (छठी कक्षा से) इनमें संगीतकार बनने की एक ललक थी। इसलिए इन्होंने वोकल म्युज़िक, गिटार, सरोद, मेलोडिका, पियानो, सिंथेसाइज़र एवं इंडो-अफ़्रो वाद्य-यंत्रों,जिनमें ड्रम इन्हें सबसे ज्यादा पसंद था, को सीखना शुरू कर दिया। ये फ़्युज़न संगीत एवं एथनीक तरीकों(स्टाइल्स) में पारंगत हैं। ये अपनी धुनों को प्रोग्राम करना, साथ हीं साथ अपने स्टुडियो में मिक्स एवं रिकार्ड करना काफी पसंद करते हैं। किसी भी धुन को अरेंज करते समय इनकी दिली ख्वाहिश रहती है कि कम से कम साज़ों का इस्तेमाल हो। "तेरे बिन", जो आवाज़ पर इनकी पहली पेशकश है, को अरेंज करते समय भी इन्होंने इसी बात का ध्यान रखा है।

कुहू गुप्ता (गायिका)
पुणे में रहने वाली कुहू गुप्ता पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गायकी इनका जज्बा है। ये पिछले 6 वर्षों से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई गायन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है और इनाम जीते हैं। इन्होंने ज़ी टीवी के प्रचलित कार्यक्रम 'सारेगामा' में भी 2 बार भाग लिया है। जहाँ तक गायकी का सवाल है तो इन्होंने कुछ व्यवसायिक प्रोजेक्ट भी किये हैं। वैसे ये अपनी संतुष्टि के लिए गाना ही अधिक पसंद करती हैं। इंटरनेट पर नये संगीत में रुचि रखने वाले श्रोताओं के बीच कुहू काफी चर्चित हैं। कुहू ने हिन्द-युग्म के ताजातरीन एल्बम 'काव्यनाद' में महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' को गाया है, जो इस एल्बम का सबसे अधिक सराहा गया गीत है। इस संगीत के सत्र में भी यह इनका छठा गीत है।

Song - Tere Bin
Voice - Kuhoo Gupta
Music - Venkatesh Sankaran
Lyrics - Ruchi Lamba
Arrangement and Mixing - Nilanjan Nandy
Graphics - Prashen's media


Song # 18, Season # 03, All rights reserved with the artists and Hind Yugm

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5 श्रोताओं का कहना है :

Sajeev का कहना है कि -

बहुत ही मधुर धुन है वेंकटेश की, उस पर कुहू की आवाज़ क्या कहने...रूचि को खास बधाई उन्होंने बहुत ही सही शब्दों का चयन किया है इस खूबसूरत गीत के लिए keep it up

Anonymous का कहना है कि -

विश्व! माफ करना मैं बिना पढे या सुने अपने कमेन्ट डे कर किसी की महंत का निरादर नही कर सकती जैसा कि आप जानते भी हो कि मैं गवर्नमेंट जॉब में हूं एच.एम.हूं.लिखना,पढ़ना,अदर एक्तिविज़ सब इतने हैं कि चाह कर भी एक दिन में चार पांच आर्टिकल्स भी नही पढ़ पाती,सर्र से निकलना भी नही पसंद.
पर...आपके ब्लोग में कभी कभी आती हूं और हमेशा आने का मन में जरूर रहता है.आज कुहू को सुना दो बार सुन् चुकी हूं और तीसरी बार अभी भी गीत धीमी आवाज में चल रहा और मैं व्यूज़ लिख रही हूं और जानती हूं मेरे लिखे को आप एक सजेशन के रूप में लेंगे,दुखी नही होंगे.
कुहू ने इस गीत को बहुत खूबसूरत गया है,कुहू की महंत स्पष्ट सधी आवाज में दिख रही है कि ये बच्ची संगीत सीख ही नही रही बल्कि संगीत को प्यार करती है दिल से.
गीत के शब्द,भावों में कोई कमी नही.
शब्द और गायन दोनों बहुत सुन्दर. काश दिल को चीर देने वाला,दर्द की गहनता को गहराई सेखींच लाने वला वोय्लिन की दर्दनाक धुन सी इसकी धुन भी होती बुरी अभी भी नही पर........गीत और गायकी की तुलना में जरा सी..........
जब की संगीत इसे कई कई कई गुना ज्यादा दिल को छू लेने वाला बना सकता था.
फिर भी आप सबके प्रयास की मुक्त कंठ से सराहना करती हूं. सब बधाई के पात्र हैं.सबको इतनाआआआआआआआ सारा प्यार.
और ये गया आपका गाना मेर 'माई स्वीट सोंग्स' फ़ाइल में.

Anonymous का कहना है कि -

ना जिया लागे ना
तेरे बिना मेरा कही जिया लागे ना...ना
पिया तोरी बावरी से रहा जाये ना...

फिल्म आनंद

आशा ढौंडियाल का कहना है कि -

bahut hi madhur geet hai...... ruchi ji,venkatesh ji aap dono ko bahut badhayi...aur kuhu ji aap sach me apne naam ko sarthak kar rahi hai....bahut meethi awaj hai aapki...dil tak pahunchti....god bless u all

Kuhoo Gupta का कहना है कि -

आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद
- कुहू

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