२ अप्रैल, २०११. घड़ी में रात के ११:३० बजे हैं। इलाका है दिल्ली का पहाड़गंज। सड़क पर जैसे जनसमुद्र डोल रही है। यहाँ के होटलों में ठहरे सैलानी समूह बना बाहर निकल पड़े हैं। विदेशी पर्यटक अपने अपने हैण्डीकैम पर इस दृश्य को कैद कर रहे हैं जो शायद वो अपने मुल्क में वापस जाकर सब को दिखाएँगे, और जो दृष्य शायद लाखों, करोड़ों रुपय खर्च करके भी प्राप्त नहीं किया जा सकता। और यह दृश्य है शोर मचाती, धूम मचाती युवाओं की टोलियों का, जो मोटर-बाइक्स पर तेज़ रफ़्तार से निकल रहीं है। साथ ही पैदल जुलूसें भी एक के बाद एक आती चली जा रही हैं। किसी के हाथ में तिरंगा लहरा रहा है तो कोई ढाक-ढोल पीट रहा है। और नृत्य करते युवक और बच्चों के जोश के तो क्या कहनें! पटाखों की आवाज़ों से कान बंद हो रहे हैं तो आसमान पर आतिशबाज़ियों की होड़ लगी है। यह जश्न है भारत के विश्वकप क्रिकेट जीत का। जब पिछले हफ़्ते मुझे दफ़्तर के काम से दिल्ली भेजा जा रहा था, तो मैं नाख़ुश था कि पता नहीं वर्ल्डकप फ़ाइनल मैच देख भी पाऊँगा कि नहीं। लेकिन अब मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ कि उनकी वजह से भारत की राजधानी में ऐसे ऐतिहासिक क्षण का मैं भागीदार बन सका।
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार, मैं सुजॊय चटर्जी, आज बेवक़्त ही हाज़िर हो गया हूँ इस विशेष प्रस्तुति के साथ। सब से पहले तो एक बार फिर से 'आवाज़' परिवार की तरफ़ से और मेरी तरफ़ से भारतीय क्रिकेट टीम को असंख्य बधाइयाँ। पूरे २८ वर्ष के बाद यह विश्वकप हम घर लाये हैं। भारतीय क्रिकेट के इतिहास का एक सुनहरा पन्ना लिखा गया है। ऐसे में जश्न का माहौल तो अगले कई दिनों तक जारी रहना चाहिए, है न? तो हमनें भी सोचा कि क्यों न 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का एक ख़ास अंक प्रस्तुत किया जाये! वैसे तो जब यह विश्वकप शुरु हुआ था, तब हमनें 'खेल खेल में' शीर्षक से शृंखला चलाई थी और प्रतिभागी दलों को शुभकामनाएँ दी थीं, और साथ ही अंतिम कड़ी में यह कहा था कि 'May the best team win'। और आज यह कहते हुए गर्व से हमारा सीना कई गुणा चौड़ा हो जाता है कि भारत ही वह बेस्ट टीम साबित हुई। दोस्तों, क्योंकि यह 'ओल्ड इज़ गोल्ड' है, इसलिए ज़ाहिर है कि हमें कुछ पुराने समय में वापस जाना होगा। हम २८ साल पीछे की तरफ़ जाते हैं जिस वर्ष भारत नें पहली बार यह ख़िताब जीता था। आज की तरह उस ज़मानें में क्रिकेट खिलाड़ियों को वह आर्थिक पुरस्कार नहीं मिला करते थे जो आज मिलते हैं। कहा जाता है कि उस वक़्त BCCI के पास इतना पैसा नहीं था कि भारतीय खिलाड़ियों को सम्मानजनक राशी से सम्मानित करें। इसलिए BCCI शरणागत हुई स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर की, और उनसे अनुरोध किया एक कॊन्सर्ट का। और क्योंकि लता जी ख़ुद एक कट्टर क्रिकेट फ़ॉलोवर रही हैं , वे राज़ी हो गईं और अगस्त १९८३ में आयोजित हुआ यह अनोखा कॉन्सर्ट। आइए आज २८ वर्ष के बाद जब विश्वकप एक बार फिर से हमारी झोली में आया है, हम उसी ऐतिहासिक संध्या में वापस लौट जाते हैं जब लता जी नें भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के साथ मिलकर ख़ास इस दिन के लिए लिखा हुआ गीत "भारत विश्व विजेता" गीत गाया था।
इस अनोखे गीत को सुनवानें से पहले आइए पढ़ें कि इस गीत की भूमिका किन शब्दों में दी गई थी - "Ladies & Gentlemen, you are about to witness a historic event, कुछ ऐसा जो न कभी क्रिकेट के इतिहास में हुआ है, न ही कभी भारतीय फ़िल्म संगीत के इतिहास में, क्योंकि आज की संध्या के लिए विशेष रूप से एक गीत लिखा गया, इंदीवर साहब नें लिखा, जो लता जी तो गाएँगी ही, एक विश्व विजेता के साथ हमारी क्रिकेट विश्व विजेता टीम यह गीत गाएगी। दोस्तों, जितनी नेट प्रैक्टिस इन्होंने वर्ल्ड कप के लिए नहीं की थी, उतनी प्रैक्टिस इस गीत के लिए की गई है। नतीजा मिनट भर में आपके सामने होगा। यह तय आपको करना है कि गाने वाले अधिक अच्छा गाते हैं या खेलने वाले।" और दोस्तों, इस गीत का संगीत तैयार किया था हृदयनाथ मंगेशकर नें, और इस गीत का शीर्षक दिया गया 'Lata Mangeshkar - The Performance of the Century'| गीत में लता जी की मुख्य अवाज़ तो है ही और उनके साथ हैं सुरेश वाडकर, नितिन मुकेश और खिलाड़ियों में शामिल हैं सुनील गावस्कर, कपिल देव, मोहिंदर अमरनाथ, मदन लाल, सैयद किरमानी, के. श्रीकांत, यशपाल शर्मा, रॉजर बिन्नी आदि। तो आइए इस गीत का आनंद लें, और एक बार फिर सलाम करें भारतीय क्रिकेट टीम को।
गीत - भारत विश्व विजेयता
१९८३ के विश्वकप विजय से अब हम वापस आते हैं २०११ के विश्वकप विजय पर। और इस बार लता जी सक्रीय हैं ट्विटर पर, और ये रहे उनके संदेश जिन्हें उन्होंने पोस्ट किया इस जीत के तुरंत बाद। पहला संदेश था यह -"Namaskar! A family friend just sent me an SMS which I thought I just had to share with you. "अनहोनी को होनी कर दे होनी को अनहोनी, एक जगह जब जमा हो तीनों, रजनी, ग़जनी और धोनी।" दूसरा संदेश भारतीय क्रिकेट टीम के नाम था - "नमस्कार! हमारी विश्व-विजयी टीम को तह-ए-दिल से बहुत और असीम शुभकामनाएँ और बधाई! आज २८ साल के बाद वर्ल्ड कप हमारे घर आया है! और विशेषत: गम्भीर, सचिन, धोनी और युवराज को बधाई जिन्होंने अपने ख़ास हुनर से इस मैच का रुख़ बदला। और सचिन... आपके लिए क्या कहूँ... आपकी क्या तारीफ़ करूँ... आप ख़ुद ही तारीफ़ हो!"
तो यह थी आज की 'ओल्ड इज़ गोल्ड' विशेष प्रस्तुति। आशा है आपको पसंद आई होगी। शाम ६:३० बजे 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की नियमित कड़ी के साथ पुन: उपस्थित होंगे, तब तक के लिए इजाज़त दीजिए, नमस्कार!
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2 श्रोताओं का कहना है :
वाह सुजॉय जी,
कमाल कर दिया आपने.
१९८३ के इस ऐतिहासिक गीत को सुनवा कर फिर से वोह यादें ताज़ा कर दीं.
क्या उस समय की कोई रिकॉर्डिंग यू-ट्यूब पर उपलब्ध है? देखिएगा अगर हो तो.
आज की हमारी टीम किसी से कम नहीं है. उसने २८ साल बाद फिर इतिहास की रचना की है.
आशा ही नहीं विश्वास है कि अगली बार हमें २८ वर्ष का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा.(और हमारे जैसे वरिष्ठ नागरिकों के तो इतना लंबी अवधि तक रुकना तो शायद संभव भी न हो.)
चलिए एक बार फिर से हम लोग जश्न और आनंद की दुनिया में खो जाएँ.
बहुत बहुत बधाई सबको और आभार हमारी विजेता टीम को.
अवध लाल
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