Wednesday, September 7, 2011

भीगा भीगा प्यार का समां....भीगे भीगे मौसम में सुनिए ये युगल गीत



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 740/2011/180

'ओल्ड इज़ गोल्ड' में इन दिनों जारी है सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका शमशाद बेगम पर केन्द्रित लघु शृंखला 'बूझ मेरा क्या नाव रे'। आज इस शृंखला की नवी कड़ी में प्रस्तुत है शमशाद जी का गाया एक युगल गीत। अब तक आपनें उनके गाये हुए एकल गीत सुनें, पर आज वो आवाज़ मिला रही हैं रफ़ी साहब के साथ। यूं तो तलत महमूद और मुकेश के साथ भी शमशाद जी गा चुकी हैं, पर किशोर कुमार के साथ उन्होंने बहुत से मज़ाइया गीत गाये हैं, और उनके सब से ज़्यादा युगल गीत रफ़ी साहब के साथ हैं। आज की कड़ी के लिए हमने जिस रफ़ी-शमशाद डुएट को चुना है, वह है साल १९६० की फ़िल्म 'सावन' का रिमझिम सावन बरसाता हुआ "भीगा भीगा प्यार का समा, बता दे तुझे जाना है कहाँ"। संगीतकार हैं हंसराज बहल। नय्यर साहब के संगीत की थोड़ी बहुत झलक मिलती है इस गीत में, शायद घोड़ा-गाड़ी रीदम की वजह से। और यह भी सच है कि नय्यर साहब से पहले पंकज मल्लिक और नौशाद साहब इस तरह के रीदम का प्रयोग अपने गीतों में कर चुके थे। क्योंकि नय्यर साहब नें इस रीदम पर सब से ज़्यादा गानें कम्पोज़ किये, इसलिये यह रीदम उनका ट्रेडमार्क बन गया था। बहरहाल फ़िल्म 'सावन' के इस सदाबहार युगल गीत को लिखा है गीतकार प्रेम धवन नें। गीत फ़िल्माया गया है भारत भूषण और अमीता पर।

और आइए अब एक बार फिर से मुड़ा जाये कमल शर्मा के लिए हुए उसी इंटरव्यू की तरफ़ जिसमें शमशाद जी बता रही हैं सहगल साहब, किशोर दा और रफ़ी साहब के बारे में।

कमल जी - सहगल साहब के साथ हुई मुलाक़ात के बारे में हमें कुछ बताइए।

शमशाद जी - उन्हें मैंने बम्बई में देखा था। एक दिन मैं 'रणजीत' में रिहर्सल कर रही थी। ख़बर आई कि सहगल साहब आ रहे हैं। मैंने उन लोगों से कह रखा था कि सहगल साहब की गाड़ी आये तो मुझे बताना। इतने में उनकी गाड़ी आ गई, उनकी उंगली में हीरे की अंगूठी थी। मैंने कहा, "सलाम"। किसी ने उन्हें मेरे बारे में बताया हुआ था, वो मेरे पास आये और पंजाबी में कहा कि ओए तूने अपने बारे में कुछ नहीं बताया, सिर्फ़ सलाम कह कर चली जा रही थी!

कमल जी - सहगल साहब के बाद, अब मैं किशोर दा के बारे में पूछना चाहता हूँ, ये बहुत बाद की बात होगी, उनके साथ भी आपने गाया है।

शमशाद जी - वो बहुत ही शरीफ़ आदमी थे (हँसते हुए)। वो अपनी स्टाइल का बड़ा अच्छा गायक थे, हमारे साथ उनका बहुत अच्छा रिलेशन था, उनके साथ कुछ डुएट्स मैंने गाये हैं। एक गाना बड़ा चला था 'नया अंदाज़' पिक्चर का, उन्होंने भी इतना अच्छा गाया था इसे, "मेरी नींदों में तुम"।

कमल जी - और किन किन गायकों के साथ आपकी जोड़ी बनी?

शमशाद जी - कोई जोड़ी-वोड़ी नहीं जी, उस ज़माने में म्युज़िक डिरेक्टर्स किसी की बात नहीं सुनते थे, वो जिस गायक को चुनेंगे, हमें उसी के साथ गाना पड़ेगा, किसी की मजाल है जो कोई ज़बरदस्ती करे!

कमल जी - अच्छा तो किस गायक के साथ आपको गाते हुए सबसे अच्छा लगा?

शमशाद जी - किसी के भी साथ बुरा नहीं लगा। मैंने हमेशा चाहा कि मैं जिसके साथ गा रही हूँ, वो भी अच्छा गाये। उसका अच्छा होगा तो मेरा भी अच्छा होगा।

कमल जी - शमशाद जी, एक आर्टिस्ट, रफ़ी साहब, उनके बारे में लोग ज़रूर आप के मुंह से जानना चाहेंगे, आपको कैसा लगा उनके साथ काम करके?

शमशाद जी - बहुत शरीफ़ आदमी, नेक आदमी थे. उनका वैसा मिज़ाज नहीं था कि मेरा नाम है इतना, गाने-बजाने वाले लोग ज़्यादा बद-मिज़ाज होते ही नहीं हैं।

तो आइए दोस्तों, इस भीगे भीगे गीत का मज़ा लेते हुए अनुभव करें कि बारिश में भीगते हुए किसी तांगे पे बैठ कर हम सफ़र कर रहे हैं अपने प्रिय साथी के साथ।



और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।

खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी



इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

फेसबुक-श्रोता यहाँ टिप्पणी करें
अन्य पाठक नीचे के लिंक से टिप्पणी करें-

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

टिप्पणीं देने वाले प्रथम श्रोता बनें, अपनी प्रतिक्रिया दें ।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ

ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला

महफ़िल-ए-ग़ज़लः नई शृंखला की शुरूआत

भेंट-मुलाक़ात-Interviews

संडे स्पेशल

ताजा कहानी-पॉडकास्ट

ताज़ा पॉडकास्ट कवि सम्मेलन