हिन्द-युग्म ने अपना दूसरा संगीतबद्ध गीत भी ज़ारी कर दिया गया है। १९ नवम्बर २००७ को हिन्द-युग्म की उसी पुरानी टीम ने नया गीत श्रोताओं के हवाले कर दिया। पूरा विवरण यहाँ है।कवि- सजीव सारथी
स्वर- सुबोध साठे
संगीत-ऋषि एस॰ बालाजी
अक्षर- वो नर्म सी...
स्रोत- हिन्द-युग्म
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संस्कार गीतों पर एक विशेष शृंखला
मन जाने - विवधताओं से भरी अल्बम








लता मंगेशकर जब मिली आवाज़ के श्रोताओं से
द रिटर्न ऑफ आलम आरा प्रोजेक्ट एक कोशिश है, हिंदुस्तान की पहली बोलती फिल्म के गीत संगीत को फिर से रिवाईव करने की, सहयोग दें, और हमारी इस नेक कोशिश का हिस्सा बनें 

सुप्रसिद्ध गायक, गीतकार और संगीतकार रविन्द्र जैन यानी इंडस्ट्री के दाद्दु पर एक विशेष शृंखला जिसके माध्यम हम सलाम कर रहे हैं फिल्म संगीत जगत में, इस अदभुत कलाकार के सुर्रिले योगदान को
लोरियों की मधुरता स्त्री स्वर के माम्तत्व से मिलकर और भी दिव्य हो जाती है. पर फिल्मों में यदा कदा ऐसी परिस्थियों भी आई है जब पुरुष स्वरों ने लोरियों को अपनी सहजता प्रदान की है. पुरुष स्वरों की दस चुनी हुई लोरियाँ लेकर हम उपस्थित हो रहे हैं ओल्ड इस गोल्ड में इन दिनों 

शक्ति के बिना धैर्य ऐसे ही है जैसे बिना बत्ती के मोम।



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श्रोता का कहना है :
बहुत ही सुंदर गीत है. बहुत ही पसंद आया-
संगीत अति उत्तम और गायक की आवाज़ में बहुत गहराई है-
गीत भी अच्छा लिखा है -
यह गीत कर्णप्रिय है और मन को छूता है-
कई बार सुन चुकी हूँ लेकिन पोडकास्ट पर -
यहाँ का ले प्लेयर का बटन क्लिक नहीं कर रहा है-
[रियल प्लेयर चेक कर चुकी हूँ-]
बहुत बहुत बधाई -
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