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काहे मेरे राजा तुझे निन्दिया न आए...शृंखला की अंतिम लोरी कुमार सानु की आवाज़ में - Sajeev

घर के उजियारे सो जा रे....याद है "डैडी" की ये लोरी - Sajeev

ज़िन्दगी महक जाती है....जब सुरीली आवाज़ को येसुदास की और हो लोरी का वात्सल्य - Sajeev

आ री आजा, निन्दिया तू ले चल कहीं....बाल दिवस पर किशोर दा लाये एक मीठी लोरी बच्चों के लिए - Sajeev

लल्ला लल्ला लोरी....जब सुनाने की नौबत आये तो यही लोरी बरबस होंठों पे आये - Sajeev

आज कल में ढल गया....रफ़ी साहब की आवाज़ में लोरी का वात्सल्य - Sajeev

तुझे सूरज कहूँ या चन्दा...शायद आपके पिता ने भी कभी आपके लिए ये गाया होगा - Sajeev

चन्दन का पलना रेशम की डोरी....लोरी की मिठास और हेमंत दा की आवाज़ - Sajeev

सो जा तू मेरे राजदुलारे सो जा...लोरी की जिद करते बच्चे पिता को भी माँ बना छोड़ते हैं - Sajeev

धीरे से आजा री अँखियन में...सी रामचंद्र रचित एक कालजयी लोरी - Sajeev

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