Sunday, May 31, 2009

इस बार का कवि सम्मेलन रश्मि प्रभा के संग



सुनिए पॉडकास्टिंग के इस नए प्रयोग को

Rashmi Prabha
रश्मि प्रभा
नमस्कार!

दोस्तो, हम एक फिर हाज़िर हैं इस माह के आपके अंतिम रविवार और अंतिम दिन को इंद्रधनुषी बनाने के लिए। जी हाँ, आपको भी इसका पूरे एक महीने से इंतज़ार होगा। तो इंतज़ार की घड़िया ख़त्म। सुबह की चाय पियें और साथ ही साथ हमारे इस पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का रस लेते रहें, जिसमें भावनाओं और अभिव्यक्तियों के विविध रंग समाहित हैं। सुबह की चाय के साथ ही क्यों, इसका आनंद शाम की शिकंजी के साथ भी लें।

पिछले महीने हमें रश्मि प्रभा के रूप में साहित्य-सेवा की एक नई किरण मिलीं हैं। कविता-मंच पर ये कविताएँ तो लिख ही रही हैं, इस बार के कवि-सम्मेलन के संयोजन का दायित्व भी इन्हीं ने सम्हाला है। और आगे भी अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करते रहने का वचन दिया है।

इस बार के कवि सम्मेलन की सबसे ख़ास बात यह है कि इस बार दुनिया के अलग-अलग कोनों से कुल 19 कवि हिस्सा ले रहे हैं। संचालिका को लेकर यह संख्या 20 हो जाती है। और यह इत्तेफाक ही है कि इस बार जहाँ 10 महिला कवयिता हैं, वहीं 10 पुरुष कवयिता। कम से कम इस स्तर पर रश्मि प्रभा स्त्री-पुरुष समानता के तत्व को मूर्त करने में सफल रही हैं। इस बार के कवि सम्मेलन की एक और ख़ास बात है, और वह यह कि 20 में से 11 कवि पहली बार इस आयोजन के भागीदार बने हैं। जुलाई 2008 में जब हमने इसे शुरू किया था, तभी से हमारा यही उद्देश्य था कि दुनिया से अलग-अलग स्थानों, मंचों, संस्थाओं इत्यादि के शब्दशिल्पी वर्चुअल स्पेस का यह मंच साँझा करें और हमे खुशी है कि इस दिशा में आंशिक तौर पर ही सही, सफल भी हो रहे हैं। पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का यह 11वाँ आयोजन है। इसके प्रथम अंक में मात्र 8 कवियों ने भाग लिया था।

यह आयोजन एक प्रयोग है- तकनीक की सड़क पर भावनाओं की पटरी बिछाने का और उन भावनाओं के चालकों को बारी-बारी से मौका देने का ताकि यात्रा लम्बी हो। आप बिना थके साहित्य की यात्रा करते रहें। पॉडकास्ट कवि सम्मेलन की संकल्पना को मूर्त रूप देने का पूरा श्रेय हमारी तकनीकी टीम को जाता है। यह आयोजन आवाज़ के तकनीकी प्रमुख अनुराग शर्मा के मार्गदर्शन में फल-फूल रहा है। इस बार के आयोजन का तकनीकी संपादन हमसे नई-नई जुड़ी तकनीककर्मी खुश्बू ने किया है। हमें बहुत खुशी है कि उन्होंने अपना कीमती वक़्त निकालकर हमारा प्रोत्साहन किया है।

अब हम आपका अधिक वक़्त नहीं लेंगे, उपर्युक्त सारी बातें तभी सार्थक होंगी, जब आपको इस बार का कवि सम्मेलन पसंद आयेगा। कृपया सुने और अवश्य बतायें कि हम अपने प्रयास में कितने सफल हुए हैं-

नीचे के प्लेयर से सुनें:


प्रतिभागी कवि-सरस्वती प्रसाद, किरण सिन्धु, गौरव शर्मा, लावण्या शाह, स्वप्न मंजूषा 'शैल', मनुज मेहता, प्रो॰ सी॰ बी॰ श्रीवास्तव, ज्योत्सना पाण्डेय, प्रीति मेहता, कीर्ति (दीपाली आब), मनोज भावुक, शोभा महेन्द्रू, विवेक रंजन श्रीवास्तव 'विनम्र', शारदा अरोरा, डॉ॰ अनिल चड्डा, एस कुमार शर्मा, कमलप्रीत सिंह, सत्यप्रसन्न और जगदीश रावतानी।

यह भाग डाउनलोड करें।


यह कवि सम्मेलन तकनीक के माध्यम से अलग-अलग स्थानों पर बैठे कवियों को एक वर्चुअल मंच पर एक साथ बिठाने की कोशिश है। यदि आप हमारे आने वाले पॉडकास्ट कवि सम्मलेन में भाग लेना चाहते हैं
1॰ अपनी आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके भेजें।
2॰ जिस कविता की रिकॉर्डिंग आप भेज रहे हैं, उसे लिखित रूप में भी भेजें।
3॰ अधिकतम 10 वाक्यों का अपना परिचय भेजें, जिसमें पेशा, स्थान, अभिरूचियाँ ज़रूर अंकित करें।
4॰ अपना फोन नं॰ भी भेजें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हम तुरंत संपर्क कर सकें।
5॰ कवितायें भेजते समय कृपया ध्यान रखें कि वे 128 kbps स्टीरेओ mp3 फॉर्मेट में हों और पृष्ठभूमि में कोई संगीत न हो।
6॰ उपर्युक्त सामग्री भेजने के लिए ईमेल पता- podcast.hindyugm@gmail.com


पॉडकास्ट कवि सम्मेलन के अगले अंक का प्रसारण 28 जून 2009 को किया जायेगा और इसमें भाग लेने के लिए रिकॉर्डिंग भेजने की अन्तिम तिथि है 18 जून 2009

हम सभी कवियों से यह अनुरोध करते हैं कि अपनी आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके podcast.hindyugm@gmail.com पर भेजें। आपकी ऑनलाइन न रहने की स्थिति में भी हम आपकी आवाज़ का समुचित इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे।

रिकॉर्डिंग करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। हमारे ऑनलाइन ट्यूटोरियल की मदद से आप सहज ही रिकॉर्डिंग कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।

# Podcast Kavi Sammelan. Part 11. Month: May 2009.
कॉपीराइट सूचना: हिंद-युग्म और उसके सभी सह-संस्थानों पर प्रकाशित और प्रसारित रचनाओं, सामग्रियों पर रचनाकार और हिन्द-युग्म का सर्वाधिकार सुरक्षित है।



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19 श्रोताओं का कहना है :

Sajeev का कहना है कि -

वाह रश्मि प्रभा जी की आवाज़ और सञ्चालन से जैसे आज पॉडकास्ट कवि सम्मलेन को नयी जवानी मिल गयी है....अब तक का सबसे बढ़िया अंक रहा ये....इस बार की कहानी और कवि सम्मलेन दोनों ही अब तक के प्रयासों से एक कदम आगे रहे, ये हम सब के लिए ख़ुशी की बात है की हम निरंतर बेहतर हो रहे हैं. सभी कवियों ने जम कर रंग जमाया है. रश्मि जी खुशबू जी और पूरी टीम को अनगिनत बधाईयाँ

रावेंद्रकुमार रवि का कहना है कि -

अद्वितीय होगा यह आयोजन! बधाई!

ρяєєтii का कहना है कि -

सबसे पहले तो बहूत बहूत बधाई ... यही कहेंगे की "मेरे शब्दों को, मेरी आवाज़ को मिल गई रौशनी"... बहूत ही शानदार "पॉडकास्ट कवि सम्मलेन" है यह आज तक का ... (मैं जो हूँ इसमें - just kidding). actually इसे अम्मा का आशीर्वाद जो मिला है ... Once again Thx to रश्मि जी, खुशबू जी और पूरी टीम...

विजय तिवारी " किसलय " का कहना है कि -

रश्मि जी द्बारा संचालित
कवि सम्मेलन सुना.
वैसे तो सभी की रचनाएं अच्छी हैं , चूंकि परिचित होने के कारण
हमारे ही जबलपुर के विवेक जी और ज्योत्स्ना पाण्डेय जी की रचनाएं सुनकर ऐसा लगा जैसे वे हमारे सामने ही बैठ कर पढ़ रहे हों.
बधाई
- विजय

संत शर्मा का कहना है कि -

सर्वप्रथम एक प्रभावशाली पॉडकास्ट कविसम्मेलन को सफलता पूर्वक संचालित करने के लिए हिन्दयुग्म और सम्मलेन संचालिका रश्मि प्रभा जी को विशेष धन्यवाद |

इस बार इस सम्मलेन में पहले की तुलना में ज्यादा रचनाकारों ने भाग लिया और अपनी अनमोल रचनाओ और मधुर आवाजो से श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया | यू तो सभी रचनाकारों ने अपना बेहतर प्रयास किया, लेकिन मैं व्यक्तिगत तौर पर स्वप्न मंजूषा 'शैल' जी और दीपाली जी की कविता के भाव के अनुरूप किये गए पाठ और सहज एवं मधुर आवाज से विशेष रूप से प्रभावित हुआ |

रचनाओ में सरस्वती प्रसाद जी की कविता "मैं चाहूंगी, की तुमसे कभी मिलूं", विवेक रंजन श्रीवास्तव 'विनम्र' की कविता "चौराहा" ने विशेष प्रभाव डाला | "कैसे मिलूंगी" और "चाँद को चख के देख लेना जरा" जैसी कोमल मानवी भावनाओ को उकेर जाने वाली कविताओ का रसास्वादन भी मन को बहुत भाया |

कविता के आगे और पीछे बोले जाने वाले संवाद में थोडा और ज्यादा कसाव की जरुरत थी और संवाद को थोडा और ज्यादा मनोरंजक बनाने की जरुरत थी, लेकिन इस छोटी कमी के वावजूद सञ्चालन प्रभावपूर्ण रहा |

Overall, सम्मलेन बहुत ही आकर्षक रहा, सम्मलेन से जुड़े सभी मित्रो को बधाई |

निर्मला कपिला का कहना है कि -

संचालन के इस नये और सुन्दर रूप के लिये बहुत बहुत बधाई रश्मि जी को सुनना बहुत सुखद लगाबाकी सारी तेअम को भी बहुत बहुत बधाई जिनके प्रयास से ये कवि सम्मेलन सफल हो पाया आभार्

Smart Indian का कहना है कि -

कवि सम्मलेन प्रगति पर है यह बात नए और स्थापित दोनों प्रकार के अच्छे कवियों की बढ़ती संख्या और कविताओं की विविधता से स्पष्ट है. इस आयोजन में सरस्वती प्रसाद जी, लावण्या जी, स्वप्न मञ्जूषा जी और संत जी ने विशेष प्रभावित किया. मनोज भावुक के काव्य की भाषा पूरी तरह समझ न आने पर भी बहुत अच्छी लगी. अगली बार उनकी खड़ी बोली में कोई रचना ज़रूर शामिल करें तो कृपा हो. संचालन अच्छा था फिर भी मृदुल कीर्ति जी की कमी खली. संयोजन के प्रभावी तकनीकी पक्ष के लिए खुशबू जी को बहुत बधाई.
एक सुधार - लावण्या जी मुम्बई में नहीं बल्कि सिनसिनाटी (अमेरिका) में रहती हैं.
कुल मिलाकर बहुत सुन्दर प्रदर्शन!

kavita bhanwar rathi का कहना है कि -

वाकई बहोत अच्छा लगा इस कवी सम्मलेन को सुनना ...
सञ्चालन शानदार रहा बहोत..रश्मि दी की खनकती हुई आवाज में...
अम्माकी प्यार और अहसासों भरी आवाज ने दिल को छो लिया....
सब रचनाये सशक्त है..और आवाज भी प्यारी है सब की...
गौरवजी की आवाज में गहराई है काफी...
आप सब को बधाई...!!!

Sashwat का कहना है कि -

रश्मि जी, बहुत बधाई. बेहतरीन आयोजन. आपके आवाज़ से इस कवि-सम्मलेन में जैसे जान आ गयी. एक से एक कवितायेँ थी इस बार लेकिन मुझे विशेष कर सरस्वती प्रसाद जी, किरण सिन्धु जी एवं विवेक रंजन जी की कविता बहुत पसंद आयी.

स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -
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स्वप्न मञ्जूषा का कहना है कि -

सबका प्रयास सराहनीय था | रश्मि जी, कवियों, कवयित्रियों और तकनिकी सहायकों को अनेकोअनेक बधाइयाँ | हिंदी- युग्म के प्रयासों की जितनी प्रशंसा करें कम होगी | सबने इस प्रयास के अच्छे पहलू पर बात की है, मैं कुछ कमियों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगी |
ज़रुरत है अपनी कमियों को पहचानना और कोशिश ये करना की अगली बार वो कमियां न दोहराई जाएँ

इन दराजों में कुछ बोसे पड़े रखे हैं
आज देखा तो निकले चाँदी के हैं सारे
जिनपे पानी कभी सोने का चढ़ा रहता था
आज झटका जो बिस्तर पर पड़े चादर को
खनखना के कुछ सपने बिखर गए हैं यहाँ
गुल्लक कभी आँखों की जो मैंने तोड़ी थी

वाह !! क्या बात है |
इस नज़्म का हर शब्द कुछ न कुछ कहता है |
गौरव जी की नज़्म इस कवि-गोष्ठी की आत्मा थी आपकी आवाज़ में भी एक समां बांधने वाली बात है |
बस एक कमी थी, रिकॉर्डिंग की, इतनी प्यारी नज़्म, रिकॉर्डिंग सही नहीं हो पाने की वजह से मैं , और मुझे विश्वास है और भी लोग उसका लुत्फ़ सही तरीके से नहीं उठा पाए | अगर कविताओं के संकलनकर्ता थोड़ा पहले इन कविताओं की रेकार्डिंग की विवेचना कर लें और सही रिकॉर्डिंग करने में कवियों की थोड़ी और मदद करे तो कार्यक्रम का स्तर बहुत ऊंचा हो जायेगा | हमें ये नहीं भूलना चाहिए की हम सिर्फ इन कविताओं को सुना रहे हैं, और रिकॉर्डिंग में थोड़ी भी कमी श्रोताओं को इस कार्यक्रम से दूर ले जाती है | उम्मीद है आप लोग मेरी बात को अन्यथा नहीं लेंगे
सविनय
स्वप्न मंजूषा

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` का कहना है कि -

हिन्दी युग्म मँच से कई कवियोँ को उन्हीँ के स्वर मेँ रचना पढने का मौका मिलता है और कवि सम्मेलन बहुत पाठक पढते/ सुनते हैँ जो बहुत सुखद है -
रश्मि प्रभा जी ने बहुत सुँदर सँचालन
किया जिसके लिये हार्दिक बधाई और सभी साथी कवि मित्रोँ को स - स्नेह नमस्कार -

- लावण्या

sangeeta sethi का कहना है कि -

ऐसा कवि सम्मलेन मेरी कल्पना से परे था | पर आज सुनकर लगा की हम जैसे लोगों के लिए यह अमूल्य है जो अपनी कासी हुई दिनचर्या के चलते लाइव सम्मेलनों में नहीं जा सकते | रश्मि प्रभा जी का सञ्चालन गज़ब का है | अन्य कविओं की रचनाये बेहद मार्मिक थी | कही कहीं आवाज़ तकनीकी कारणों से खराब थी पर इतने बड़े प्रयास में यह नगण्य मालुम हुई | इस संकल्पना की नींव और साकार करने वाली पूरी टीम को बधाई |

रंजू भाटिया का कहना है कि -

अदभुत.. बहुत अच्छा लगा यह .बधाई

शोभा का कहना है कि -

बहुत सफल रहा यह कवि सम्मेलन भी। रश्मि जी को तथा युग्म को बधाई।

दिपाली "आब" का कहना है कि -

bahut kaamyaab kavi sammelan raha rashmi ji, badhai...!!

sabhi ki nazmein/ ghazlein/ kavitaayein.. bahut acchi rahi. sabhi ko meri taraf se badhai...!!

Kanupriya का कहना है कि -

बहुत ही अच्छा लगा यह कवि सम्मलेन. रश्मि जी और सभी प्रतिभागियों को मेरी तरफ से ढेर सारी बधाई.

manu का कहना है कि -

सच मुच ....
अद्भुत..........!!!!!!!!

Lams का कहना है कि -

सबसे पहले तो रश्मि दीदी को बधाई इतने अच्छे संचालन के लिए. कुछ कवितायेँ तो बेहद पसंद आयीं. स्वप्न मंजूषा शैल जी की बात से सहमत हूँ. आगे से रिकॉर्डिंग पर भी ध्यान रहेगा. मेरी ओर सभी कवियों/कवित्रियों को बधाई.

गौरव शर्मा

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