प्रेमचंद की उर्दू कहानी 'अमृत' का प्रसारण
'सुनो कहानी' के स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियों का पॉडकास्ट। अभी पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की कहानी 'अपनी करनी' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं अनुराग शर्मा की ही आवाज़ में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की कहानी 'अमृत' का पॉडकास्ट। मूलतः उर्दू में लिखी गयी यह कहानी ‘प्रेम पचीसी’ से ली गयी है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
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आज भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं, तो यहाँ देखें।
#Fifth Story, Amrit: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/06. Voice: Anuraag Sharma
 
 
 










 संस्कार गीतों पर एक विशेष शृंखला
संस्कार गीतों पर एक विशेष शृंखला मन जाने - विवधताओं से भरी अल्बम
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 लता मंगेशकर जब मिली आवाज़ के श्रोताओं से
लता मंगेशकर जब मिली आवाज़ के श्रोताओं से द रिटर्न ऑफ आलम आरा प्रोजेक्ट एक कोशिश है, हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म के गीत संगीत को फिर से रिवाईव करने की, सहयोग दें, और हमारी इस नेक कोशिश का हिस्सा बनें
द रिटर्न ऑफ आलम आरा प्रोजेक्ट एक कोशिश है, हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म के गीत संगीत को फिर से रिवाईव करने की, सहयोग दें, और हमारी इस नेक कोशिश का हिस्सा बनें 

 सुप्रसिद्ध गायक, गीतकार और संगीतकार रविन्द्र जैन यानी इंडस्ट्री के दाद्दु पर एक विशेष शृंखला जिसके माध्यम हम सलाम कर रहे हैं फिल्म संगीत जगत में, इस अदभुत कलाकार के सुर्रिले योगदान को
सुप्रसिद्ध गायक, गीतकार और संगीतकार रविन्द्र जैन यानी इंडस्ट्री के दाद्दु पर एक विशेष शृंखला जिसके माध्यम हम सलाम कर रहे हैं फिल्म संगीत जगत में, इस अदभुत कलाकार के सुर्रिले योगदान को लोरियों की मधुरता स्त्री स्वर के माम्तत्व से मिलकर और भी दिव्य हो जाती है. पर फिल्मों में यदा कदा ऐसी परिस्थियों भी आई है जब पुरुष स्वरों ने लोरियों को अपनी सहजता प्रदान की है. पुरुष स्वरों की दस चुनी हुई लोरियाँ लेकर हम उपस्थित हो रहे हैं ओल्ड इस गोल्ड में इन दिनों
लोरियों की मधुरता स्त्री स्वर के माम्तत्व से मिलकर और भी दिव्य हो जाती है. पर फिल्मों में यदा कदा ऐसी परिस्थियों भी आई है जब पुरुष स्वरों ने लोरियों को अपनी सहजता प्रदान की है. पुरुष स्वरों की दस चुनी हुई लोरियाँ लेकर हम उपस्थित हो रहे हैं ओल्ड इस गोल्ड में इन दिनों 
 हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म का पहला गीत हिंद युग्म ने रिवाईव किया २०१० में
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 शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।
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8 श्रोताओं का कहना है :
दिलकश...
वाह क्या कहानी है, हर रचनाकार इससे ख़ुद को जोड़ सकता है, प्रेमचंद की ये कहानी श्याद मैंने कभी नही पढ़ी, अनुराग जी इसे प्रस्तुत करने का आभार, आपका काम बेहतर से बेहतर होता जा रहा है
" wah, i have never every read it, but today enjoyed listning it with full feelings"
REgards
हमारे यहां ब्राडबैंड कनेक्शन तो है नहीं, लेकिन डाउनलोड कर सुनने की कोशिश कर रहे हैं। प्रेमचंद की कहानियां सुनाने के लिए आभार।
बेहतरीन प्रस्तुति। इस बार आप सुनने वाले को बाँधने में अधिक सफल हुए हैं। और जब तक उत्तोरत्तर सुधार हो, तब तक सराहनीय है। फिर कोई भी शिखर आपसे दूर नहीं।
एक जगह "जब लेखक आयशा के घर जाता है"- आवाज़ कुछ धीमी हो गई है, या यूँ कह लीजिए कि प्रवाह को तोड़ती है।
ग़ौर फरमाइएगा।
वाह......मज़ा आ गया......आपको बहुत धन्यवाद.....हिन्दी के लिए आप जो कार्य कर रहे हैं, उससे हम हिन्दी प्रेमियों को बहुत लाभ हो रहा है......हिन्दी भाषा की जय हो!!!!!!!!
अनुराग जी,
कथा सुन्दर है। आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। इसी तरह प्रेमचन्द जी की कथाएँ सुनाते रहिए। सस्नहे।
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