सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (11) नामांकन में आना भी एक उपलब्धि है - पंडित रवि शंकर
ग्रैमी पुरस्कार विजेता उस्ताद जाकिर हुसैन को बधाई देने वालों में तीन बार ग्रैमी हुए पंडित रवि शंकर भी हैं. एक ताज़ा इंटरव्यू में पंडित जी ने कहा-"विश्व मोहन भट्ट को जब ग्रैमी मिला तब इस बाबत मीडिया में जग्रता आयी. मेरे पहले दो सम्मानों के बारे में तो मुझे भी ख़बर नही लगी देशवासियों की बात तो दूर है. कई बार जूरी के सदस्यों के वोट न मिल पाने के कारण कोई अच्छा संगीतकार विजयी होने से रह जाता है पर इससे उसके संगीत की महत्ता कम नही होती, मेरा मानना है कि नामांकन में आना भी एक बड़े सम्मान की बात है. मुझे दुःख है कि लक्ष्मी शंकर ग्रैमी नही जीत पायी, वे बेहद प्रतिभाशाली हैं.पर खुशी इस बात की है कि जाकिर ने इसे जीता." गौरतलब है कि मोहन वीणा वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट भी पंडित रवि शंकर जी के ही शिष्य हैं. भारत रत्न पंडित रवि शंकर ऐ आर रहमान को भी बधाई देना नही भूले-"मैं हिन्दी फ़िल्म संगीतकारों का सालों से प्रशंसक रहा हूँ, सी रामचंद्र, सलिल चौधरी, एस डी और आर डी बर्मन, इल्ल्याराजा और अब ऐ आर रहमान जो निरंतर इतनी सुंदर धुनों से संगीत को संवार रहे हैं. फिल्मों के लिए उनका पार्श्व संगीत भी सराहनीय रहा है. विदेशों में भी अब उन्हें ख्याति प्राप्त करते देख खुशी हो रही है." दुनिया भर से ढेरों सम्मान पाने वाले पंडित रवि शंकर के लिया सबसे बड़ा सम्मान क्या है ? -"जो कुछ भी मिला है उसके लिए मैं ईश्वर, अपने गुरु और अपने प्रशंसकों को धन्येवाद देना चाहता हूँ, पर जब मैं परफोर्म करता हूँ और अपने संगीत में डूबे हुए किसी श्रोता का गर दिल भर आए और उसकी आँख से आंसू का एक कतरा गिरे, तो वो मेरे लिए सर्वोत्तम पुरस्कार है..". आपको नमन है ऐ संगीत शिरोमणि.
मैं एक खिलाड़ी जैसा महसूस कर रहा हूँ - ऐ आर रहमान
बाफ्टा की फ़तेह के बाद अब रहमान चले हैं एक और गढ़ जीतने न्यू यार्क शहर को. मनीष के ख़ास निर्मित बंद गले के सूट पहने रहमान इस समय ख़ुद को एक खिलाड़ी सा महसूस कर रहे हैं जिस पर सारे देश की नज़र है और जिससे ओलंपिक गोल्ड की पूरी पूरी उम्मीद की जा रही है -"ओलंपिक के लिए निकलते किसी खिलाड़ी से जिसपर पूरे देश को स्वर्ण लेकर आने की उम्मीद रहती है, मैं ख़ुद को इस वक्त उस खिलाड़ी सा महसूस कर रहा हूँ, पता नही मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा या नही, खुदा ने मुझे पहले ही मेरी काबिलियत से अधिक दिया है, इसलिए मैं कभी भी ज्यादा की महत्वकांक्षा नही कर पाता, ये मेरा स्वाभाविक गुण है...". भारतीय संगीत एल्बम के लिए ग्रैमी जीतना चाहता हूँ - उस्ताद जाकिर हुसैन
"जब कोई दूसरा देश आपकी कला को सम्मान देता है, सबकी निगाहें आपकी तरफ़ उठ जाती है, पर जब आपका गुरु आपको शाबाशी दे कोई गौर नही करता. पर मेरे लिए दूसरी बात अधिक मायने रखती है", ग्रैमी जीतने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन ने एक ताज़ा इंटरव्यू में ये बात कही -"मेरे गुरु और पिता मरहूम उस्ताद अल्लाह रखा खान ने मात्र दो बार मुझसे ये कहा कि मैंने अच्छा बजाया. दो बार उनके इन शब्दों से मिला सम्मान मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है. मैं कभी एक पूरी तरह से भारतीय शास्त्रीय संगीत के किसी एल्बम के लिए ग्रैमी जीतना चाहता हूँ, जैसा कि पंडित रवि शंकर जी ने कर दिखाया था. विदेशी संगीतकारों के साथ गठबंधन ग्रैमी तक पहुँचने का आसान रास्ता बना देता है...". बिल्लू को कहना नही कोई हज्ज़ाम
एक और बड़ी फ़िल्म और एक और नया विवाद, अब तो जैसे ये एक परम्परा ही हो गई है...खैर हम विवादों की तरफ़ न जाकर सुनते हैं सप्ताह का सॉलिड गीत फ़िल्म "बिल्लू" से. ठेठ देसी अंदाज़ के इस गीत में गुलज़ार साहब ने कमाल के शब्द चुने हैं. "लोशन खुसबुदार" और "उस्तरे की धार" जैसे शब्दों ने गीत को खासा नया पन दे दिया है. प्रीतम ने भी बहुत बढ़िया धुन और संयोजन किया है. आवाजें हैं रघुबीर यादव, अजय जिन्गरान और कल्पना की...हाँ ...और गाने का अन्तिम हिस्सा सबसे शानदार है....सुनिए और आनन्द लीजिये.
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम के आशीर्वाद का साथ "बीट ऑफ इंडियन यूथ" आरंभ कर रहा है अपना महा अभियान. इस महत्वकांक्षी अल्बम के माध्यम से सपना है एक नया इतिहास रचने का. थीम सोंग लॉन्च हो चुका है, सुनिए और अपना स्नेह और सहयोग देकर इस झुझारू युवा टीम की हौसला अफजाई कीजिये
इन्टरनेट पर वैश्विक कलाकारों को जोड़ कर नए संगीत को रचने की परंपरा यहाँ आवाज़ पर प्रारंभ हुई थी, करीब ५ दर्जन गीतों को विश्व पटल पर लॉन्च करने के बाद अब युग्म के चार वरिष्ठ कलाकारों ऋषि एस, कुहू गुप्ता, विश्व दीपक और सजीव सारथी ने मिलकर खोला है एक नया संगीत लेबल- _"सोनोरे यूनिसन म्यूजिक", जिसके माध्यम से नए संगीत को विभिन्न आयामों के माध्यम से बाजार में उतारा जायेगा. लेबल के आधिकारिक पृष्ठ पर जाने के लिए नीचे दिए गए लोगो पर क्लिक कीजिए.
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आवाज़ पर ताज़ातरीन
संगीत का तीसरा सत्र
हिन्द-युग्म पूरी दुनिया में पहला ऐसा प्रयास है जिसने संगीतबद्ध गीत-निर्माण को योजनाबद्ध तरीके से इंटरनेट के माध्यम से अंजाम दिया। अक्टूबर 2007 में शुरू हुआ यह सिलसिला लगातार चल रहा है। इस प्रक्रिया में हिन्द-युग्म ने सैकड़ों नवप्रतिभाओं को मौका दिया। 2 अप्रैल 2010 से आवाज़ संगीत का तीसरा सीजन शुरू कर रहा है। अब हर शुक्रवार मज़ा लीजिए, एक नये गीत का॰॰॰॰
ओल्ड इज़ गोल्ड
यह आवाज़ का दैनिक स्तम्भ है, जिसके माध्यम से हम पुरानी सुनहरे गीतों की यादें ताज़ी करते हैं। प्रतिदिन शाम 6:30 बजे हमारे होस्ट सुजॉय चटर्जी लेकर आते हैं एक गीत और उससे जुड़ी बातें। इसमें हम श्रोताओं से पहेलियाँ भी पूछते हैं और 25 सही जवाब देने वाले को बनाते हैं 'अतिथि होस्ट'।
महफिल-ए-ग़ज़ल
ग़ज़लों, नग्मों, कव्वालियों और गैर फ़िल्मी गीतों का एक ऐसा विशाल खजाना है जो फ़िल्मी गीतों की चमक दमक में कहीं दबा-दबा सा ही रहता है। "महफ़िल-ए-ग़ज़ल" शृंखला एक कोशिश है इसी छुपे खजाने से कुछ मोती चुन कर आपकी नज़र करने की। हम हाज़िर होते हैं हर बुधवार एक अनमोल रचना के साथ, और इस महफिल में अपने मुक्तलिफ़ अंदाज़ में आपसे मुखातिब होते हैं कवि गीतकार और शायर विश्व दीपक "तन्हा"। साथ ही हिस्सा लीजिये एक अनोखे खेल में और आप भी बन सकते हैं -"शान-ए-महफिल". हम उम्मीद करते हैं कि "महफ़िल-ए-ग़ज़ल" का ये आयोजन आपको अवश्य भायेगा...
ताजा सुर ताल
अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं। "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है। आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रूरत है उन्हें ज़रा खंगालने की। हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं।
सुनो कहानी
इस साप्ताहिक स्तम्भ के अंतर्गत हम कोशिश कर रहे हैं हिन्दी की कालजयी कहानियों को आवाज़ देने की है। इस स्तम्भ के संचालक अनुराग शर्मा वरिष्ठ कथावाचक हैं। इन्होंने प्रेमचंद, मंटो, भीष्म साहनी आदि साहित्यकारों की कई कहानियों को तो अपनी आवाज़ दी है। इनका साथ देने वालों में शन्नो अग्रवाल, पारुल, नीलम मिश्रा, अमिताभ मीत का नाम प्रमुख है। हर शनिवार को हम एक कहानी का पॉडकास्ट प्रसारित करते हैं।
पॉडकास्ट कवि सम्मलेन
यह एक मासिक स्तम्भ है, जिसमें तकनीक की मदद से कवियों की कविताओं की रिकॉर्डिंग को पिरोया जाता है और उसे एक कवि सम्मेलन का रूप दिया जाता है। प्रत्येक महीने के आखिरी रविवार को इस विशेष कवि सम्मेलन की संचालिका रश्मि प्रभा बहुत खूबसूरत अंदाज़ में इसे लेकर आती हैं। यदि आप भी इसमें भाग लेना चाहें तो यहाँ देखें।
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आप चाहें गीतकार हों, संगीतकार हों, गायक हों, संगीत सुनने में रुचि रखते हों, संगीत के बारे में दुनिया को बताना चाहते हों, फिल्मी गानों में रुचि हो या फिर गैर फिल्मी गानों में। कविता पढ़ने का शौक हो, या फिर कहानी सुनने का, लोकगीत गाते हों या फिर कविता सुनना अच्छा लगता है। मतलब आवाज़ का पूरा तज़र्बा। जुड़ें हमसे, अपनी बातें podcast.hindyugm@gmail.com पर शेयर करें।
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रविवार से गुरूवार शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी होती है उस गीत से जुडी कुछ खास बातों की. यहाँ आपके होस्ट होते हैं आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों का लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
"डंडे के ज़ोर पर उसके पिता उसे अपने साथ तीर्थ यात्रा पर भी ले जाते थे और झाड़ू के ज़ोर पर माँ की छठ पूजा की तैयारियाँ भी वही करता था।" (अनुराग शर्मा की "बी. एल. नास्तिक" से एक अंश) सुनिए यहाँ
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