Tuesday, November 9, 2010

"दस तोला" सोना लेकर आये गुलज़ार, सन्देश के साथ तो प्रीतम ने धमाल किया "गोलमाल" के साथ



ताज़ा सुर ताल ४३/२०१०


सुजॊय - 'ताज़ा सुर ताल' के सभी चाहनेवालों को हमारा नमस्कार! सजीव जी, विश्व दीपक जी तो दीपावली की छुट्टियों में घर गए हुए हैं, और आशा है उन्होंने यह त्योहार बहुत अच्छी तरह से मनाया होगा।

सजीव - सभी को मेरा भी नमस्कार, दीवाली अच्छी रही। और बॊलीवूड की यह रवायत रही है कि दीवाली में कोई ना कोई बड़ी बजट की फ़िल्म रिलीज़ होती आई है। इस परम्परा को बरकरार रखते हुए इस बार दीवाली की शान बनी है दो फ़िल्में - 'ऐक्शन रिप्ले' और 'गोलमाल-३'।

सुजॊय - 'ऐक्शन रिप्ले' के गानें हमने पिछले हफ़्ते सुने थे, आज बारी 'गोलमाल-३' की। और साथ ही हम 'दस तोला' फ़िल्म के गीत भी सुनेंगे। शुरु करते हैं 'गोलमाल-३-' से। रोहित शेट्टी निर्देशित इस मल्टि-स्टारर फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं मिथुन चक्रवर्ती, अजय देवगन, करीना कपूर, अरशद वारसी, तुषार कपूर, श्रेयास तलपडे, कुणाल खेमू, रत्ना पाठक, जॊनी लीवर, संजय मिश्रा, व्रजेश हिरजी, अशिनी कल्सेकर, मुरली शर्मा और मुकेश तिवारी। फ़िल्म में गीत संगीत का ज़िम्मा उठाया है कुमार और प्रीतम ने। इस ऐल्बम के पहले गीत की शुरुआत उसी जाने पहचाने "गोलमाल गोलमाल" लाइन से होती है। लीजिए पहले गीत सुनिए, फिर बात आगे बढ़ाते हैं।

गीत - गोलमाल गोलमाल


सजीव - के.के., अनूष्का मनचन्दा और मोनाली ठाकुर की आवाज़ों में इस हाइ-एनर्जी गीत में यकीनन वही "गोलमाल" का ठप्पा है। विशाल-शेखर के जगह पर अब प्रीतम आ गए हैं। 'गोलमाल' की कहानी और चरित्रों को ध्यान में रखते हुए थिरकन भरे इस गीत में गायकों द्वारा जिस तरह की अदायगी की ज़रूरत थी, वो सब कुछ मौजूद है। यह ऐसा गीत है जो लोगों की ज़ुबान पर तो नहीं चढ़ सकते, क्योंकि यह पूरी तरह से सिचुएशनल गीत है जिसका महत्व केवल फ़िल्म के पर्दे पर ही रहेगा।

सुजॊय - ऒरिजिनल 'गोलमाल' के शीर्षक गीत "गोलमाल गोलमाल एवरीथिंग् गॊन्ना बी गोलमाल" में जो बात थी, वह बात इस गीत में नज़र नहीं आई। और शायद यही बत फ़िल्म के निर्माता निर्देशक ने भी महसूस की होगी, तभी तो उस गीत का टैग लाइन इस गीत में डाल दिया गया। ख़ैर, आइए दूसरा गीत सुनते हैं, जिसे गाया है शान और अनूष्खा मनचन्दा ने। "अपना हर दिन ऐसे जीयो जैसे कि आख़िरी हो" एक आशावादी और जीवन से भरपूर गीत है जिसे सुनकर एक पॊज़िटिव फ़ील होने लगेगी। आइए सुन लेते हैं....

गीत - अपना हर दिन


सजीव - "ये ज़िंदगी रफ़्तार से चल पड़ी, जाते हुए राहों में हमसे अभी कहके गई, हमारा ये वक़्त हमारा, जो एक बार गया तो आये ना दुबारा, समझ लो ज़रा ये हवाओं का इशारा....", इस भाव पर पहले भी कई गीत बन चुके हैं, जैसे कि "कल क्या होगा किसको पता, अभी ज़िंदगी का ले लो मज़ा"। इस गीत का भी मूड बिल्कुल ऐसा ही है और कम्पोज़िशन में भी कुछ कुछ उस ७० के दशक का फ़ील है। कुमार के फ़िलोसोफ़िक शब्दों को प्रीतम ने अच्छी धुन दी है।

सुजॊय - अगर इस गीत के रीदम और संगीत संयोजन को आप ध्यान से सुनें तो इसमें आपको कुछ कुछ 'भागमभाग' फ़िल्म के "सिगनल" गीत की झलक मिलेगी। और 'दे दना दन' के "बामुलाइज़ा" से भी कुछ कुछ मिलता जुलता है। कुल मिलाकर यह ख़ुशनुमा, ज़िंदगी से लचरेज़ गीत।

सजीव - तीसरा गीत है नीरज श्रीधर और अंतरा मोइत्रा की आवाज़ों में, "आले, अब जो भी हो, हो जाने दो"। एक क्लब मूड भड़का देने वाला यह गीत है, सुनते हैं....

गीत - आले


सुजॊय - प्रीतम के संगीत की खासियत ही यह है कि जिस तरह की कहानी और फ़िल्म का पार्श्व हो, उसके साथ पूरा पूरा न्यय करते हुए गाने कम्पोज़ करते हैं। हर तरह के गानें बड़ी सहजता से बना लेते हैं। 'गोलमाल-३' एक मस्ती, मज़ाक और हास्य रस की फ़िल्म है, इसलिए इस फ़िल्म के गीतों से बहुत ज़्यादा क्लास की उम्मीद रखना उचित नहीं है। जिस तरह की फ़िल्म है, उसी तरह का संगीत है, और इसे हल्के फुल्के अंदाज़ में ही हमें गले लगानी चाहिए।

सजीव - यह जो "आले" शब्द है, वह 'यूरोपॊप' जौनर का है, जिसे यूरोपीयन क्लब पॊप म्युज़िक में ख़ूब सुनाई देता है।

सुजॊय - और यूरोपीयन फ़ूटबॊल कार्निवल में भी उतना ही सुनाई पड़ता है। यूरोपीयन पॊप संगीत में रुचि रखने वाले लोगों को यह गीत ख़ास पसंद आयेगा, जिन्हें "ऐकुआ" और "पेट शॊप बॊय्ज़" ग्रूप्स के गीत पसंद हैं।

सजीव - और फिर इस गीत में 'तुम मिले' फ़िल्म के शीर्षक गीत के धुन की भी छाया मिलती है, "तुम मिले तो मिल गया ये जहाँ...."

सुजॊय - बिल्कुल! चलिए आगे बढ़ा जाए और सुनें फ़िल्म का चौथा गीत "देसी कली", सुनिधि चौहान और नीरज श्रीधर की आवाज़ों में।

गीत - देसी कली


सजीव - प्रियंका चोपड़ा के "देसी गर्ल" के बाद अब करीना कपूर बनी है "देसी कली"। "देसी गर्ल" की तरह "देसी कली" में भी वह बात है जो इसे दूर तक ले जाएगी। इस ऐल्बम में अब तक जितने भी गानें हमने सुनें हैं, शायद यही सब से उपर है। बाकी तीन गीतों की तरह यह भी सिचुएशनल सॊंग् है, लेकिन अलग सुनते हुए भी अच्छा लगता है। वैसे ये गीत फिल्म से नदारद है.

सुजॊय - इस ऐल्बम में बप्पी लाहिड़ी की 'डिस्को डान्सर' फ़िल्म के दो गीतों का रिवाइव्ड वर्ज़न भी मौजूद हैं। क्योंकि इस फ़िल्म में मिथुन चक्रवर्ती ने एक मुख्य भूमिका निभाई है, इसलिए यह बहुत ज़्यादा ताज्जुब की बात नही कि इस ऐल्बम में 'ये दो गीत शामिल किए गए हैं। एक तो है बप्पी दा की ही आवाज़ में "आइ ऐम ए डिस्को डान्सर", और दूसरा गीत है "याद आ रहा है तेरा प्यार", जिसे इस ऐल्बम के लिए सूदेश भोसले ने गाया है। इन गीतों के ऒरिजिनल वर्ज़नों को सुनने के बाद अब ऐसे वर्ज़नों की ज़रूरत नहीं पड़ती, इसलिए इन गीतों को हम यहाँ शामिल नहीं कर रहे हैं। सजीव जी, 'गोलमाल-३' फ़िल्म तो मैंने नहीं देखी, लेकिन क्योंकि आपने यह फ़िल्म दीवाली पर देखी है, तो आप ही बताइए कि आपके क्या विचार हैं फ़िल्म के बारे में भी, और इस साउण्डट्रैक के बारे में भी?

सजीव - हाँ सुजॉय मैंने ये फिल्म सपरिवार देखी. फिल्म के लिए पहले से ही मूड सेट था कि सिर्फ हँसना हँसाना और कुछ नहीं. अगर आप भी फिल्म की तकनिकी बारीकियों को दरकिनार रख सिर्फ मस्ती के उद्देश्य से इसे देखेंगें तो भरपूर आनंद उठा पायेंगें. यूँ भी इस फिल्म के पहले दो संस्करण काफी अच्छे रहे हैं, और ये तीसरा अंक भी कुछ कम नहीं है. फिल्म पैसा वसूल है टाईम पास है.

सुजॊय - चलिए अब बढ़ते हैं आज की दूसरी फ़िल्म 'दस तोला' की तरफ़। गीतकार गुलज़ार और संगीतकार संदेश शांडिल्य का अनोखा कम्बिनेशन में इस फ़िल्म के गानें भी भीड़ से थोड़े अलग सुनाई देते हैं। २२ अक्टुबर को यह फ़िल्म रिलीज़ हो चुकी है 'आर्यन ब्रदर्स एण्टरटेण्मेण्ट' के बैनर तले। अजय निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं मनोज बाजपयी, आरति छाबड़िया, दिलीप प्रभावलकर, सिद्धार्थ मक्कर, गोविंद नामदेव, असरानी, निनाद कामत, भरती आचरेकर आदि। तो चलिए फ़िल्म का पहला गाना सुना जाए मोहित चौहान की आवाज़ में।

गीत - ऐसा होता था


सजीव - इस गीत की ख़ास बात मुझे यह लगी कि मोहित चौहान और संदेश शांडिल्य, दोनों ही थोड़े से ठहराव भरे गीतों के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में यह गीत तेज़ रफ़्तार वाला है। वैसे रिदम कैची है और सुनने में अच्छा लग रहा है। लोक धुनों की थापें और साथ में परक्युशन, अच्छा समन्वय, और जहाँ पर गुलज़ार साहब की कलम चलती हैं, वहाँ कुछ और कहने की गुंजाइश ख़त्म हो जाती है। चलिए अब दूसरे गीत की तरफ़ बढ़ा जाए।

सुजॊय - दूसरा गाना है सुखविंदर सिंह की आवाज़ में। इस गीत के बोलों में गुलज़ार साहब का ख़ास पसंदीदा अंदाज़ सुनाई देता है। मेरा इशारा चिनार के पत्तों की तरफ़ है। गुलज़ार साहब इस गीत में लिखते हैं, "लाल लाल लाल हुआ पत्ता चिनार का, माटी कुम्हार की, सोना सुन्हार का, गिन गिन गिन दिन इंतज़ार का..."। धुन और रिदम कुछ कुछ सुना सुना सा ज़रूर लग रहा है, लेकिन एक बार फिर वही बात, कि जहाँ गुलज़ार साहब की लेखनी हो, वहाँ हर कमी पूरी हो जाती है। सुनते हैं यह गीत...

गीत - लाल लाल लाल हुआ पत्ता चिनार का


सजीव - सही में, इस गीत में 'माचिस' के संगीत की ख़ुशबू जैसे कहीं आ कर चली गई। "चप्पा चप्पा चरखा चले" की भी याद आ ही गई। अगले गीत में आवाज़ है सोनू निगम की। इस बार यह एक स्लो नंबर है, "तुम बोलो ना बोलो", एक नर्मो-नाज़ुक गीत और ऐसे गीतों के साथ सोनू की कशिश भरी आवाज़ बहुत न्याय करती है।

सुजॊय - सोनू के साथ कोरस का इस्तेमाल भी ख़ूबसूरती के साथ किया गया है। गुलज़ार साहब के बोलों को थोड़ा लिखने का मन कर रहा है यहाँ, "मेरी आदत में नहीं है कोई रिश्ता तोड़ देना, मेरे शायर ने कहा था मोड़ देकर छोड़ देना, अजनबी फिर अजनबी है, गहने बहुत पहनोगी, याद का ज़ेवर नया है, दर्द जो घुलते नहीं है, रंग वो धुलते नहीं है, सारे गिले बाक़ी रहे, मगर याद है, तुम बोलो ना बोलो..."। इसमें देखिए "मोड़ देकर छोड़ देने" की जो बात गुलज़ार साहब ने शायर के माध्यम से कहा है, आपको याद होगा कि महेन्दर कपूर के गाये साहिर साहब के लिखे "चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों" गीत में उन्होंने लिखा था "वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन, उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा"। तो आइए सुनते है सोनू निगम की आवाज़ में यह गीत...

गीत - तुम बोलो ना बोलो


सजीव - और अब फ़िल्म का अंतिम गीत। इस गीत के दो वर्ज़न हैं, एक सुखविंदर सिंह की आवाज़ में और दूसरा सुनिधि चौहान का गाया हुआ। और क्योंकि हमने सुखविंदर सिंह की आवाज़ अभी अभी सुनी है, तो क्यों ना सुनिधि की आवाज़ इस गीत में सुन ली जाए! गीत है "जी ना जल‍इयो"। सुनिधि की अपनी ख़ास गायकी इसमें झलकती है। लोक और शास्त्रीय संगीत के पुट लेकर यह गीत शुरु होती है, लेकिन रिदम पाश्चात्य है। इस तरह से एक फ़्युज़न वाला गाना है यह।

सुजॊय - सजीव जी, मैंने इस गीत का प्रोमो 'चित्रलोक' कार्यक्रम में कई दिनों तक सुना है, पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लगता है कि अगर इसमें फ़्युज़न के बजाय शास्त्रीय और लोक संगीत के शुद्ध रूप को रखा जाता तो गाना ज़्यादा दिल को छूता। पाश्चात्य रिदम की वजह से जैसे गीत में फ़ील कम हो गया है। वैसे यह मेरा व्यक्तिगत राय ही है। चलिए हमारे सुनने वालों को भी इसे सुनने का मौका देते हैं और देखते हैं कि उनके क्या विचार हैं।

गीत - जी ना जल‍इयो रे


सुजॊय - 'दस तोला' कम बजट की फ़िल्म हो सकती है, लेकिन इसका संगीत उदासीन नहीं है। मेरा पसंदीदा गीत "लाल लाल लाल हुआ पत्ता चिनार का" है। और अब सजीव जी, आप अपनी राय बताएँ और आज की प्रस्तुति को सम्पन्न करें।

सजीव - बिलकुल सुजॉय, वैसे तो फिल्म के चारों गीत खासकर लाल लाल लाल हुआ और तुम बोलो न बोलो मुझे बहुत अच्छे लगे, पर उनके अच्छे लगने की वजह गुलज़ार साहब का खास अंदाज़ ही है. दरअसल उनके शब्दों को सुरों से पिरोना बेहद कठिन काम है. आर डी और अब विशाल इसे भली भांति समझते हैं. सन्देश ने बहुत अच्छी कोशिश की है, मगर गीतों में लोकप्रियता का पुट धुनों में जरा कम झलकता है. फिर भी औसत से ऊपर तो हैं ही फिल्म के गीत.

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निर्मला कपिला का कहना है कि -

शानदार प्रस्तुति। धन्यवाद।

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