गीतकास्ट प्रतियोगिता- परिणाम-4: जो तुम आ जाते एक बार
हर वर्ष 14 सितम्बर का दिन हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हिन्दी सेवी संस्थाएँ तरह-तरह के सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजन करती हैं। सरकारी उपक्रम तो हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाड़ा व हिन्दी मास अभियान चलाने जैसी बातें करते हैं। लेकिन हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। बल्कि इससे एक दिन पहले महीयसी महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' का संगीतबद्ध संस्करण जारी कर रहे हैं।
हिन्द-युग्म डॉट कॉम अपने आवाज़ मंच पर गीतकास्ट प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्दी के स्तम्भ कवियों की एक-एक कविताओं को संगीतबद्ध/स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता आयोजित करता है। इसमें हमने शुरूआती शृंखला के तौर पर छायवादी युगीन कवियों की कविताओं को स्वरबद्ध करने की प्रतियोगिता रखी। जिसके अंतर्गत अब तक जयशंकर प्रसाद की कविता ' अरुण यह मधुमय देश हमारा', सुमित्रानंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता 'स्नेह निर्झर बह गया है' को संगीतबद्ध किया जा चुका है। आज हम छायावादी युग की अंतिम कड़ी यानी महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' का परिणाम लेकर हाज़िर हैं।
जब हमें लगा कि कविता को स्वरबद्ध करना मुश्किल है, तब हमें बहुत अधिक प्रविष्टियाँ मिली। जबकि इस बार हमें महसूस हो रहा था कि महादेवी वर्मा की यह कविता बहुत आसानी से संगीतबद्ध हो जायेगी तो मात्र 10 प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया। लेकिन सजीव सारथी, अनुराग शर्मा, यूनुस खान, आदित्य प्रकाश और शैलेश भारतवासी सरीखे निर्णायकों ने कहा कि इस बार संगीत संयोजन, गायकी और उच्चारण के स्तर पर प्रविष्टियाँ पहले से कहीं बेहतर हैं। तब हमें बहुत संतोष भी मिला।
पाँच जजों द्वारा मिले औसत अंकों के आधार में हमने कृष्ण राज कुमार और श्रीनिवास पांडा/कुहू गुप्ता को संयुक्त विजेता घोषित करने का निर्णय लिया है। इस तरह से प्रथम स्थान के लिए निर्धारित रु 2000 और दूसरे स्थान के निर्धारित के लिए निर्धारित रु 1000 को जोड़कर आधी-आधी राशि इन दो विजेताओं (विजेता समूहों) को दी जायेगी।
आपको याद होगा की श्रीनिवास पांडा के संगीत-निर्देशन में बिस्वजीत नंदा द्वारा गायी गई निराला की कविता 'स्नेह निर्झर बह गया है' को भी पहला स्थान प्राप्त हुआ था। इस बार संगीतकार श्रीनिवास ने कुहू गुप्ता के रूप में बहुत ऊर्जावान गायिका हिन्द-युग्म को दिया है।
श्रीनिवास/कुहू
श्रीनिवास |
कुहू |
श्रीनिवास हिन्द-युग्म के लिए बिलकुल नये संगीतकार हैं। 'स्नेह-निर्झर बह गया है' के माध्यम से आवाज़ पर इन्होंने अपनी एंट्री की थी। मूलरूप से तेलगू और उड़िया गीतों में संगीत देने वाले श्रीनिवास पांडा का एक उड़िया एल्बम 'नुआ पीढ़ी' रीलिज हो चुका है। इन दिनों हैदराबाद में हैं और अमेरिकन बैंक में कार्यरत हैं।
पुरस्कार- प्रथम पुरस्कार, रु 1500 का नग़द पुरस्कार
विशेष- अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
गीत सुनें-
64kbps
128kbps
इसी स्थान पर कृष्ण राजकुमार की प्रविष्टि भी शामिल है।
कृष्ण राज कुमार
कृष्ण राज कुमार एक ऐसे गायक-संगीतकार हैं जिनके बारे में जानकर और सुनकर हर किसी को सलाम करने का मन करता है। गीतकास्ट प्रतियोगिता अभी तक 4 बार आयोजित हुई है, इन्होंने चारों दफा इसमें भाग लिया है और निर्णायकों का ध्यान आकृष्ट किया है। जयशंकर प्रसाद की कविता 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' के लिए प्रथम पुरस्कार, सुमित्रा नंदन पंत की कविता 'प्रथम रश्मि' के लिए द्वितीय पुरस्कार और इस बार महादेवी वर्मा के लिए भी प्रथम पुरस्कार। निराला की कविता 'स्नेह निर्झर बह गया है' के लिए भी इनकी प्रविष्टि उल्लेखनीय थी। कृष्ण राज कुमार जो मात्र 22 वर्ष के हैं, और जिन्होंने अभी-अभी अपने B.Tech की पढ़ाई पूरी की है, पिछले 14 सालों से कर्नाटक गायन की दीक्षा ले रहे हैं। इन्होंने हिन्द-युग्म के दूसरे सत्र के संगीतबद्धों गीतों में से एक गीत 'राहतें सारी' को संगीतबद्ध भी किया है। ये कोच्चि (केरल) के रहने वाले हैं। जब ये दसवीं में पढ़ रहे थे तभी से इनमें संगीतबद्ध करने का शौक जगा।
पुरस्कार- प्रथम पुरस्कार, रु 1500 का नग़द पुरस्कार
विशेष- डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
गीत सुनें-
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तीसरे स्थान के विजेता आवाज़ के दैनिक श्रोता हैं। ओल्ड इज़ गोल्ड के गेस्ट-होस्ट रह चुके हैं। आवाज़ से ही कैरिऑके में अपनी आवाज़ डालना सीखे हैं और आज तीसरे स्थान के विजेता हैं। इस प्रविष्टि में संगीत इनका है और संगीत संयोजन इनके मित्र ब्रजेश दाधीच का। आवाज़ भी इन्हीं की है।
शरद तैलंग
शरद तैलंग सुगम संगीत के आकाशवाणी कलाकार, कवि, रंगकर्मी और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के कार्यकारिणी सदस्य हैं। वे भारत विकास परिषद के अंतर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय सम्मेलन के सांस्कृतिक सचिव भी रह चुके हैं।
आप अनेक साहित्यिक व संगीत संस्थाओँ के सदस्य अथवा पदाधिकारी रह चुके है, अनेकों संगीत एवं नाट्य प्रतियोगिताओँ में निर्णायक रह चुके हैं तथा देश के केरल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र प्रदेशों के अनेक शहरों में अपनी संगीत प्रस्तुतियाँ दे चुके हैं। आपकी रचनाएँ देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओँ जैसे धर्मयुग, हंस, मरु गुलशन, मरु चक्र, सौगात, राजस्थान पत्रिका, राष्ट्रदूत, माधुरी, दैनिक भास्कर आदि में प्रकाशित हो चुकी हैं।
ऑल इण्डिया आर्टिस्ट एसोसिएशन शिमला, जिला प्रशासन कोटा आई. एल. क्लब तथा अनेक संस्थानों द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका हैं। आप आवाज़ पर बहुचर्चित स्तम्भ 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के अतिथि-होस्ट रह चुके हैं।
पुरस्कार- तृतीय पुरस्कार, रु 1000 का नग़द पुरस्कार
विशेष- डैलास, अमेरिका के एफएम चैनल रेडियो सलाम नमस्ते के कार्यक्रम में आदित्य प्रकाश से इस गीत पर सीधी बात।
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इनके अतिरिक्त हम रफ़ीक शेख, कमल किशोर सिंह, रमेश धुस्सा, अम्बरीष श्रीवास्तव, शारदा अरोरा, कमलप्रीत सिंह, और अर्चना चाओजी इत्यादि के भी आभारी है, जिन्होंने इसमें भाग लेकर हमारा प्रोत्साहन किया और इस प्रतियोगिता को सफल बनाया। हमारा मानना है कि यदि आप इन महाकवियों की कविताओं को यथाशक्ति गाते हैं, पढ़ते हैं या संगीतबद्ध करते हैं तो आपका यह छोटा प्रयास एक सच्ची श्रद्धाँजलि बन जाता है और एक महाप्रयास के द्वार खोलता है। हम निवेदन करेंगे कि आप इसी ऊर्जा के साथ गीतकास्ट के अन्य अंक में भी भाग लेते रहें।
इस कड़ी के प्रायोजक है डैलास, अमेरिका के अशोक कुमार हैं जो पिछले 30 सालों से अमेरिका में हैं, आई आई टी, दिल्ली के प्रोडक्ट हैं। डैलास, अमेरिका में भौतिकी के प्रोफेसर हैं, अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति के आजीवन सदस्य हैं। और हिन्दी-सेवा के लिए डैलास में एक सक्रिय नाम हैं। यदि आप भी इस आयोजन को स्पॉनसर करता चाहते हैं तो hindyugm@gmail.com पर सम्पर्क करें।
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25 श्रोताओं का कहना है :
lलाजवाब प्rasतुति है कुहू जी और कृ्ष्ण कुमार जी की आवाज़ मे जादू है । बहुत दिन से महादेवी वर्मा जी को पढ नहीम पाई थी आपने ये रचनायें पढवा कर सब को एक नायाब तोहफा दिया है जिसके लिये हिन्द युग्म की पूरी टीम बधाई की पात्र है आभार्
शरद तैलंग जी के परिचय से अभिभूत हूँ बहुत बहुत बधाई सभी विजेताओं और प्रतिभागियों को भी बधाई बहुत सुन्दर गीत हैं आभार्
हर आवाज़ जादुई है.......
जब मैंने ये गीत देखा था तो उसी दिन इस गीत की धुन भी बना ली थी..पर मेरे exam शुरू हो जाने के कारण मैं प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकी! इसका अफ़सोस आज मुझे गीत सुनने पर हुआ!!!!! इस गीत में करुना थी जो की ....जिसकी कमी मुझे गीत में महसूस हो रही है.....बाकी आबाज़ सबकी बहुत अच्छी लगी!!!!!!!!!
Srinivas phir se bahut achha composition diye hai. Bahut khushi hui aise composition sunke. Bahut bahut badhaai. Kuhu ji ki awaaz mujhe koyal ki awaaz lagi. Hind Yugm mein aap ka swagat hai. Aap donoko aage bhi safalata milte rahe yahi dua kar raha hoon.
बहुत ही अच्छी संगीत-बद्ध कविता. दो-दो बार सुन चुकी हूँ आज सुबह से. श्रीनिवास जी, कुहू जी और शरद जी सभी ने बहुत लगन से गाया है ...सभी की आवाज़ में अच्छी लगी और मिठास है: 'जो तुम आ जाते एक बार'.....लेकिन शरद जी की आवाज़ में कुछ ऐसी कशिश थी ऐसा खिंचाव था की उनका गायन मन को छूता रहा. बहुत सुंदर, बहुत अच्छी आवाज़. लेकिन सभी ने प्रयास किया है इसी लिए मैं तीनों को बधाई देती हूँ.
कृष्णराज ,श्रीनिवास /कुहू और शरद जी के कोकिल कंठों से सुरीला गीत सुना . सब प्रतिभावानों को , हिन्दयुग्म को हार्दिक बधाई .
सुबह मैं शरद जी की आवाज़ सुनने से वंचित थी ..पर अभी उनकी आवाज़ सुनने पर वाकई लग रहा था की वह गाते रहते...मैंने अभी-२ उनको २ बार सुना है,,अभी शायद और सुनु ,,उनकी आवाज़ में वो कशिश,वो दर्द जो गीत में होना चाहिए मुझे लगा,,,,
सुबह मैं शरद जी की आवाज़ सुनने से वंचित थी ..पर अभी उनकी आवाज़ सुनने पर वाकई लग रहा था की वह गाते रहते...मैंने अभी-२ उनको २ बार सुना है,,अभी शायद और सुनु ,,उनकी आवाज़ में वो कशिश,वो दर्द जो गीत में होना चाहिए मुझे लगा,,,,
बहुत ही बढिया !!! आपका धन्यवाद ।विजेताओं को बधाई!!! क्या मेरी आवाज मे भेजी कविता मै अपने ब्लोग पर पोस्ट कर सकती हूँ?
माफ़ किजियेगा बताना भूल गई थी मेरा सरनेम "चावजी" है ।
इतनी सुन्दर प्रस्तुति है इसबार की हम कुछ बोल ही नहीं पा रहे हैं..
कुहू जी की आवाज़ जादुई हैं, श्रीनिवास और कृष्ण राज सभी लाजवाब हैं संगीत कमाल का है
हम तो बस सुनते ही रह गए..
शरद जी ने भी गज़ब ढाया हैं ..
सभी प्रतिभागियों को ह्रदय से बधाई..
इतनी सुन्दर प्रस्तुति है इसबार की हम कुछ बोल ही नहीं पा रहे हैं..
कुहू जी की आवाज़ जादुई हैं, श्रीनिवास और कृष्ण राज सभी लाजवाब हैं संगीत कमाल का है
हम तो बस सुनते ही रह गए..
शरद जी ने भी गज़ब ढाया हैं ..
सभी प्रतिभागियों को ह्रदय से बधाई..
कृष्णराज ,श्रीनिवास, कुहू और शरद जी सभी को बहुत बहुत मुबारकबाद. सबके बारे में जानकार बहतु अच्छा लगा. शरद जी को मैंने पहली बार हिन्दयुग्म के कवी सम्मलेन में सुना था, बहुत ही सुरीली आवाज़ है. सभी को एक बार फिर से बधाई.
sri niwas ka sangeet aur kuhu ji ki awaaz bahut acchi lagi.
is baar maine swapn majusha ji ko Miss kiya. unki awaaz ke intezaar mein main hamesha rehti hun. :)
sabhi ki kavityaaein bahut achi lagi..
sabhi ko badhai. :)
सुबह मैंने अपना कमेन्ट भेजा था सबके स्वरों में सुनकर ' जो तुम आ जाते एक बार '. लेकिन मैं.....कृष्णराज जी का नाम लिखना भूल गयी थी.....उसके लिए माफ़ी चाहती हूँ. अभी फिर देखा तो गलती महसूस हुई. मुझे क्षमा करियेगा. शरद जी, कृष्णराज जी, कुहू जी और श्री निवास जी आप सभी को आपके सुंदर प्रयासों पर बहुत-बहुत बधाई!
मैंने भी शरद जी की आवाज़ पिछली बार के कवि-सम्मलेन में ही पहली बार सुनी थी. निसंदेह बहुत ही अच्छी आवाज़ है आपकी शरद जी.
महादेवीजी की इस कविता को कुहू,कृष्ण राजकुमार और शरद तैलंग जी की आवाज में सुनना बहुत सुखद एहसास दे गया ...सभी विजेताओं को बहुत बधाई ..!!
ye geet teeno aawaajo me itna sundar ban pada hai,main bayan nahi kar sakta.
kuhu ji ki aawaaz bar-bar sunne ko vivash kar rahi hai.. pichhle 2 ghanto me kam se kam 25-30 baar to sun hi chuka hounga
aap sabko bahut bahut sukriya itne sare achhhe complements keliye!!
hope to give more good songs with all ur blessings :)
आज पहली बार शायद आना हुआ इधर
अति मनभावन संगीत सुनकर आनंद आ गया....
सभी आवाजें सधी हुयी व कर्णप्रिय लगी
हिन्दयुग्म को भी बधाई इस prasahshney कार्य की लिए !!
सभी को बधाई व बहुत धन्यवाद !!!
आप सब के होंसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया ! :)
Uchch star ka blog.
आवाज की एक भी फाइल नहीं खुली , क्या एरर है ? देखिये |
कुहू जी की आवाज और श्रीनिवास जी का संगीत बहुत मन भाया | आवाजें तो सभी अच्छी लगीं | एक बात समझ में आई कि जिन के पास संगीत की सुविधा नहीं है , उनका इस प्रतियोगिता में भाग लेना बेकार ही है | दूसरा , कविता या गीत में हर शब्द को स्पष्ट बोला जाना चाहिए , ये जरुरी है , मैं जानती हूँ , जज की कुर्सी पर बैठना आसान नहीं है , मगर सब कुछ ध्यान में रखना भी जरुरी है |
sangeetmaya kavta path.anandvibhor kar diya.dhanyvad.
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