यूँ तो यह माना जाता है कि कवि किसी भी विषय पर लिख सकता है, अपने भाव व्यक्त कर सकता है और अमूमन ऎसा होता भी है। लेकिन दुनिया में अकेली एक ऎसी चीज है जिसे आज तक कोई भी शब्दों में बाँध नहीं सका है। और उस शय का नाम है "माँ"। माँ....जो बच्चे के मुख से निकला पहला शब्द होता है और शायद अंतिम भी, माँ जो हर रोज सुबह को जगाती है और शाम को चादर दे सुला देती है, माँ जो हर कुछ में है लेकिन ऎसा व्यक्त करती है मानो कुछ में भी न हो। माँ.......जो पिता का संबल है, बेटे की जिद्द है और बेटी की रीढ है ... माँ जो निराशा में आशा की एक किरण है, चोट में मलहम है, धूप में गीली मिट्टी है और ठण्ड में हल्की सी धूप है, माँ .....जो और कुछ नहीं, बस माँ है... बस माँ!!
मिट्टी पे दूब-सी,
कुहे में धूप-सी,
माँ की जाँ है,
रातों में रोशनी,
ख्वाबों में चाशनी,
माँ तो माँ है,
चढती संझा, चुल्हे की धाह है,
उठती सुबह,फूर्त्ति की थाह है।
माँ...खुद में हीं बेपनाह है । ....ऎसी मेरी , उनकी, आपकी, हम सबकी माँ है।
ये शब्द हैं कवि और गीतकार, विश्व दीपक "तन्हा" के. पर क्या शब्दों में बांधा जा सकता है "माँ" को ? शायद नहीं. हम सब सिर्फ कोशिश कर सकते हैं.
हिंद युग्म से जुड़े सबसे पहले संगीतकार ऋषि एस उन दिनों दूसरे सत्र में अपने अंतिम गीत को सजाने सवांरने में लगे थे, कि अचानक उनकी माँ की तबियत बिगड़ गयी और उन्हें आई सी यू में दाखिल करना पड़ा. पूरा युग्म परिवार सकते में था. लगभग १ माह तक अस्पताल में रहने के बाद आखिर सबकी दुआओं ने उन्हें वापस स्वस्थ कर दिया और वो सकुशल घर लौट आयी. लेकिन इस मुश्किल दौर में ऋषि के जेहन में दौड़ती रही वो सब यादें जो उनके बचपन से जुडी थी, माँ से जुडी थी...उन्होंने तन्हा से माँ पर एक गीत रचने को कहा. मूल रूप से ये गीत उनके व्यक्तिगत संकलन के लिए ही था. पर जब बन कर सामने आया तो हर सुनने वाले की ऑंखें नम हो गयी. तभी ये विचार आया कि क्यों न आवाज़ के माध्यम से माँ दिवस पर इसे विश्व की समस्त माँओं को समर्पित किया जाए. तो लीजिये इस माँ दिवस पर आप सब भी अपनी अपनी माँओं को भेंट करें हिद युग्म की संगीत टीम द्वारा रचित ये नया और ताजा गीत. गीत को अपने मधुर स्वर में सजाया है हम सबके चहेते गायक बिश्वजीत नंदा ने. बिस्वजीत इस अवसर पर माँ के लिए ये सन्देश देना चाहते हैं -
माँ,
"इस धरती पर मेरी देवी हो आप,
ममता की मूरत हो आप,
मेरे लिए सारा संसार हो आप "
मुझे आज भी याद है बचा हुआ एक लड्डू आप मुझे खिला देती थीं, खुद न खाते हुए भी. खुदके लिए कुछ भी न खरीदकर मेरे लिए किताबें खरीदती थीं . रात रात भर जागके मुझे पढाती थी. साइंस के काम्प्लेक्स चीजों को समझने को कोशिश करती थी मुझे पढाने के लिए.
क्या इन सबको मैं शब्दों में बयां कर सकता हूँ ?
उस दिन मैंने आपसे पूछा था "माँ ! कुछ लाऊँ आप के लिए विदेश से? आप बोली: तू ठीक है न बेटा, मेरे लिए सारा संसार तो तू ही है, तू ही आजा ना जल्दी"
इस प्यार का क्या कोई मोल है माँ ? हैरान हूँ में ये सोचकर कि आपमें इतना निस्वार्थ प्यार कैसे है? आपसे मैं बहुत प्यार करता हूँ माँ. आपको सारी खुशियाँ मिले यही दुआ है मेरी.
लगता है बिश्वजीत की यही भावनायें उनके स्वर में भी भर गयी हैं इस गीत गाते समय....तो सुनिए विश्वदीपक "तन्हा", ऋषि एस और बिस्वजीत के दिल से निकले जज़्बात....माँ तो माँ है.....
गीत के बोल -
माँ मेरी लोरी की पोटली,
माँ मेरी पूजा की आरती!
अपनों की जीत में
बरसों की रीत में
माँ की जाँ है।
प्यारी सी ओट दे,
थामे है चोट से
माँ तो माँ है॥
चंपई दिन में
छाया-सी साथ है,
मन की मटकी
मैया के हाथ है।
माँ मेरी लोरी की पोटली,
माँ मेरी पूजा की आरती!
मेरी हीं साँस में
सुरमई फाँस में
माँ की जाँ है।
रिश्तों की डोर है
हल्की सी भोर है,
माँ तो माँ है॥
रब की रब है
काबा है,धाम है,
झुकता रब भी
माँ ऎसा नाम है।
माँ मेरी भोली सी मालिनी,
माँ मेरी थोड़ी सी बावली!
Special Songs Series # 06, Music @ Hind Yugm, Song "Maa To Maa Hai"
माँ तुझे सलाम.....
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12 श्रोताओं का कहना है :
माँ का वर्णन करने में शब्द कम पड़ जाते हैं। इस गीत में मन के भावों को सुन्दर अभिव्यक्ति दी गई है। युग्म को सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई।
'माँ दिवस" पर इतनी सुन्दर प्रस्तुति का आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
कवितायें बहुत अच्छी लगीं , आवाज में सुन कर भी आनन्द आया | ये वो रिश्ता है जो बिना मोल तोल के हमें कुदरत ने बख्शा है , वो बेफिक्री , वो हर हाल में साथ खड़े होने का अहसास !
कुछ भी कहूँ,कम ही होगा.पर कहता हूँ - यदि टीम वर्क देखना हो तो यह प्रस्तुति एक शानदार उदहारण है.हमारे युवा भटक रहे हैं,इनसे देश को उम्मीद है,जो यह पूरी नहीं कर पा रहे हैं,पश्चिम का रंग सर चढ़कर बोल रहा है,संस्कृति खतरे में है.........जो लोग भी इस तरह की बातें कर रहे हैं,उन्हें यह भी देखना चाहिए कि युवा अपनी आधुनिकता में अपना भारतीय होना नहीं छोड़ पाए हैं,एक भारत उनके अन्दर हिलोरे मारता रहता है,उनकी माँ ने उन्हें जो परवरिश दी है,जो लोरिया सुनकर उन्हें बड़ा किया है,जिस संस्कृति-संस्कार से उन्हें सींच कर पल्लवित किया है,यह प्रस्तुति उसक सटीक उदहारण है.
माँ को प्रणाम.
आप सभी लाड़लों को प्रणाम.
सबसे पहले तो ऋषि को बधाई कि इन्होंने मन को सुकूँ देने वाला संगीत बनाया। 'तन्हा' के बोलों में पहले के दो गानों से बहुत ज्यादा सुधार आया है। बिस्वजीत ने गाया बहुत बढ़िया है। कई बार सुनने को मन करता है। हाँ, यह ज़रूर है कि इनकी आवाज़ सुनकर शुरू में इन्हीं के द्वारा गाये अन्य गीतों की याद आती है।
अहुत ही बधिया प्रयास. टीम वर्क भी जोरदार.
प्रतिभाओं के कमी नही मगर चाहिये कदरदान आप जैसे, जो उन्हे मौका दे
itani bhavmay aur sunder prastuti ke liye abhar aur badhai
bahut hi sundar prayaas ,deepak ji v samast team ko bahut bahut shubhkaamnaayen ,aise hi achche achche sangeet aur geet ki bagiya khusbuu se mahkti rahe isi aasaha ke saath
Apna nahin tughe sukh dukh koi hamare liye jagi aur jeeti hai tu saari saari waqt, tu kitni achhi hai, tu kitani bholi hai pyaari pyaari hai o maan...... o maan.... !
Maan se badhkar duniyan mein doosara koi chhese nahin. Maan diwas ke awsarpar sundar bhavana rakhneke liye yugko bahut bahut sukriya ! Halaanki Nepal mein yeh diwas April 25th. ko hi manaya ja chuka hai !
Dhanyawaad !
Gyani Manandhar
Kathmandu
ऋषि, बिस्वजीत और तन्हा जी को बहुत बहुत बधाई . बहुत प्यारी अभिव्यक्ति है माँ के लिए, बोल भी सुन्दर है और संगीत भी मधुर है .
मातृ दिवस पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं .
VD ने इस गाने को जितना खूबसूरत लिखा है बिस्वजीत ने उतने ही दिले से इसे गाया भी है....माँ मेरी थोडी सी बावली सुनकर ऑंखें नम सी हो जाती है. ऋषि भाईसाहब के क्या कहने....हर गीत के साथ बेहतर और बेहतर होते जा रहे हैं...
bahut hi emotional song .. bahut sundar gaayki, rachna aur shabd !
badhaai sweekaarein :)
- Kuhoo
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