वर्ष २००८ के श्रेष्ट ५० फिल्मी गीत (हिंद युग्म के संगीत प्रेमियों द्वारा चुने हुए),पायदान संख्या २० से ११ तक
पिछले अंक में हम आपको ३०वीं पायदान से २१वीं पायदान तक के गीतों से रूबरू करा चुके हैं। उन गीतों का दुबारा आनंद लेने के लिए यहाँ जाएँ।
२० वीं पायदान - पिछले सात दिनों में(रॉक ऑन)
रॉक ऑन उन चुंनिदा फिल्मों में से एक है,जिसमें धुन तैयार होने से पहले गीतकार ने अपने गीत लिखे और फिर संगीतकार ने संगीत पर माथापच्ची की है, अमूमन इसका उल्टा होता है। गीत के बोल लीक से हटकर हैं। गाने की पहली पंक्ति हीं इस बात को पुख्ता करती है(मेरी लांड्री का एक बिल)। "दिल चाहता है","लक्ष्य", "डान" जैसी फिल्में बना चुके फरहान अख्तर ने इस फिल्म के जरिये अपने एक्टिंग कैरियर की शुरूआत की है। "अर्जुन रामपाल" को छोड़कर इस फिल्म में फिल्म-जगत का कोई भी नामी कलाकार न था,फिर भी "राक आन" बाक्स-आफिस पर अपना परचम लहराने में सफल हुई। इस फिल्म के सारे गीतों में संगीत दिया है शंकर-अहसान-लाय की तिकड़ी ने तो बोल लिखे हैं फरहान के पिता और जानेमाने लेखक एवं शायर जावेद अख्तर ने। इस गाने को गाया है खुद फरहान ने।
१९ वीं पायदान - खुदा जाने(बचना ऎ हसीनों)
यूँ तो इस फिल्म में रणबीर-दीपिका के सारे दृश्य सिडनी में फिल्माये गये हैं,लेकिन इस गाने की शुटिंग इटली के विशेष एवं चुने हुए लोकेशन्स पर की गई है। मनमोहक सीनरी के मोहपाश में बंधी दीपिका खुद इस बात का बखान करती नहीं थकती। अनविता दत्त गुप्तन की लेखनी का जादू भी कमाल का है और उस पर से विशाल-शेखर के संगीत का तिलिस्म। लेकिन इस गाने की खासियत और प्रमुख यु०एस०पी० है के०के० की आवाज। ऊपर के सुरों पर के०के० की आवाज नहीं फटती,जो अमूमन बाकी गायकॊं के साथ होता है।"एक लौ" फेम शिल्पा राव ने इस गाने में के०के० का बखूबी साथ दिया है।
१८ वीं पायदान - तू राजा की राजदुलारी(ओए लकी लकी ओए)
जबर्दस्त एवं अप्रत्याशित पब्लिक वोटिंग ने इस गाने को १८वीं पायदान पर पहुँचाया है। राजबीर की आवाज अलग ढर्रे की है,इसलिए कहा नहीं जा सकता कि किसे पसंद आ जाए या फिर कौन नापसंद कर जाए। मंगे राम ने इसके बोल लिखे हैं तो संगीत स्नेहा खनवल्कर का है। इस गीत को अभय देओल एवं नीतु चंद्रा पर बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है।
१७ वीं पायदान - फ़लक तक चल(टशन)
इस गाने के साथ उदित नारायण बहुत दिनों बाद सेल्युलायड पर नज़र आए। वैसे दिल को छूते बोल और मधुर संगीत से सजे गानों के लिए उदित नारायण परफेक्ट च्वाइस हैं। इस गाने में उनका साथ दिया है चुपचुप के(बंटी और बब्ली) और बोल न हल्के-हल्के(झूम बराबर झूम) फेम महालक्ष्मी अय्यर ने। अक्षय और करीना पर फिल्माया गया यह गीत निस्संदेह "टशन" का सबसे यादगार गीत है। इस गाने के बोल लिखे हैं कौसर मुनीर ने तो संगीत से सजाया है विशाल-शेखर की जोड़ी ने।
१६ वीं पायदान - पप्पू कान्ट डांस(जाने तू या जाने ना)
"लव के लिए साला कुछ भी करेगा" लिखकर फिल्म-इंडस्ट्री में प्रसिद्ध हुए अब्बास टायरवाला "पप्पू कान्ट डांस" से अपनी पुरानी शैली को दुहराते प्रतीत होते हैं। गाने के बोल कालेज जाने वाली जनता को आकर्षित करने में सफल है और गाने की तर्ज पार्टियों में लोगों को थिरकने पर मजबूर करती है।गाने में अंग्रेजी की पंक्तियाँ ब्लेज़ की हैं तो संगीत ए०आर०रहमान का है ।इस गाने को सात गायकों -अनुपमा देशपांडे, बेनी दयाल, ब्लेज़, दर्शना, मोहम्मद असलम (अजीम-ओ-शान शहंशाह फेम), सतीश सुब्रमन्यम एवं तन्वी, ने अपनी आवाजें दी है ।
१५ वीं पायदान - हाँ तू है(जन्नत)
इस गाने की भी सफलता का मुख्य श्रेय के०के० को जाता है। इस गाने में नब्बे की दशक के नदीम-श्रवण की धुनों की हल्की-सी छाप दीखती है। प्रीतम का संगीत इस गाने को रिवाइंड करके सुनने को बाध्य करता है। गाने के बोल लिखे हैं सईद कादरी ने। वैसे भट्ट कैंप के बारे में यह प्रचलित है कि फिल्म कैसी भी हो, फिल्म के गाने दर्शनीय एवं श्रवणीय जरूर होते हैं। पर्दे पर इमरान हाशमी एवं सोनल चौहान की मौजूदगी इस गाने को दर्शनीय बनाने में कहीं से भी कमजोर साबित नहीं होती।
१४ वीं पायदान - सोचा है(रॉक ऑन)
आसमां है नीला क्यों,पानी गीला-गीला क्यों, सरहद पर है जंग क्यों, बहता लाल रंग क्यॊं....... ऎसे प्रश्न लेकर जावेद अख्तर पहले भी कई बार आ चुके हैं। इस बार अलग यह है कि इन बातों की नैया की पतवार थामी है रौक म्युजिक ने। "राक आन" के आठ गानों में से पाँच गानॊं में पार्श्व गायन किया है स्वयं नायक फरहान ने। इस गाने में भी फरहान अख्तर की हीं आवाज़ है और रौक धुन से सजाया है शंकर-अहसान-लाय ने। वाकई फरहान अख्तर, अर्जुन रामपाल, ल्युक केनी और पूरब कोहली की रौक बैंड "मैजिक" का मैजिक बाक्स-आफिस के सर चढकर बोलता दिखा।
१३ वीं पायदान - ख़्वाजा मेरे ख़्वाजा(जोधा-अकबर)
जोधा-अकबर फिल्म के लेखक "हैदर अली" चाहते थे कि इस फिल्म में उनकी कैमियो इंट्री हो,लेकिन माकूल रोल नहीं मिल रहा था। तभी फिल्म के निर्देशक "आशुतोष गोवारिकर" ने सुझाया कि "ख़्वाजा मेरे ख़्वाजा" गाने में जो दरवेशों की टोली आती है,उसमें "हैदर अली" सबसे आगे रह सकते हैं और पूरा का पूरा गाना उन्हीं पर फिल्माया जा सकता है। विचार अच्छा लगा और ए०आर०रहमान की आवाज़ को "हैदर अली" का शरीर मिल गया। यह तो थी इस गाने के फिल्मांकन के पीछे की कहानी, अब बात करें गाने की तो गाने का संगीत दिया है "मोज़ार्ट आफ मद्रास" ए०आर०रहमान ने एवं बोल लिखे हैं जावेद अख्तर ने। यह गाना ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती और हज़रत निजामुद्दीन औलिया को समर्पित है। "तेरे दरबार में ख़्वाजा , सर झुकाते हैं औलिया...चाहने से तुझको ख़्वाजा जी मुस्तफ़ा को है चाहा......."
१२ वीं पायदान - तुझमें रब दीखता है(रब ने बना दी जोड़ी)
शायद हीं कोई संगीत-प्रेमी होगा, जिसने फिल्म "अनवर" का गीत "आँखें तेरी" न सुना हो और जिसे यह गीत पसंद न हो। "रूप कुमार राठौर" की आवाज़ का यही असर है, जो आसानी से नहीं उतरता। फिल्म "वीर-ज़ारा" के "तेरे लिए" में लता मंगेशकर के साथ रूप कुमार राठौर की जुगलबंदी को कौन भुला सकता है। हाल में हीं प्रदर्शित हुई "रब ने बना दी जोड़ी" का यह गाना भी इसी खासियत के कारण चर्चा में है। वैसे इस गाने की प्रसिद्धि में एक बड़ा हाथ सलीम-सुलेमान के रूहानी संगीत और जयदीप साहनी( चख दे इंडिया फेम) के सरल एवं सुलझे हुए शब्दों का भी है। इस गाने का फिल्मांकन भी बड़ी हीं खूबसूरती से किया गया है।
११ वीं पायदान - कहने को जश्ने-बहारां है(जोधा-अकबर)
एक बार फिर ए०आर०रहमान। "कहने को जश्ने-बहारां है" सुनने वालों को सोनू निगम की आवाज़ का संदेह होना लाज़िमी है। दर-असल "जावेद अली" की आवाज़ सोनू निगम से बहुत हद तक मिलती है और इसी कारण जल्द हीं असर करती है। फिल्म-इंडस्ट्री में आए हुए जावेद अली के सात साल हो गए,लेकिन पहचान तब मिली जब उन्होंने "नक़ाब" का "एक दिन तेरी राहों में" गाया। फिर तो उनके खाते में कई सारे गाने जमा होते गए। "कहने को जश्ने-बहारां है" को अपने संगीत से सजाया है ए०आर०रहमान ने और बोल लिखे हैं जावेद अख्तर ने। नायक के दिल के दर्द और नायिका से दूरी को बेहतरीन तरीके से इस गाने में दर्शाया गया है। वाकई मुगलकालीन उर्दू का अंदाज-ए-बयाँ है कुछ और....।
साल २००८ के सर्वश्रेष्ठ १० गाने लेकर हम जल्द हीं हाज़िर होंगे। तब तक इन गानों का आनंद लीजिए।
चुनिए वर्ष के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार, आवाज़ की टीम द्वारा चुने गए इन ४ नामों में से -
ऐ आर रहमान फ़िल्म जोधा अकबर के लिए
ऐ आर रहमान फ़िल्म जाने तू या जाने न के लिए
शंकर एहसान लॉय फ़िल्म रॉक ऑन के लिए और
सलीम सुलेमान फ़िल्म रब ने बना दी जोड़ी के लिए
या कोई अन्य
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2 श्रोताओं का कहना है :
हर गीत के बारे में इतनी अच्छी जानकारी कहाँ से लाती है आवाज़ की टीम...
मुझे ये गीतमाला बहुत पसंद आ रही है.. और साथ में दिये जाने वाली जानकारी...
तू राजा की राजदुलारी गीत के बारे में ये भी सुना है कि इसके निर्देशक ने ये गीत कभी बचपन में किसी देहात में सुना था और वो कुछ ऐसे उनके मन में बैठ गया कि जब इस फ़िल्म के लिए उन्हें इस गीत को रखने की सोची, तो मूल रूप से रागनी गाने वाले किसी कलकार की खोज शुरू हुई और इस तरह एक भीड़ देहात में छुपा एक नया कलाकार आज भारत की शान बन गया...मुझे इस गीत के बोल इतने पसंद हैं कि क्या बताऊँ....दिन में दो तीन बार तो सुनता ही हूँ....हालांकि ऐ आर रहमान मेरे सबसे प्रिय संगीतकार हैं पर इस बार मेरा वोट शंकर एहसान लोय को जाएगा रॉक ऑन के लिए मेरे ख्याल से इस फ़िल्म के गाने एक नई लीक देते हैं ...."सिंदबाद दा सईलोर" भी आप सुनें बहुत गजब का गीत है.....जावेद साहब ने मेरी लौंड्री का एक बिल जैसा गीत लिख कर साबित किया है कि उनका दिल आज भी जवान है.....my salute to the master
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