ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - 55
ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नम्स्कार! दोस्तों, अभी इसी हफ़्ते हमनें अपने देश की आज़ादी का ६५-वाँ वर्षगांठ मनाया। हम अक्सर इस बात पर ख़ुश होते हैं कि विदेशी ताक़तों नें जब भी हम पर आक्रमण किया या जब भी हमें ग़ुलाम बनाने की कोशिशें की, तो हर बार हमनें अपने आप को आज़ाद किया, दुश्मनों की धज्जियाँ उड़ाईं। पर 'स्वाधीनता दिवस' की ख़ुशियाँ मनाते हुए या कारगिल विजय पर नाज़ करते हुए हम यह अक्सर भूल जाते हैं कि हम अब भी ग़ुलाम हैं हमारी सरज़मीन पर ही पनपने वाले भष्टाचार के। क्या आप यह जानते हैं कि अंग्रेज़ों नें २०० साल में इस देश को इतना नहीं लूटा जितना इस देश के भ्रष्टाचारियों ने इन ६४ सालों में लूट लिया। इन दिनों देश के हर शहर में, हर गाँव में, हर कस्बे में एक नई क्रान्ति की लहर आई है जिसकी चर्चा हर ज़बान पर है। आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' के ज़रिए हम आप तक पहुँचाना चाहते हैं एक अपील।
"अगर हम अपनी प्रतिष्ठा के लिए संघर्ष करने को तैयार नहीं है तो हम आज़ादी के हकदार भी नहीं है। देश सेवा एक क़ुर्बानी नहीं, एक सौभाग्य है। क्या हम आने वाले ६० साल वैसे ही गुज़ारना चाहते हैं कि जैसे पिछले ६० साल गुज़ारे हैं? हमारे युवा इस देश की १०० प्रतिशत जनसंख्या तो नहीं लेकिन १०० प्रतिशत इस देश का भविष्य ज़रूर बनाते हैं। समय की पुकार है, भारत की मांग है और अच्छे क़ानून द्वारा अच्छा शासन। देश सिर्फ़ नारे लगाने से महान नहीं बनता, देश महान तब बनता है जब उसके नागरिक महान काम करते हैं। हमारा विश्वास है कि भारत में ९९ प्रतिशत लोग सच्चे और ईमानदार हैं, वह भष्टाचार में भागीदार नहीं है लेकिन समुद्र में बूंद के समान इन १ प्रतिशत भष्टाचारियों ने ९९ फ़ीसदी भारत को बंधक बना लिया है। गांधीजी ने मद्रास में कहा था कि "सहयोग देना हर नागरिक का तब तक फ़र्ज़ बनता है जब तक सरकार उनके सम्मान की रक्षा करती है और असहयोग का भी उतना ही फ़र्ज़ बनता है जब सरकार उनके सम्मान की हिफ़ाज़त के बजाय उसे लूटने लगती है"। संघर्ष औतर तक़लीफ़ के लिए तैयार रहें। आज़ादी कभी मिलती नहीं है, बल्कि हमेशा हासिल करनी पड़ती है। अपने पैरों पर खड़े होने की कीमत चुकानी पड़ती है, और अपने घुटनों को टेक कर भी जीने की कीमत चुकानी पड़ती है। फ़ैसला आपका, आख़िर देश है आपका। याद रहे, अभी नहीं तो कभी नहीं। फिर मत कहना कि सिस्टम खराब है!" (अधिक जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर पधारें - www.indiaagainstcorruption.org)
दोस्तों, वक्त आ गया है अब जागने का। बहुत हो चुका। अगर एक ७४ वर्ष का वृद्ध इस महायुद्ध को लड़ने की हिम्मत रख सकता है, तो हम कम से कम उन्हें अपना सहयोग देकर इस महान मिशन को कामयाब करने में थोड़ा सा योगदान तो दे ही सकते हैं! आख़िर 280 लाख करोड़ का भी तो सवाल है! जी हाँ, "भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा", ये कहना है 'स्विस बैंक' के डाइरेक्टर का। स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है। ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है। या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है। या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है। ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है। ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो। यानी भारत को किसी 'वर्ल्ड बैंक' से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है। जरा सोचिये, हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी 2011 तक जारी है। इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है। अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा। मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रष्टाचार ने 280 लाख करोड़ लूटा है। एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है। यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा 'स्विस बैंक' में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है। भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है। सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है। हमे भ्रष्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है। हाल ही में हुए घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, 2G स्पेक्ट्रुम घोटाला, आदर्श होउसिंग घोटाला, और न जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले हैं। दोस्तों, आइए, हम सब मिलकर इस महामुहीम में ऐसे भाग लें कि यह एक आन्दोलन बन जाये, एक ऐसा आन्दोलन जो 'स्वाधीनता संग्राम' के बाद पहली बार हुआ हो। और सच भी तो है, यह हमारी दूसरी आज़ादी की लड़ाई ही तो है!
आइए आज चलते चलते सुनें फ़िल्म 'भ्रष्टाचार' का शीर्षक गीत मोहम्मद अज़ीज़ और साथियों की आवाज़ों में।
गीत - ये जनता की है ललकार, बन्द करो ये भ्रष्टाचार (भ्रष्टाचार)
इसी के साथ आज का 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेष' यहीं समाप्त होता है, फिर मुलाक़ात होगी, अब अपने दोस्त सुजॉय चटर्जी को अनुमति दीजिए, नमस्कार!
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।