Thursday, July 16, 2009

तू न बदली मैं न बदला, दिल्ली सारी देख बदल गयी....जी हाँ बदल रहा है "लव आजकल"



ताजा सुर ताल (10)

तारुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर,
ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा ...

साहिर साहब ने ये शब्द बहुत दुःख के साथ कहे होंगे, अक्सर हमारी फिल्मों में नायक नायिका को जब किसी कारणवश अलग होना पड़ता है तो अमूमन वो बहुत दुःख की घडी होती है, मन की पीडा "वक़्त ने किया क्या हसीं सितम" जैसे किसी दर्द से भरे गीत के माध्यम से परदे पर जाहिर होती रही है, शायद ही कभी हमारे नायक-नायिका ने उस बात पर गौर किया हो जो साहिर ने उपरोक्त शेर की अगली पंक्तियों में कहा है -

वो अफ़साना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन,
उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा...

अब जब रिश्ता ऐसी अवस्था में आ गया है कि साथ चल कर कोई मंजिल नहीं पायी जा सकेगी, और बिछड़ना लाजमी हो जाए तो क्यों न इस बिछड़ने के पलों को भी खुल कर जी लिया जाए. घुटन भरे रिश्ते से मिली आजादी को खुल कर आत्मसात कर लिया जाए...कुछ ऐसा ही तय किया होगा आने वाली फिल्म "लव आजकल" के युवा जोड़ी ने. तभी तो बना ये अनूठा गीत, याद नहीं कभी किसी अन्य फिल्म में कोई इस तरह का गीत आया हो जहाँ नायक नायिका बिछड़ने के इन पलों इस तरह आनंद के साथ जी रहे हों. तो इस मामले में गीतकार के उपर अतिरिक्त भार आ जाता है कि वो इस नयी सिचुअशन के लिए अपनी कलम चलाये और एक मिसाल कायम करे और गीतकार इरशाद कामिल ने इस काम को बाखूबी अंजाम दिया है, "जब वी मेट" की हिट जोड़ी प्रीतम और इरशाद कामिल ने "लव आजकल" में भी अपेक्षाओं पर खरा काम किया है. इस फिल्म का एक मस्ती भरा गीत "ट्विस्ट" आप पहले ही इस शृंखला में सुन चुके हैं, आज का ये गीत भी हमें यकीन है आपको खूब भायेगा खास कर इसके शब्दों का नयापन और संगीत की तेजी आपका दिल चुरा लेगी.

प्रीतम के पसंदीदा गायक नीरज श्रीधर हैं इस गीत में भी गायक और उनका साथ दिया है सुनिधि चौहान ने. गीतकार इरशाद कामिल की खासियत ये है कि उनका हिंदी और उर्दू के साथ साथ पंजाबी डिक्शन भी बेहद मजबूत है जिस कारण उनके पास शब्दों की कभी कमी नहीं पड़ती. लीक से हटकर बनी फिल्म "चमेली" में उन्होंने सन्देश सान्दालिया के साथ मिलकर "भागे रे मन कहीं..." जैसा नर्मो-नाज़ुक गीत लिखा. "अहिस्ता अहिस्ता" में हिमेश रेशमिया के लिए भी उन्होंने बेहद मधुर गीतों को शब्दबद्ध किया पर सही मायनों में आम आदमी तक उनका नाम पहुंचाया फिल्म "जब वी मेट" ने. "ये इश्क हाय..", मौजा ही मौजा", "ना है ये पाना", "आओगे जब तुम साजना..." और "नगाडा" जैसे गीतों ने मजबूर कर दिया संगीत प्रेमियों को वो पहुंचे इन गीतों के गीतकार के नाम तक भी. इरशाद कम लेकिन अच्छा काम करना चाहते हैं, किरदार को भले से समझकर गीत रचना चाहते हैं ताकि ढर्रे से चली आ रही फ़िल्मी सिचुअशनों पर भी नए शब्दों के गीत रचे जा सकें. खुद उन्हीं के शब्दों में -

मैं वो हूँ जिसके खून में खुद्दारी और जिद्द भी है,
मेरे साथ चल मेरी शर्त पर, चल न सके तो न सही...

इरशाद अब गीतकारी के आलावा फिल्म लेखन में भी हाथ आजमा रहे हैं, उनकी लिखी फिल्म "a wednesday" दर्शकों और समीक्षकों द्वारा बेहद सराही गयी थी. इरशाद को शुभकामनाएं देते हुए आज सुनें फिल्म "लव आजकल" से ये जबरदस्त नया गीत. बोल कुछ यूं है -

चोर बाजारी दो नैनों की,
पहले थी आदत जो हट गयी,
प्यार की जो तेरी मेरी,
उम्र आई थी वो कट गयी,
दुनिया की तो फ़िक्र कहाँ थी,
तेरी भी अब चिंता मिट गयी...

तू भी तू है मैं भी मैं हूँ
दुनिया सारी देख उलट गयी,
तू न जाने मैं न जानूं,
कैसे सारी बात पलट गयी,
घटनी ही थी ये भी घटना,
घटते घटते ये भी घट गयी...

चोर बाजारी...

तारीफ तेरी करना, तुझे खोने से डरना ,
हाँ भूल गया अब तुझपे दिन में चार दफा मरना...
प्यार खुमारी उतारी सारी,
बातों की बदली भी छट गयी,
हम से मैं पे आये ऐसे,
मुझको तो मैं ही मैं जच गयी...
एक हुए थे दो से दोनों,
दोनों की अब राहें पट गयी...

अब कोई फ़िक्र नहीं, गम का भी जिक्र नहीं,
हाँ होता हूँ मैं जिस रस्ते पे आये ख़ुशी वहीँ...
आज़ाद हूँ मैं तुझसे, अज़स्द है तू मुझसे,
हाँ जो जी चाहे जैसे चाहे करले आज यहीं...
लाज शर्म की छोटी मोटी,
जो थी डोरी वो भी कट गयी,
चौक चौबारे, गली मौहल्ले,
खोल के मैं सारे घूंघट गयी...
तू न बदली मैं न बदला ,
दिल्ली सारी देख बदल गयी...
एक घूँट में दुनिया सारी,
की भी सारी समझ निकल गयी,
रंग बिरंगा पानी पीके,
सीधी साधी कुडी बिगड़ गयी...
देख के मुझको हँसता गाता,
जल गयी ये दुनिया जल गयी....



आवाज़ की टीम ने दिए इस गीत को 4 की रेटिंग 5 में से. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसा लगा? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीत को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

क्या आप जानते हैं ?
आप नए संगीत को कितना समझते हैं चलिए इसे ज़रा यूं परखते हैं. उपर हमने फिल्म "जब वी मेट" के कुछ गीतों का जिक्र किया है, इसी फिल्म का एक और हिट गीत जिसका नाम जान बूझ कर हमने छोडा है, आप बतायें शहीद कपूर और करीना पर फिल्माया वो गीत कौन सा है जो हमसे छूट गया, और हाँ जवाब के साथ साथ प्रस्तुत गीत को अपनी रेटिंग भी अवश्य दीजियेगा.

पिछले सवाल का सही जवाब दिया सिर्फ मनु जी ने, जिनका मानना है कि नए संगीत में उनका ज्ञान कम है, फिर भी जवाब एकदम सही है मनू जी, बधाई आपको. पर हमें शिकायत है कि आप श्रोता इन नए गीतों पर अपनी रेटिंग नहीं दे रहे हैं. दिशा जी, मंजू जी, विनोद जी और मनु जी आप सब कृपया रेटिंग अवश्य दें.



अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

4 श्रोताओं का कहना है :

Disha का कहना है कि -

सच मजा आ गया गीत सुनकर.
बोल और संगीत दोनो ही बढ़िया

Manju Gupta का कहना है कि -

सुरीले सुंदर सुगीतो के लिए और हम तक पहुचाने के लिए धन्यवाद्.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

मैं इस गीत को 5 में से 3.5 नंबर दूंगा.

manu का कहना है कि -

hamne abhi rating dene ki koshish ki hai...
bataaiye ke kyaa rhaa..?

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ

ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला

महफ़िल-ए-ग़ज़लः नई शृंखला की शुरूआत

भेंट-मुलाक़ात-Interviews

संडे स्पेशल

ताजा कहानी-पॉडकास्ट

ताज़ा पॉडकास्ट कवि सम्मेलन