Monday, September 29, 2008

तीसरी बार हुई अगस्त के अश्वारोही गीतों की परख



पहले चरण की तीसरी और अन्तिम समीक्षा को प्रस्तुत करने में कुछ विलंब हुआ, दरअसल हमारे माननीय समीक्षक जब पहले दो गीतों की समीक्षा हमें भेज चुकें थे तब उन्हें किसी व्यक्तिगत कारणों के चलते समयाभाव का सामना करना पड़ा. इसी कारण अन्तिम तीन गीतों की समीक्षा उन्होंने काफ़ी संक्षिप्त की है पहले दो गीतों की तुलना में. लेकिन अंक समीकरण हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं सरताज गीत चुनने की प्रक्रिया में. तो प्रस्तुत है पहले चरण के अन्तिम समीक्षक के विचार हमारे ऑगस्त के अश्वारोही गीतों पर.

मैं नदी
गाना शुरू हुआ और सिग्‍नेचर मूजिक शुरू हुआ तो बहुत उम्मीदें बंधी ।
सुंदर सिग्‍नेचर तैयार किया है । और जब मानसी पिंपले की आवाज़ की आमद होती है तो एक तरह की ताज़गी का अहसास होता है । गाने का मुखड़ा बेहतरीन है । रिदम बेहतरीन तरीक़े से रखा गया है । पर पता नहीं क्‍यों मुझे हिंदी सिनेमा संसार के किसी गाने की झलक लगी इस गाने की ट्यून में ।
जब हम पहले अंतरे पर पहुंचे तो ये सुनकर कष्ट हुआ कि मिक्सिंग में कमी रह गयी है और गायिका मानसी की आवाज़ डूब गयी है । वाद्यों की आवाज़ ने बोलों की स्पष्ट कर ली है । पहले अंतरे के बाद का इंटरल्‍यूड बढिया है ।
दूसरे अंतरे में भी गायिका की आवाज़ स्पष्ट नहीं है । जहां तक लिरिक्‍स का सवाल है तो मुझे ऐसा महसूस होता है कि संगीतकार के लिए इस गाने को ट्यून में उतारना मुश्किल काम रहा होगा । गीत के विन्‍यास में ‘गेय तत्व’ की कमी है । पर गाने की भावभूमि सुंदर है ।
इसके अलावा एक बात और कहना चाहता हूं । मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि गाने की रिकॉर्डिंग साफ़ नहीं है । मैं आवाज़ की नहीं ऑरकेस्‍ट्रा की बात कर रहा हूं । बहुत ही दबा-दबा सा संगीत लग रहा है । चमक क्यों नहीं आ रही है ।
मेरी राय है कि इस गाने की धुन एक बार और बनाई जाये ।
गीत सुंदर है । गायिका में भी संभावनाएं हैं और संगीतकार में भी ।
तो फिर इतनी अच्‍छी रचना को क्यों ना फिर से सजाएं ।
गीत ४/५ । धुन और संगीत संयोजन ३/५ । गायकी और आवाज़ पर ३/5 और ओवर ऑल २/५ । कुल १२/२० यानी
6/10

कुल अंक अब तक - १९ / ३०

बेंतेहा प्यार
इस शानदार गाने के लिए मैं सुदीप यशराज को बधाई देता हूं । सुदीप कितने बरस हैं पता नहीं । तस्वीर से इनका बचपना साफ़ नज़र आता है ।
पर संगीत के मामले में सुदीप बचपने की बजाय परिपक्वता से पेश होते लगते हैं ।
शायद सुदीप जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए । उन्हें क्या करना है ।
पिछले जितने भी गीतों की समीक्षा मैंने की है उनमें से ये गाना मुझे बेहद सधा हुआ लगा । कहूं कि सबसे ज्यादा सधा हुआ ।
जिस तरह वे अंतरे पर जाकर 'सम' लगाते हैं और फिर 'वो हो हो ' शुरू करते हैं वो भी कमाल है ।
गीत सुंदर है । गायकी बढि़या है । गीत रचना में एक जगह 'मैंने बूंद बूंद भरी है अपने आंसू से' की बजाय 'अपने आंसुओं से- होना चाहिए था ।
पर इस बात को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है ।
गिटार का इसा गाने में सुंदर प्रयोग किया है ।
सुदीप इंडीपॉप सर्किट पर सक्रिय कई नामी कलाकारों को मात देने की हैसियत रखते हैं । चाहे रिदम हो । म्यूजिक का बाकी अरेन्जमेन्ट या फिर गायकी और लेखन ।
सभी पक्ष सुंदर । गाने को दस में से दस नंबर ।

कुल अंक अब तक - २०.५ / ३०


जीत के गीत
इस गाने के नंबर इस तरह हैं ।
१. गीत- 4
२. धुन और संगीत संयोजन—4
३. गायकी और आवाज़—4
४. ओवारोल प्रस्तुति—5
ये गाना बिना भारी भरकम शब्दों के बड़ी सरलता के साथ जोश और उमंग की बात करता है । गायकी और संगीत संयोजन भी कमाल का है । कुल मिलाकर 17/ 20 अंक । यानी ८.५/१०

कुल अंक अब तक - २४.५ / ३०

चले जाना
१. गीत--- 4/5
२. धुन और संगीत संयोजन 4/5
३. गायकी और आवाज़—5/5
४. ओवारोल प्रस्तुति—5/5
एक रचना के स्‍तर पर ग़ज़ल औसत है । लेकिन रूपेश की आवाज़ में एक ग़ज़ल गायक का पूरा संयम है । और जब धुन भी खुद उन्‍होंने बनाई तो ये ग़ज़ल निखर आई है ।
कुल 18 / 20 यानी ९/१०

कुल अंक अब तक - २१.५ / ३०


इस बार
1. गीत—2/5
2. धुन और संगीत संयोजन—3/5
3. गायकी और आवाज़—3/5
4. ओवारोल प्रस्तुति- 3/5
बेहद औसत गीत । बेहद आसान गायकी । बेहद औसत प्रस्‍तुति ।
इस गीत को बेहद शोख़ और चमकीला रूप दिया जा सकता था ।
कुल मिलाकर ११ /२० यानी ५.५/१०

कुल अंक अब तक - १६.५ / ३०.

चलते चलते -
तो इस तरह अब तक सभी गीतों में सबसे आगे है "जीत के गीत" और ठीक पीछे है "संगीत दिलों का ..." और "आवारा दिल". वहीँ "मैं नदी" और "मेरे सरकार" " बढे चलो" और "बेंतेहा प्यार" सभी समीक्षकों की उम्मीदों पर एक से खरे नही उतर पाये. " चले जाना" और "तेरे चहरे पर" कभी भी बाज़ी पलट सकते हैं. अगले सप्ताह मिलेंगे आपसे सितम्बर के सिकंदर गीतों कि पहली समीक्षा लेकर. तब तक इजाज़त.

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