Thursday, March 26, 2009

बीसवीं सदी की १० सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्में (भाग १)



विनोद भारद्वाज हमारी फिल्मों के प्रतिष्टित हिंदी समीक्षकों में से एक हैं. पिछले दिनों उनकी पुस्तक, "सिनेमा- कल आज और कल" पढ़ रहा था. इस पुस्तक में एक जगह उन्होंने बीती सदी की टॉप दस फिल्मों की एक सूची दी है. मुझे लगा १९९९ में उनके लिखे इस आलेख पर कुछ चर्चा की जा सकती है. हालाँकि खुद विनोद मानते हैं कि इस तरह का चयन कभी भी विवादों के परे नहीं रह सकता. पर विनोद के इस "टॉप १०" को यहाँ देकर मैं आप श्रीताओं/पाठकों की राय जानना चाहता हूँ कि उनके हिसाब से ये टॉप सूची परफेक्ट है या वो कोई और फिल्म भी वो इस सूची में देखना चाहते हैं. आज हम बात करेंगे ५ फिल्मों की (रिलीस होने के क्रम में), आगे की पांच फिल्में कौन सी होंगी ये आप बतायें. याद रखें इस सूची का प्रमुख आधार लोकप्रियता ही है. जाहिर है समीक्षकों की राय में जो सूची होगी वो बिलकुल ही अलग होगी. घबराईये मत, वो सूची भी मैं कल पेश करूँगा. फिलहाल लोकप्रिय के आधार पर २० वीं सदी की इन फिल्मों को परखते हैं -

१. किस्मत (१९४३) - बॉम्बे टौकीस की इस फिल्म के निर्देशक थे ज्ञान मुखर्जी. अशोक कुमार और मुमताज़ शांति की प्रमुख भूमिकाएं थी. यह एक संगीत प्रधान अपराध फिल्म थी जो अपने समय की हॉलीवुड की फिल्मों से प्रभावित थी. कोलकत्ता में ये फिल्म ३ साल तक एक ही सिनेमा घर में चलती रही थी. सुनते चलिए इसी फिल्म से अमीरबाई कर्नाटकी का गाया ये मधुर गीत-



२. आवारा (१९५१) - अभिनेता निर्देशक राज कपूर की ये सबसे लोकप्रिय फिल्म है. नर्गिस उनकी हेरोइन थी. ये फिल्म भारत में ही नहीं सोवियत संघ, अफ्रीका और अरब देशों में भी खूब लोकप्रिय हुई थी. शंकर जयकिशन का संगीत हिट था और फिल्म के एक गाने के "स्वप्न प्रसंग" ने बड़ी चर्चा पायी थी. सुनिए इस फिल्म का ये मधुर दोगाना -



३. अलबेला (१९५१) - मास्टर भगवान् इस फिल्म के निर्देशक - नायक थे. चुलबुली और शोख गीता बाली थी नायिका. सी रामचंद्र का शानदार संगीत इस मस्ती भरी अलबेली फिल्म के केंद्र में था. फिल्म गीत- नृत्य- संगीत के दम पर हिट हुई. 'शोला जो भड़के" ने बहुतों को भड़काया. सुनते हैं यही मस्त गीत -



४. देवदास (१९५५) - विमल राय के निदेशन में बनी देवदास दिलीप कुमार के अभिनय के लिए भी याद की जाती है. सुचित्रा सेन, मोती लाल और वैजयंतीमाला की भी फिल्म में प्रमुख भूमिकाएं थी. १९३५ में बनी के एल सहगल अभिनीत देवदास में बिमल राय कैमरा मैन थे. शरत के प्रसिद्ध उपन्यास के कई संस्करण अब तक बॉलीवुड में बन चुके हैं. देवदास के संगीत की मिठास का भी आनंद लें -



५. मदर इंडिया (1957) - अपनी ही फिल्म औरत (१९४०) का रंगीन संस्करण किया महबूब खान ने मदर इंडिया के रूप में. नर्गिस ने भारतीय माँ की बहुचर्चित भूमिका निभाई थी. राज कुमार, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त और कन्हैया लाल ने भी अपनी भूमिकाओं से फिल्म में जान डाली थी.नौशाद का संगीत था. ग्रामीण पृष्ठभूमि में एक बूढी माँ अपने विद्रोही बेटे को खुद अपने हाथों से मारने के लिए मजबूर हो जाती है. सुनिए इसी अविस्मरणीय फिल्म का ये सदाबहार गीत -



इसी आलेख में विनोद ने हॉलीवुड की टॉप १० फिल्मों का भी जिक्र किया है, जिसमें १९४१ में बनी "सिटिज़न केन" का दर्जा सबसे ऊपर रखा गया है. विनोद के अनुसार ये फिल्म हमेशा से हॉलीवुड के समीक्षकों की प्रिय रही है. इसी तर्ज पर यदि भारतीय टॉप १० सूची में से एक को चुनना पड़े तो विनोद "मदर इंडिया" को चुनना पसंद करेंगें. उनके अनुसार ये फिल्म सभी हिंदी फिल्मों का "माँ" है. शेष ५ फिल्मों की चर्चा लेकर कल उपस्थित होउंगा. तब तक आप अपनी सूची दें.

(जारी...)





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5 श्रोताओं का कहना है :

संजय बेंगाणी का कहना है कि -

दस का कह कर पाँच ही, :) बाकी पाँच के बद टिप्पणी...

Anonymous का कहना है कि -

In my opinion the next 5 hindi film must be Dosti (1964), Bobby(1973), Sholady (1975) Sattyam Shivam Sundaram (1978) , and Sajan (1990)


1964 Dosti: The story of two friends , one is blind and the other is lame. They are physically weak but mentally strong . They have shown to the world that if we have spirit we can do anything in life. This film encourage us to fight with any inconvenient situation in our life. The main star of this film was music which has been composed by the duo Laxmikant- Pyarelal. Every songs were so lilting and sentiment. Even to-day if we discuss about hindi film and music, Dosti is the one which is example and memorable. Whenever I feel headache upset , and no mood to do anything I prefer to watch Dosti to get wet my eyes . When tear drops from my eyes I feel well . I salute to the whole team of Dosti (perhaps many of them are not to-day but they are remembered forever).



1973 Bobby: Raj Kapoor's teen story film. I was 14 years old when this film was released in 1975 in Nepal. I was very much impressed after watching this movie and the appearance of Dimple was moving around on my eyes for a long time, cause I was also teen at time………………!
I have never seen such a wonderful love story film. Many film makers had tried to make much more better than Bobby, but they were failed. Raj Kapoor quitted his regular music director duo Shanker Jaikishen after Mera Naam Joker and replaced Laxmikant Pyarelal. They have shown their talent in this film too. The music if you hear even to-day, it gives you freshness, THE REAL HINDI MUSIC .

1975 Sholay: Dharmendr's film was band in Kathmandu (for the kind information Nanda's film also was band ) in cinema halls, I don't know the reason why ? But I know that when this film was released in Birgunj (the western side of Nepal , about 200 km far from Kathmandu ) many of Kathmandu's film lovers had gone to Birgunj to watch this movie, traveled by bus or by plane . The film was running very successful for a long time like in India, if we watch this movie even to-day, it feels you like a newly produced film. THIS IS THE REAL HINDI CINEMA.



1977 Amar Akbar Anthony: Manmohan Desai's super hit, popular film. Angry young man Amitabh's image has change later and became a versatile actor from this film only.
Rafi received the filmfare award after long time, whereas Kishwor Kumar's bolbala was there at that time. The most entertaining film in hindi film history.


1978 Sattyam Shivam Sundaram: The second Raj Kapoor's Sadabahar film Sundarta chehre pe nahin, man ki andar jhankar dekho. Raj Kapoor exposed Jeenat Aman too much in this film, it was necessary for the film's story. Who else dare to make such a film ? Whether the Indian audience liked or not I don't know but the people in Nepal liked very much. In my opinion this is also a countable film in hindi film history.


I don't know whether I am right or wrong. But I kept my opinion to all the readers and all the viewers of hindi cinema. I hope that among the above 5 film, 2 of them will definitely be the 2nd list of the hindi cinemas 20th. century's most popular.

Thank You !

Gyani Manandhar
Kathmandu

Pramendra Pratap Singh का कहना है कि -

उम्‍दा, बेहतरीन

सभी में बहुत कुछ देखा हूँ वास्‍तव में बहुत बहुत बहुत अच्‍छी फिल्‍मे है ।

Divya Narmada का कहना है कि -

सूची संतुलित है. जोनी मेरा नाम, बोबी, ज़ंजीर, शोले, हम आपके हैं कौन? हो सकती हैं

Unknown का कहना है कि -

In my opinion:-Pyasa(Gurudatt),Dil ek Mandir:-Rajkumar),Nagin(Pradeep Kumar),Do bigha jameen and Shatranj ke Khiladi also.......

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