निदा फ़ाज़ली की ही आवाज़ में सुनिए हिन्द-युग्म के पाठकों के सवालों के जवाब
जवाब देते निदा फ़ाज़ली |
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हमने सोचा कि शुरूआत क्यों न किसी शायर से हो जाय। क्योंकि हिन्द-युग्म की शुरूआत भी कुछ रचनाकारों से ही हुई थी। ४ जनवरी २००९ को हमने आपसे मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली से पूछने के लिए सवाल माँगे। आपने भेजे और हम ६ जनवरी को पहुँच गये निदा के पास। मुलाक़ात से जुड़े निखिल आनंद गिरि के अनुभव आप बैठक पर पढ़ भी चुके हैं।
आज हम लेकर आये हैं आपके सवालों के जवाब निदा फ़ाजली की ज़ुबाँ से। यह मुलाकात बहुत अनौपचारिक मुलाक़ात थी, इसलिए रिकॉर्डिंग की बातचीत भी वैसी है। आप भी सुनिए।
निदा फ़ाज़ली से पाठकों की ओर से सवाल किया है निखिल आनंद गिरि और शैलेश भारतवासी ने।
अंत में प्रेमचंद सहजवाला की निदा फ़ाजली से हुई बातचीत के अंश भी हैं।
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14 श्रोताओं का कहना है :
आनंद आ गया निदा फाजली साहब से बातचीत सुनकर. जैसी आशा थी, उनके जवाब बहुत सुलझे हुए हैं. आशा है कि हिंद-युग्म पर आगे भी इसी तरह के कार्यक्रम सुनने को मिलते रहेंगे. बहुत-बहुत बधाई!
अपने गम की आंख से देखी दुनिया अपनी लगती है..., निदा साहब को हमारे घरों तक पहुँचने का शुक्रिया...मज़ा आ गया भाई "मैं उस भाषा को जनवादी कहता हूँ जिसमें हिन्दी और उर्दू में मतभेद नही है..." वाह क्या बात है निदा साहब
बहुत बहुत शुक्रिया. आपने सारी बातचीत की रिकार्डिंग सुनवाए. मैं निदा साहिब के जवाब से अग्री हु. और jaldi ही किताब को पुब्लीश करते है. इस माद्यम किए लिया आप सब का एक बार फिर से दिल से धन्यवाद. l
सुनकर ऐसा लगा मानो सभी सवालों के जवाब मिल गये हों..पर फिर भी कुछ बाकि हों.. :-)
ये कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा और आगे भी ऐसे प्रयास होंगे इस की शुभकामनायें..
इरशाद जी,
आपकी शिकायत दूर हुई तो मुझे भी चैन आया....आप तो बिल्कुल परेशान हो गये थे....आब उनको फैक्स कीजिए, किताब छपवाइए और आगे भी सवाल पूछते रहिए....
निखिल
निदाफाज़ली साहब ही बातचीत सुनकर तो मज़ा आगया जैसे यथार्थ से परिचय हुआ ग़ज़लों,साहित्यों के बारे में ... आपका बहोत बहोत आभार इसके लिए ....
अर्श
बहुत शुक्रिया हिन्दी युग्म का . . . निदा साहब के सुलझे जवाब सुन कर काफ़ी तस्सली हुई . . . और हाँ,एक और शुक्रिया मेरे सवाल को पूछने का जो कई दिनो से ज़ेहन में सहेज रखा था मैने. . .
ज़नाब निदा साहब की
सारी बातेँ आज जाकर सुन पाई हूँ -
मेरे प्रश्न का उत्तर जो उन्होँने दिया, वही भाव मुझे भी
अपनी हर रचना के साथ रहा है -
हर कृति अपने ही
बच्चोँ के जैसी होती है -
बहुत सही व अच्छे उत्तर दिये
जिन्हेँ सुनकर
बहुत खुशी हुई -
आपके ऐसे प्रयासोँ के लिये
"हिन्दी -युग्म " को
बहुत बहुत धन्यवाद
तथा बधाईयाँ -
स स्नेह,
- लावण्या
आपने सबसे पहला सवाल मेरा पूँछ कर मुझे जो इज्जत बख्शी है उसका बहुत बहुत धन्यवाद
महोदय मई निदा जी के उत्तरों से मुतासिर हूँ मगर अभी भी मेरे प्रश्नों का उत्तर मुझे नही मिल पाया है खैर कोई बात नही
वीनस केसरी
मैं भी यही मानती हूँ कि कविता व्याकरण की आधीन नहीं होती।इस सुन्दर प्रयास के लिए युग्म को बधाई।
निदा फाज़ली जी को सुन के मन प्रसन्न हो गया. आपका बहुत धन्यवाद !
mere liye ye ek nai duniya hai.dhere dehre samjhane lagugi.abhi tak jitana dekha aapka abhar karati hu.
हिंद-युग्म को बहुत-बहुत धन्यवाद निदा फाजिली साहब से हुई बातचीत सुनवाने का
कानो में जो पड़ती है ये निदा,
होश उठ जाता हैं जोश जाग जाते हैं
जितने बवाल दुनियाबी हों घेरे
कहीं खो जाते है कहीं भाग जाते हैं
कवि सार में जो कहना था वो तो बस यही था. गद्य में कहूँ तो यही के निदा जैसा ईमानदार बयान बहुत कम या शायद ही किसी सुखनवर के मुंह से सुना हो अब तक की उम्र में. मेरा नसीब के सामने मिलना, सुनना हुआ..मेरा सवाब के खरी सी बात ज़हेनो दिल मे उतरा जाती है...
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