आपने हरिवंश राय बच्चन की ६वीं पुण्य तिथि पर हमारी दो प्रस्तुतियाँ पढ़ी-सुनीं। एक प्रविष्टि में जहाँ अमिताभ बच्चन की आवाज़ में बच्चन जी की कविताएँ थीं, वहीं एक पोस्ट में डॉ॰ प्रीति प्रकाश प्रजापति द्वारा कविता 'क्या भुलूँ क्या याद करूँ'। हरिवंश राय बच्चन ने बाल-साहित्य पर भी उल्लेखनीय कार्य किया था। नीलम मिश्रा अपनी आवाज़ में उन्हीं की एक बाल कविता लाई हैं, आप सब के लिए, सुनें-






संस्कार गीतों पर एक विशेष शृंखला
मन जाने - विवधताओं से भरी अल्बम








लता मंगेशकर जब मिली आवाज़ के श्रोताओं से
द रिटर्न ऑफ आलम आरा प्रोजेक्ट एक कोशिश है, हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म के गीत संगीत को फिर से रिवाईव करने की, सहयोग दें, और हमारी इस नेक कोशिश का हिस्सा बनें 

सुप्रसिद्ध गायक, गीतकार और संगीतकार रविन्द्र जैन यानी इंडस्ट्री के दाद्दु पर एक विशेष शृंखला जिसके माध्यम हम सलाम कर रहे हैं फिल्म संगीत जगत में, इस अदभुत कलाकार के सुर्रिले योगदान को
लोरियों की मधुरता स्त्री स्वर के माम्तत्व से मिलकर और भी दिव्य हो जाती है. पर फिल्मों में यदा कदा ऐसी परिस्थियों भी आई है जब पुरुष स्वरों ने लोरियों को अपनी सहजता प्रदान की है. पुरुष स्वरों की दस चुनी हुई लोरियाँ लेकर हम उपस्थित हो रहे हैं ओल्ड इस गोल्ड में इन दिनों 

शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।



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3 श्रोताओं का कहना है :
बहुत सुंदर लगी दादी जी की चिडिया.
धन्यवाद
सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद।
जब बात बच्चों की आती है तो आप और मीनू जी का अंदाज़ अलग ही है....सबसे अच्छी बात आपकी रिकॉर्डिंग बहुत साफ़ आती है ....नीलम जी आभार
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