Saturday, July 30, 2011

रफ़ी साहब की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजली एक चित्र-प्रदर्शनी के ज़रिये, चित्रकार हैं श्रीमती मधुछंदा चटर्जी



ओल्ड इज़ गोल्ड - शनिवार विशेष - 52

ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार, और स्वागत है आप सभी का इस 'शनिवार विशेषांक' में। दोस्तों, 'ओल्ड इज़ गोल्ड' ७०० अंक पूरे कर चुका है, और अब देखते ही देखते 'शनिवार विशेषांक' भी आज अपना एक साल पूरा कर रहा है। पिछले साल ३१ जुलाई की शाम हमनें इस साप्ताहिक स्तंभ की शुरुआत की थी 'ईमेल के बहाने यादों के ख़ज़ाने' के रूप में, और उस पहले अंक में हमनें गुड्डो दादी का ईमेल शामिल किया था जो समर्पित था गायिका सुरिंदर कौर को। आज ३० जुलाई 'ओल्ड इज़ गोल्ड शनिवार विशेषांक' की ५२ वी कड़ी में हम नमन कर रहे हैं गायकी के बादशाह मोहम्मद रफ़ी साहब को, जिनकी कल ३१ जुलाई को पुण्यतिथि है। लेकिन उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करने का ज़रिया जो हमने चुना है, वह ज़रा अलग हट के है। हम न उन पर कोई आलेख प्रस्तुत करने जा रहे हैं और न ही उन पर केन्द्रित कोई साक्षात्कार लेकर आये हैं। बल्कि हम प्रस्तुत कर रहे हैं एक चित्र-प्रदर्शनी। यह रफ़ी साहब के चित्रों की प्रदर्शनी ज़रूर है, लेकिन यह प्रदर्शनी खींची हुई तस्वीरों की नहीं है, बल्कि उनके किसी चाहने वाले की चित्रकारी है। रफ़ी साहब के चाहनेवालों की तादाद कम होना तो दूर, दिन ब दिन बढ़ती चली जा रही है। आज हम आपसे मिलवा रहे हैं कोलकाता निवासी श्रीमती मधुछंदा चटर्जी से, जो रफ़ी साहब की गायकी की दीवानी तो हैं ही, वो एक बहुत अच्छी चित्रकार भी हैं, जिन्होंने रफ़ी साहब की बिल्कुल जीवंत स्केचेस बना कर सब को चकित कर दिया है। उनका साक्षात्कार तो हम मधुछंदा जी की व्यक्तिगत कारणों की वजह से नहीं ले सके, पर उन्होंने इस अंक के लिए हमें एक संदेश लिख भेजा है, जिसे हम नीचे पेश कर रहे हैं; पर उससे पहले आइए उनके बनाये रफ़ी साहब के स्केचेस की यह प्रदर्शनी देख लें।

निम्न लिंक पर क्लिक कीजिये और एक अलग विंडो में इन चित्रों को देखिये
चित्र प्रदर्शनी

कहिये यह चित्र-प्रदर्शनी कैसी लगी दोस्तों? अब रफ़ी साहब के लिए मधुछंदा जी के शब्दों की कलाकारी भी आज़मा लीजिये...

बड़े रूप में देखने के लिए चित्र पर क्लिक कीजिये


मधुछंदा जी ने ख़ास 'हिंद-युग्म आवाज़' के पाठकों के लिए जो संदेश लिख भेजा है, आइए अब उसी संदेश को पढ़ा जाये...

"रफ़ी साहब के लिए यही कह सकती हूँ कि वो सब से महान गायक थे, एक बहुत ही सीधे-सच्चे इंसान, बहुत ही नरम दिल, कम बात करने वाले शांत प्रकृति के इंसान। मुझे गर्व है कि मैं उनका फ़ैन हूँ और हमेशा रहूँगी। और उनकी गायकी? हर किसी को पता है कि फ़िल्म-संगीत के तमाम लेजेन्ड्स उन्हें सब से महान गायक मानते हैं। जहाँ तक मेरी चित्रकारी की बात है, मैंने कहीं से सीखा नहीं। यह तो बस मेरा शौक़ है और जब भी कभी समय मिल पाता है, मैं चित्रकारी करती हूँ।"

तो दोस्तों, यह थे मधुछंदा जी का संदेश, और आइए अब आज का यह अंक समाप्त करने से पहले रफ़ी साहब को श्रद्धांजली स्वरूप सुनते हैं मोहम्मद अज़ीज़ का गाया हुआ फ़िल्म 'क्रोध' का गीत "न फ़नकार तुझसा तेरे बाद आया, मुहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आया"। 'हिंद-युग्म आवाज़' परिवार की तरफ़ से रफ़ी साहब की पुण्यतिथि की पूर्वसंध्या पर उन्हें श्रद्धा सुमन।

गीत - मुहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आया (क्रोध)


और अब एक विशेष सूचना:

२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।

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