उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'पुत्र-प्रेम'
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना ''माँ'' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की अमर कहानी "पुत्र-प्रेम", जिसको स्वर दिया है लन्दन निवासी कवयित्री शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 15 मिनट।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं ~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६) हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी जब कोई खर्च सामने आता तब उनके मन में स्वाभावत: प्रश्न होता था-इससे स्वयं मेरा उपकार होगा या किसी अन्य पुरुष का? यदि दो में से किसी का कुछ भी उपहार न होता तो वे बड़ी निर्दयता से उस खर्च का गला दबा देते थे। ‘व्यर्थ’ को वे विष के समाने समझते थे। (प्रेमचंद की "पुत्र-प्रेम" से एक अंश) |
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VBR MP3 | 64Kbps MP3 | Ogg Vorbis |
#Twenty Fifth Story, Maa: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2009/05. Voice: Shanno Aggarwal
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8 श्रोताओं का कहना है :
छोटी मगर प्रभावी कहानी
अच्छी कहानी दी है ।आभार।
Like I said earlier, such stories are wonderful, which has been put into various forms of mediums of communication.
But this podcasting is really very impressive, as the rendering in a controlled emotive voice gives extra perception ti mthis story.
andaaze bayaa hee to kisee saahityik kruti kaa gahanaa hotaa hai.
कहानी और कहानी कहने का style दोनों पसंद आए ।
शुक्रिया ।
शन्नो जी,
एक बार फ़िर बहुत बधाई, इस शानदार प्रस्तुति के लिए.
प्रशंशा के लिए आप सभी को हार्दिक धन्यबाद. कोशिश करूंगी कि भविष्य में भी आप लोगों को मेरा कथा-वाचन अच्छा लगे.
बधाई शन्नो जी, आपकी प्रस्तुति में हर बार निखार आ रहा है. इस बार भी बहुत अच्छा कथा पाठ किया है .
पार्श्व संगीत बहुत तेज लगा इस बार, इसे थोड़ा कम रखेंगे तो कहानी का सुन पाना ज्यादा प्रभावी होगा .
धन्यवाद
पूजा अनिल
bahut achhi kahani hai, aur hamesha ki taraj Shanno Ji ki madhur aur bhavpurn vani.
Kintu yeh background music bahut hi kashatdayak hai, kripya kar koi saral snageet athwa bina sanageet ke hi publish kare. Whistle is too loud.
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