गाना आए या न आए,गाना चाहिए...जनाब बाथरूम सिंगिंग छोडिये, और महफिलों की जान बनिए, आवाज़ पर संजय पटेल लेकर आए हैं, नए गायकारों के लिए मशहूर संगीतकार कुलदीप सिंह के सुझाये कुछ नायाब टिप्स...
दोस्तो,
एक संगीत प्रतियोगिता के संचालन के दौरान, मैंने बतौर निर्णायक उपस्थित, जाने माने संगीतकार कुलदीप सिंह (फ़िल्म साथ-साथ और अंकुश से मशहूर), जिन पर ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह को पहली बार पार्श्व गायन में उतारने का श्रेय भी है, से जानना चाहा कुछ ऐसे मशवरे, जो उभरते हुए नए गायकों, विशेषकर जो सुगम संगीत (गीत, ग़ज़ल,और भजन आदि ) गा रहे हैं या फ़िर इस क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं. कुलदीप जी ने जो बातें बतायीं वो आपके साथ बाँट रहा हूँ, एक बार फ़िर "आवाज़" के मध्यम से, तो गायक दोस्तो, नोट कर लीजिये कुछ अनमोल टिप्स :
- ज़्यादातर बाल कलाकार अपने गुरू का रटवाया हुआ गाते हैं.गुरूजनों का दायित्व है कि वे इस बात का ख़ास ख़याल रखें कि क्या जो बच्चे को सिखाया जा रहा है, वह उसकी उम्र पर फ़बता है.
- कविता/शायरी की समझ सबसे बड़ी चीज़ है.जब गा रहे हैं 'रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ’ तो ये जानना ज़रूरी है कि एहमद फ़राज़ ने इस ग़ज़ल में क्या कहा है. यदि कबीर गा रहे हैं तो जानें कि ’जो भजे हरि को सदा; वही परम-पद पाएगा', ये परम-पद क्या बला है. रचना का तत्व जानें बिना गायकी में भाव पैदा करना मुमकिन नहीं.
- वह गाइये जा आपकी आवाज़ को सूट हो , इसलिये कोई ग़ज़ल,गीत या भजन न गाएँ कि वह बहुत सुना जाता है. क्या आपकी आवाज़ से वह बात जाएगी जो कविता/शायरी में कही गई है.आपकी आवाज़ और रचना की जुगलबंदी अनिवार्य है.
- तलफ़्फ़ुज़...उच्चारण ...सुगम संगीत की जान हैं. भजन,ग़ज़ल और गीत ..ये सब शब्द प्रधान गायकी के हिस्से हैं . यदि शब्द ही साफ़ नहीं सुनाई दिया तो आपके गाने का मक़सद पूरा नहीं होगा.सुगम संगीत में रचना की पहली पंक्ति सुनते ही श्रोता तय कर लेता है कि उसे ये रचना या इस गायक को पूरा सुनना है या नहीं.संगीत गुरू यदि भाषा की सफ़ाई का जानकार न हो तो ऐसे किसे व्यक्ति से संपर्क बनाए रखना चाहिये जो उच्चारण की नज़ाकत को जानता हो.(इस मामले में मैं रफ़ी साहब और लता जी को उच्चारण का शब्दकोश मानता हूँ; नई आवाज़ों को चाहिये कि वे इन दो गायको के गाए गीतों के शब्दों को बहुत ध्यान से सुनें)
- सरल गाना ज़्यादा कठिन है. बड़े और नामचीन गायकों को सुनिये ज़रूर, लेकिन फ़िज़ूल में उनकी आवाज़ की हरक़तों की नक़ल न करें. बात को सीधे सीधे कहिये .ज़्यादा घुमाव फ़िराव से शब्द प्रदूषित हो जाता है. जगजीतसिंह को सुनिये...कितना सादा गाते हैं .वे क्लासिकल पृष्ठभूमि से आए हैं, लेकिन जानते हैं कि ग़ज़ल गायकी की क्या ख़ूबी है.वे अपनी आवाज़ को बहुत लाजवाब तरीक़े से घुमाना जानते हैं (यक़ीन न हो तो फ़िल्म आविष्कार में उनका और चित्रा सिंह का गाया 'बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जा' ...सुनिये)लेकिन वे शब्द और सिर्फ़ शब्द का दामन ही नहीं छोड़ते.
- शास्त्रीय संगीत आधार है...यदि गाने के क्षेत्र में वाक़ई गंभीरता से आना चाहते हैं तो शास्त्रीय संगीत सीखे बिना क़ामयाबी संभव नहीं.
- देहभाषा (बॉडी लैंग्वेज), सहज रखिये...गले या शरीर के दीगर भागों पर गाने का तनाव मत लाईये...तसल्ली गाने की सबसे बड़ी चीज़ है. देखिये तो कभी मेहंदी हसन साहब को गाते हुए...कितनी शांति से सुर छेड़ते हैं...बल्कि उससे खेलते हैं...उसमें रम जाते हैं....गाते वक़्त गाने वाला ख़ुद अपने भीतर बैठे कवि को प्रकट कर दे यानी किसी रचना को ऐसे गाए जैसे वह उसी की लिखी है और यहाँ फ़िर वही बात लागू हो जाती कि कविता/शायरी की समझ के बिना ये संभव नहीं.
- सुनना और सुनना ...नई आवाज़ों को अपने क्षेत्र की (जिस भी विधा आप गाते हैं)पूर्ववर्ती वरिष्ठ कलाकारों की रेकॉर्डिंग्स सुनिये.अपने पसंदीदा गुलूकार का कलेक्शन सहेजिये..समझिये कैसे गाते रहे हैं ये बड़े कलाकार..सुनिये...गुनिये...और फ़िर गाइये.
विभिन्न विधाओं में इन आवाज़ों ज़रूर सुनें:
- नक़ल बड़ी ख़तरनाक़ चीज़ है...मत पड़िये इस उलझन में ..जब जब भी आप किसी अन्य गायक को दोहराएंगे..वही कलाकार याद आएंगे (जिसको आप दोहरा रहे हैं या नक़ल कर रहे हैं) आप स्थापित नहीं हो पाएंगे. भगवान ने आपके गले में जो दिया है उसे निखारिये.
- अच्छा कलाकार बनने से पहले अच्छा इंसान बनिये,और शऊर पैदा कीजिये ज़िन्दगी की अच्छी बातों को अपनाने का. गाते हैं तो साहित्य पढ़ने में कविता/शायरी सुनने,चित्रकला में रूचि लेने,अभिनय में, यानी दूसरी विधाओं से राब्ता रखने से आप बेहतर कलाकार बन सकते हैं.
ये बातें नई आवाज़ों के लिये निश्चित ही काम की हैं .इन बातों में मैंने कुलदीप सिंह जी के अलावा अपनी थोड़ी बहुत अक़्ल का इस्तेमाल भी किया है.
उम्मीद है इन बातों में दी गई नसीहतें और मशवरे,भजन,गीत और ग़ज़ल गाने वाले नए कलाकारों के लिये बहुमूल्य साबित होंगीं, शुभकामनाओं सहित.
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17 श्रोताओं का कहना है :
बेहतरीन और उपयोगी पोस्ट । मैंने पंकज उधास से बात की थी तो बातों बातों में उन्होंने एक दिलचस्प चीज बताई, उनका कहना था कि नये गायकों के साथ दो दिक्कतें हैं । एक तो जल्दी से हासिल हुई कामयाबी, जिसकी डेप्थ को वो पहचान नहीं पाते और दूसरा बुजुर्गों की बेअदबी ।
बहुत ही उपयोगी जानकारी दी है इस पोस्ट में उभरते हुए गायकों के लिए
बहुत अच्छा
इसे पढ़कर लगा कि हमारे जैसे गुनगुनायक भी यदि मन लगायें तो गायक हो सकते हैं। संजय जी, बहुत ही बढ़िया पोस्ट। इंटरनेट के पाठक हमेशा इसे खोजते हुए पहुँचेंगे।
bilkul sahi mashwara diya hai kuldeep sahab ne. Waqai ye gaane walon ke liye upyogi sabit hogi.
संजय जी,
आपने बहुत ही सरल तरीके से गायकी की टिप्स दी हैं. निस्संदेह इससे नये गायकों को सीखने को मिलेगा... हिन्दयुग्म पर गायकी सिखाने की शुरुआत एक अच्छा कदम है..
धन्यवाद
तपन शर्मा
This times we have presented something different and new. Was expecting such new experiment. AAWAZ section is moving to soar.
Well wishes to all.
Avaneesh
bahut hi upyogi sujhav hain
main inhe amal karne ki poori koshish karonga
dhanyawad is post ke liye.
Bahut khoob sir a6a krne ki kosis karunga.thanks sir
best jankari
बहुत ही
अदब भरी जानकारी दी आपने। जो चाहिए था वही मिला वाह बहुत खूब
उत्तम
आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है
mera awaj gate gate rundh jata hai aesa kyu hota hai? Kripya batayen. Dhanyawaad
Very nice mai mera bhi sapna yahi bhai
Very good tips from singing thanks for you
Finally i got right suggestion. Actually i really want this! Thankyou so much Sir 😊
Bhai call me 9693042327
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