दूसरे सत्र के २४वें गीत का विश्वव्यापी उद्घाटन
हिन्द-युग्म के १०वें गीत 'खुशमिज़ाज मिट्टी' के बोलों ने आवाज़ के श्रोताओं पर सर चढ़कर बोला। यह ज़ादू किया था गौरव सोलंकी के गीत ने। गौरव सोलंकी जो हिन्द-युग्म के दूसरे यूनिकवि और पाठकों के सबसे प्रिय कवि भी हैं। आज हम जो २४वाँ गीत 'चाँद का आँगन' लेकर आये हैं, उसके बोल भी गौरव ने लिखे हैं।
गीत को स्वरबद्ध किया है ग्वालियर निवासी कुमार आदित्य विक्रम ने। कुमार आदित्य विक्रम की आवाज़ में हमने इन्हीं के कवि पिता डॉ॰ महेन्द्र भटनागर की कविता का पॉडकास्ट प्रसारित किया था, तब ही आवाज़ की टीम ने यह जान लिया था कि इस संगीतकार-गायक के पास कविताओं को कम्पोज़ करने का हुनर है। इसलिए हमने सबसे पहले हमने इन्हें गौरव सोलंकी की कविता 'चाँद कला आँगन' कम्पोज करने के लिए दी। आइए सुनते हैं यह गीत-
कुमार आदित्य |
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गौरव सोलंकी |
गीत के बोल-
चाँद का आँगन, चरखे की बुढ़िया
चाँदी की रातें, चन्दन की गुड़िया
मुस्काते सपने, खिलती सी निंदिया
तेरी वे बातें, खुशियों की पुड़िया
याद आती है, दिल जलाती है
बहते हैं आँसू, छोड़ जाती है
खिलखिलाती याद, मुस्कुराती याद
बिगड़ी हुई सी वो चिढ़ाती याद,
गूँजती रहती बिन बुलाई याद
किसने है भेजी, क्यों है आई याद
तेरी रातों की वो दीवाली याद
सर्द शामों की बर्फ़ीली याद
तेरे बालों की घुंघराली याद
चाय के कप की भाप वाली याद
याद आती है, दिल जलाती है
बहते हैं आँसू, छोड़ जाती है
खिलखिलाती याद, मुस्कुराती याद
बिगड़ी हुई सी वो चिढ़ाती याद,
उलझी हुई सी भटकी हुई याद
किसने है भेजी, क्यों है आई याद
तेरे हाथों का अमिया का पेड़
तेरे पैरों की खेत की वो मेड़
उस कड़वी सी कॉफ़ी वाली याद
वो चवन्नी की टॉफ़ी वाली याद
याद आती है, दिल जलाती है
बहते हैं आँसू, छोड़ जाती है
खिलखिलाती याद, मुस्कुराती याद
बिगड़ी हुई सी वो चिढ़ाती याद,
तेरे आँगन की वो तिपाई याद
किसने है भेजी, क्यों है आई याद
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SONG # 24, SEASON # 02, CHAND KA ANGAN, OPENED ON AWAAZ, HIND YUGM.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.
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7 श्रोताओं का कहना है :
khoobsoorat hai.
good singing, but thoda mujhe laga composition mein variation mein thodi kami hai, overaly nice.
इस गीत को लगभग १ साल पहले गौरव ने स्वरबद्ध करवाने के लिए आवाज़ की टीम को भेजा था, और ५ अन्य संगीतकारों के पास से गुजरने के बाद अंत में इसे आदित्य ने स्वरबद्ध किया. बेहद सुंदर काम किया हैं उन्होंने. आदित्य की आवाज़ भी एक अलग अंदाज़ की है अब तक मैंने उनकी आवाज़ में जितने गीत सुने हैं ये उन सब से अलग है. और इसे सुनने के बाद मुझे उनके एक और नए रूप का अंदाजा लगा. बस कहीं कहीं कुछ expressions कम से लगे मुझे. श्याद उन्होंने पूरे गीत को एक त्रो में गाया हो इसलिए ऐसा हुआ हो. पर फ़िर भी एक बहतरीन कोशिश है. कुमार आदित्य से संगीत जगत को निश्चित ही अपेक्षाएं रहेंगीं.
इस गीत के बोल बहुत सुंदर हैं। मैं बिस्वजीत से इत्तेफाक रखता हूँ कि संगीत में वैरीएशन नहीं है। लेकिन एक बात की बहुत अधिक तारीफ करना चाहूँगा कि धुन बहुत प्यारी है। बिलकुल दीमाग पर चढ़ जाती है। मेरे साथ जो मेरे २-३ मित्र रहते हैं, उनलोगों को यह गाना इतना पसंद आया कि वे लोग भी कई बार सुन चुके हैं।
आदित्य जी ने मुझे बताया कि उन्हें सॉफ्टवेयर का ज्ञान नहीं है। इसलिए वे अलग से ट्रैक नहीं बना पाते। इसलिए उन्हें गाना और बजाना एक साथ करना पड़ता है। अतः अरैंजिंग बहुत बढ़िया इसलिए भी नहीं हो सकी। इस लिहाज से देखा जाय तो सीमित संसाधनों में बहुत खूबसूरत गीत बन पड़ा है। आदित्य हम जल्द ही आपसे एक और गीत की उम्मीद करते हैं।
wah!
bahut sundar geet!bahut pasand aaya.
main kahunga ki yah ek 'clever composition' hai,chahe wo bolon me baat kahne me ho ya fir un bolon me sur sur pirone me ho,bari sujh-bujh se kiya gaya hai.
haan,instrumentally yah rachna jyada rich nahi hai aur geet me variation bahut adhik nahi hai to thora ekras sa ho gaya hai,lekin yakeen maniye,bhaav-sampreshan ki drishti se yah rachna avval ati hai.gayki aur dhun donon theme ko suit karte hain.bhavishya me is geet par aur bhi kaam karenge,aisi apeksha rakhta hoon.
badhai!
dhanyawaad!
-Janmejay
bade pyare geet..sahaj aur sunder...man ko moh leti hai....badhai...
गौरव जी ,आपने बहुत कुछ याद किया चाँद के आँगन में !या यूँ कहूँ की सब कुछ याद किया है ,और उसको मह्सूसभी किया है !बहुत सुन्दर गीत है !आदित्य जी आपने इतनी सुन्दर रचना को अपनी मधुर आवाज़ और संगीत दे कर और भी मधुर बना दिया है !संगीत भी कर्णप्रिय है !आप दोनों को मेरी ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएं ........!
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