Friday, October 17, 2008

सुनिए करवाचौथ पर कविता तथा संगीतबद्ध गीत



करवाचौथ पर हिन्द-युग्म की खास पेशकश


आज यानी की कार्तिक कृण्ण पक्ष की चतुर्थी को पूरे भारतवर्ष में सुहागिन स्त्रियाँ अपने पतियों की लम्बी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं। अभी पिछले सप्ताह हमने इसी त्यौहार को समर्पित शिवानी सिंह का गीत 'ऐसा नहीं कि आज मुझे चाँद चाहिए, मुझको तुम्हारे प्यार में विश्वास चाहिए' ज़ारी किया था।

हिन्द-युग्म आज इन्हीं सुहागनों को अपने ख़जाने से एक कविता समर्पित कर रहा है। हमने इस वर्ष के विश्व पुस्तक मेला में अपना पहला संगीतबद्ध एल्बम ज़ारी किया था, जिसमें १० कविताओं और १० गीतों का समावेश था। इसी एल्बम की एक कविता है 'करवाचौथ' जिसे विश्व दीपक 'तन्हा' ने लिखा है। इस कविता को आवाज़ दी है रूपेश ऋषि ने। इस कविता के तुरंत बाद हमने इसी एल्बम में सुनीता यादव द्वारा स्वरबद्ध किया तथा गाया हुआ गीत 'तू है दिल के पास'। हम समझते हैं कि अपने पतियों की लम्बी उम्र की आकांक्षी महिलाओं को हमारा यह उपहार ज़रूर पसंद आयेगा।



विश्वास का त्योहार

ओ चाँद तुझे पता है क्या?
तू कितना अनमोल है
देखने को धरती की सारी पत्नियाँ
बेसब्र फलक को ताकेंगी
कब आयेगा, तू कब छायेगा?
देगा उनको आशीर्वचन
होगा उनका प्रेम अमर

जी हाँ, करवाचौथ इसी उद्देश्य से मनाया जाता है। यह व्रत पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में अत्यंत धूम-धाम से मनाया जाता है। भारतीय पांचांग जो कि खुद चन्द्रमा की चाल पर आधारित है के अनुसार प्रत्येक साल के कार्तिक महीने में चतुर्थी को सुहागिनों के लिये वरदान स्वरूप बनकर आता है। उनकी आस्था, परंपरा, धार्मिकता, अपने पति के लिये प्यार, सम्मान, समर्पण, इस एक व्रत में सबकुछ निहीत है। जैसाकि हम सब जानते हैं कि भारतीय पत्नी की सारी दुनिया, उसके पति से शुरू होती है उन्हीं पर समाप्त होती है। शायद चाँद को इसीलिये इसका प्रतीक माना गया होगा क्योंकि चाँद भी धरती के कक्षा में जिस तन्मयता, प्यार समर्पण से वो धरती के इर्द गिर्द रहता है, हमारी भारतीय औरते उसी प्रतीक को अपना लेती हैं। वैसे भी हमारा भारत, अपने परंपराओं, प्रकृति प्रेम, अध्यात्मिकता, वृहद संस्कृति, उच्च विचार और धार्मिक पुरजोरता के आधार पर विश्व में अपने अलग पहचान बनाने में सक्षम है। इसके उदाहरण स्वरूप करवा चौथ से अच्छा कौन सा व्रत हो सकता है जो कि परंपरा, अध्यात्म, प्यार, समर्पण, प्रकृति प्रेम, और जीवन सबको एक साथ, एक सूत्र में पिरोकर, सदियों से चलता आ रहा है। मैं सोच रही हूँ कि इस व्रत के बारे में मैं क्या बताऊँ? मुझसे बेहतर सब जानते हैं? व्रत की पूजा, विधी, दंत कथाएँ, कथाएँ, इत्यादि के बारे में सभी लोगों को पता है। अन्तरजाल पर तो वृहद स्तर पर सारी सामग्री भी उपलब्ध है। तो उसी रटी-रटायी बात को दुबारा से रटने का मन नहीं बन रहा है। वैसे करवा चौथ पर मेरा निजी दृष्टिकोण कुछ नहीं है, कोई पूर्वाग्रह भी नहीं है। पूर्वी प्रदेश के इलाकों में इस व्रत की पहुँच नहीं है, तो मैंने कभी अपने घर में करवाचौथ का व्रत होने नहीं देखा। मेरा अपना मानना है कि यह पावन व्रत किसी परंपरा के आधार पर न होकर, युगल के अपने ताल-मेल पर हो तो बेहतर है। जहाँ पत्नी इस कामना के साथ दिन भर निर्जला रहकर रात को चाँद देखकर अपने चाँद के शाश्वत जीवन की कामना करती है, वह कामना सच्चे दिल से शाश्वत प्रेम से परिपूर्ण हो, न कि सिर्फ इसलिये हो को ऐसी परंपरा है। यह तभी संभव होगा जब युगल का व्यक्तिगत जीवन परंपरा के आधार पर न जाकर, प्रेम के आधार पर हो, शादी सिर्फ एक बंधन न हो, बल्कि शादी नवजीवन का खुला आकाश हो, जिसमें प्यार का ऐसा वृक्ष लहरायें जिसकी जड़ों में परंपरा का दीमक नहीं प्यार का अमृत बरसता हो, जिसकी तनाओं में, बंधन का नहीं प्रेम का आधार हो। जब ऐसा युगल एक दूसरे के लिये, करवा चौथ का व्रत करके चाँद से अपने प्यार के शाश्वत होने का आशीर्वचन माँगेगा तो चाँद ही क्या, पूरी कायनात से उनको वो आशीर्वचन मिलेगा।

करवाचौथ महज एक व्रत नहीं है, बल्कि सूत्र है, विश्चास का कि हम साथ साथ रहेंगे, आधार है जीने का कि हमारा साथ ना छूटे। आज हम कितना भी आधुनिक हो जायें, पर क्या ये आधुनिकता हमारे बीच के प्यार को मिटाने के लिये होनी चाहिये?

आधुनिक होने का मतलब क्या होता है, मुझे समझ में नहीं आया.. शायद आम भाषा में आधुनिक होने का मतलब होता होगा, अपनी जड़ों से खोखला होना। रिश्तों में अपनत्व का मिट जाना, फालतू का अपने संस्कृति पर अंगूली उठाते रहना। हम यह भूल जाते है कि परंपरा वक्त की मांग के अनुसार बनी होती है, वक़्त के साथ परंपरा में संशोधन किया जाना चाहिये पर उसको तिरस्कृत नहीं करना चाहिये, आखिर यही परम्परा हमारे पूर्वजों की धरोहर है।
मेरे विदेशी क्लाईंट्स से कभी-कभार इस पर अच्छा विचार विमर्श हो जाता है। आज ही की बात है, ऑनलाईन मेडिटेशन क्लास के बाद एक क्लाईंट को करवा चौथ के बारे में जानने कि इच्छा हूई। पूरी बात समझने के बाद आप जानते हैं उन्होंने क्या कहा? अगले साल से वो भी करवा चौथ का व्रत रखेगी। चौकिये मत, मुझे नहीं पता कि वो अगले साल तक इस बात को याद रख पायेंगी या नहीं, पर हाँ अपने रिश्ते को मजबूत बनाने के लिये उनकी यह सोच ही काफी नहीं लगती? आखिर हम आधुनिकता का लबादा ओढ़ कर कब तक अपने धरोहर को, अपने ही प्यार के वुक्ष को काटते रहने पर तुले रहेंगे।
परंपरा, जो विश्चास की नींव पर, सच्चाई के ईंट से, प्यार रूपी हिम्मत से सदियो से चली आ रही है, उसको खोखला बताना गलत नहीं है तो क्या है?
करवा चौथ जबरन नहीं, प्यार से, विश्वास से मनाईये, इस यकिन से मनाइये कि आपका प्यार अमिट और शास्वत रहे।

-डॉ॰ गरिमा तिवारी
(तत्वज्ञ)

पूजन-विधि तथा पौराणिक मान्यताएँ






चित्र वाली जानकारी का स्रोत- http://www.indif.com

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8 श्रोताओं का कहना है :

shivani का कहना है कि -

करवाचौथ के उपलक्ष्य पर हिंद युग्म की ओर से ख़ास पेशकश का मैं बहुत स्वागत और धन्यवाद करती हूँ !विश्व दीपक जी की कविता बहुत ही सुन्दर और यथार्थ के करीब है !सुनीता जी का गीत इस मौके पर बहुत ही बढ़िया लगा !इस व्रत के बारे में मुझको अधिक जानकारी नहीं थी ,परन्तु आपने इसका महत्व और पूजा की विधि और कथा बता कर बहुत अच्चा किया !कुल मिला कर बहुत ज्ञानवर्धक ,रोचक और मनोरंजक लेख लगा !आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद !

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत बढ़िया गीत और जानकारी

अविनाश वाचस्पति का कहना है कि -

डॉ. गरिमा तिवारी का लेख सोचक है। इस पर सभी विज्ञजनों को पूरी गंभीरता से मनन करना चाहिए। हिन्‍द युग्‍म इस विषय पर ऑनलाईन संगोष्‍ठी भी आयोजित करे, ऐसी मेरी राय है। जिसका संचालन डॉ. गरिमा तिवारी करें और विभिन्‍न क्षेत्रों के महिला एवं पुरुष उसमें प्रतिनिधित्‍व करते हुए भागीदारी करें और अपने विचार रखें।

Unknown का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रचना है. वधाई और धन्यवाद.

शोभा का कहना है कि -

अच्छी पेशकश है. गरिमा जी ने बढ़िया जानकारी दी है. तन्हां जी का गीत मधुर लगा. पुरी टीम को बधाई .

Anonymous का कहना है कि -

इतना सुंदर गीत था किक्या कहूं और गाया भी बहुत ही सुंदर था मंत्र मुग्ध सी सुनती रही
बधाई पूरी टीम
सादर
रचना

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

गरिमा जी की बातों पर सभी को अमल करना चाहिए। करवा चौथ के माध्यम से उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात उठाई है। कविता और गीत दोनों बहुत अच्छे हैं। बधाई।

Hanuman chalisa का कहना है कि -

It is such an impressive article keep it up !!
https://hanumanchalisamantra.in/

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